उत्तर प्रदेश में कैराना और नूरपुर के उपचुनाव में गन्ना और जिन्ना का उल्लेख बार-बार किया गया था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश गन्ना किसानों का गढ़ है और यहां पर चार सौ करोड़ रुपये गन्ना भुगतान का बकाया है। दूसरी तरफ चीनी मिलों की स्थिति भी काफी खराब है क्योंकि चीनी का बफर उत्पादन हुआ है और चीनी मिलों का शीरा कोई खरीदने को तैयार नहीं है। चीनी मिलों की समस्या को लेकर पूर्व केन्द्रीय मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राक्रांपा) के नेता शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी कोई समाधान तलाशने को कहा था। जाहिर है कि चीनी मिलें ही जब समस्याग्रस्त हैं तो वे किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान कैसे करें। इसी समस्या को दूर करने के लिए केन्द्रीय खाद्य मंत्री रामबिलास पासवान ने चीनी उद्योग को राहत देने का फैसला किया है जिसका मुख्य उद्देश्य गन्ना किसानों को भुगतान दिलाना है।
खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि सरकार जल्द ही चीनी उद्योग के लिए 8,000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज घोषित करेगी ताकि नकदी संकट से जूझ रही चीनी मिलों को किसानों के गन्ने का लगभग 22,000 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान करने में मदद मिल सके। देश के सबसे बड़े गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश के कैराना संसदीय क्षेत्र में भाजपा के लोकसभा चुनाव हारने के कुछ ही दिन बाद इस राहत पैकेज को तैयार किया गया है।
श्री पासवान ने अपने मंत्रालय की पिछले चार साल की उपलब्धियों को बताते हुए कहा है कि मंत्रिमंडल को 8,000 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा गया है। इस बारे में मंत्रिमंडल कोई निर्णय लेगा। मंत्री ने कहा कि इस संबंध में कोई निर्णय जल्द ही लिया जा सकता है। हालांकि, उन्होंने अधिक विवरण नहीं दिया। पासवान ने इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि हाल के उप-चुनावों में विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी पार्टी को मिली हार को देखते हुये यह पैकेज लाया गया है।
विपणन वर्ष 2017-18 (अक्टूबर – सितंबर) में अब तक 3.16 करोड़ टन से अधिक रिकॉर्ड चीनी उत्पादन होने के बाद चीनी कीमतों में तेज गिरावट की वजह से मिलों की वित्तीय हालत खराब हुई है जिसके कारण इस राहत पैकेज को तैयार किया गया है। चीनी मिलों के लिये प्रस्तावित राहत पैकेज में 8,000 करोड़ रुपये के पैकेज में 30 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाना, नई एथनॉल क्षमता के विस्तार और निर्माण के लिए चीनी मिलों के 4,500 करोड़ रुपये के ऋण पर ब्याज सब्सिडी देने सहित अन्य उपाय शामिल है। पिछले महीने ही सरकार ने गन्ना किसानों के लिए 1500 करोड़ रुपये की उत्पादन से जुड़ी सब्सिडी की घोषणा की थी ताकि चीनी मिलों को गन्ना किसानों को भुगतान करने में मदद हो सके। वर्तमान में, चीनी की औसत मिल गेट कीमत 25.60 से 26.22 रुपये प्रति किलो के दायरे में है, जो उनकी उत्पादन की लागत से कम मानी जा रही है। देश में रिकार्ड चीनी उत्पादन को देखते हुये केंद्र सरकार ने चीनी आयात शुल्क को पहले ही दोगुना कर 100 फीसदी कर दिया है तथा निर्यात को बढ़ावा देने के लिये चीनी निर्यात शुल्क को समाप्त कर दिया है। इसके साथ ही सरकार ने चीनी मिलों से 20 लाख टन चीनी निर्यात करने को भी कहा है। इस प्रकार चीनी उद्योग की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी जिससे गन्ना किसानों का करोड़ों रुपया जो बकाया है, उसका भुगतान किया जा सकेगा। हालांकि सरकार को यह देखना पड़ेगा कि चीनी मिलों को सरकार जो मदद कर रही है उसका कितना प्रतिफल किसानों को मिल रहा है। (हिफी)