भारत की एक बड़ी आन लाइन खुदरा कंपनी फ्लिपकाट॔ थी यह स्टार्ट – अप कारोबार में इसकी देश में प्रशंसा की जाती थी । फ्लिपकाट॔ को निगलने के लिए वालमार्ट ने करीब 1000 करोड़ रुपए खर्च किए है । यह मोदी सरकार के मेक इन इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया जैसी प्रमुख परियोजनाओ के खोखलेपन को उजागर करती है ।
जब केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी विदेशी खुदरा कंपनियो को प्रवेश की उदारता दिखाई थी तो उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी ने इसका जोरदार विरोध किया था । इसी तरह जब मनमोहन सरकार ने विदेशी एकल ब्रांड के कारोबार को कुछ रियायत देने की बात की थी तो प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के बारे में मोदी ने इसे गद्दारी बताया था और मनमोहन सरकार को विदेशियों की सरकार तक कहा था ।
लेकिन केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद मोदी ने बिना हिचके और एकदम से उल्टा चाल चरित्र चेहरा दिखाते हुए एकल – ब्रांड खुदरा कारोबार आने की अनुमति प्रदान कर दी । मजे की बात यह है संप्रग सरकार ने आउटसोर्सिंग प्रावधान के साथ एकल ब्रांड खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी थी जिसके तहत विदेशी खुदरा कम्पनी के लिए यह अनिवार्य किया गया था कि वह जो सामान बेचेंगे उसका 30 प्रतिशत स्थानीय स्रोतो से खरीदेंगे, वही मोदी ने जो छत पर खड़े होकर जोर शोर से देश भक्ति की बात करते है, स्थानीय स्रोतो से 30 प्रतिशत खरीद की अनिवार्यता के प्राविधान को भी खत्म कर दिया, जबकि उन्होेंने खुद इस प्रावधान को अपने बहुप्रचारित मेक इन इंडिया काय॔क्रम की शुरुआत में शामिल किया था ।
बहरहाल छोटे निर्माता, देश के लाखो दुकान दार, मजदूरो पर जो पहले ही रोजगार और जिंदा रहने के लिए दर दर भटक रहे है उन पर सबसे बड़ा हमला होने वाला है । हालांकि स्वदेशी जागरण मंच ने वाल माट॔ द्वारा फ्लिपकाट॔ के अधिकरण का विरोध किया है, मगर उसमें यह कहने का साहस नही है कि मोदी और भाजपा द्वारा 2014 के आम चुनाव के समय किए गए सभी वायदो का वे खुला उल्लंघन कर रहे है ।
पुरे देश में 2 जून को ट्रेडर्स (कैट ) के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन करने वालो ने सरकार से इस सौदे को रद्द करने की माँग की है देश के सभी राज्यो में धरने का आयोजन किया गया जिसमें लगभग 10 लाख आफ लाइन एवं आन लाइन व्यापारियों ने शिरकत कर विरोध जताया है और सौदे को देश के रिटेल व्यापार एवं देश की अर्थव्यवस्था के लिए घातक बताया है कैट ने कहा है कि यदि सरकार इस पर त्वरित कदम नही उठायेगी तो आगामी 23 से 25 जुलाई तक दिल्ली में हो रहे उसके राष्ट्रीय महाधिवेशन में भविष्य की रणनीति तय की जायेगी ।
बहुराष्ट्रीय कंपनी वालमार्ट जो गला घोट प्रतियोगिता के लिए कुख्यात है, यह जिस देश में खुदरा व्यापार के क्षेत्र में प्रवेश कर जाये, वह भी ऐसे समय जब उसके लिए स्थानीय स्रोत से खरीद करने की अनिवार्यता न हो तो यह करीब देश के पांच करोड़ असंगठित छोटे दुकान दारो, हजारो कुटीर, लघु और मध्यम उद्यमों के लिए बिनास का सबब बनने वाला है । जहां चीन में वालमार्ट का स्वागत नही है, वहीं मोदी सरकार देश के लाखो छोटे कारोबारियों की तिलांजली देकर लाल कालीन बिछा रही है ।
असल में मोदी सरकार जो कर रही है वह देश के राष्ट्रीय हितो के साथ उसके विश्वासघात को भी दर्शाता है
नरेश दीक्षित संपादक समर विचार
