ऑपरेशन ब्लू स्टार 3 से 6 जून 1984 के बीच अमृतसर स्थित हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) परिसर को खालिस्तान समर्थकों से मुक्त कराने के लिए भारतीय सेना द्वारा चलाया गया एक सैन्य अभियान था. इस ऑपरेशन में सिखों के धार्मिक नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले और अन्य सिख आतंकवादियों को हटाने का प्रयास किया गया था.
ऑपरेशन ब्लू स्टार का मुख्य उद्देश्य स्वर्ण मंदिर परिसर में मौजूद सिख अलगाववादियों को हटाना था, जो खालिस्तान की मांग कर रहे थे और पंजाब में अलगाववाद को बढ़ावा दे रहे थे. इस ऑपरेशन में कई नागरिक और सैनिक मारे गए थे, और स्वर्ण मंदिर परिसर को नुकसान हुआ था. ऑपरेशन ब्लू स्टार ने सिख समुदाय में गहरी चोट पहुंचाई, और इसे सिख इतिहास में एक विवादास्पद घटना माना जाता है.
1980 के दशक के दौरान, पंजाब में सिख अलगाववादी आंदोलन तेज हो गया था. जरनैल सिंह भिंडरावाले, जो एक प्रमुख सिख धार्मिक नेता थे, ने अलगाववादी आंदोलन का नेतृत्व किया और खालिस्तान की मांग की. भिंडरावाले के नेतृत्व में अलगाववादी ताकतें सशक्त हो रही थीं, और उन्हें पाकिस्तान से समर्थन मिल रहा था.
भिंडरावाले और उनके समर्थकों ने स्वर्ण मंदिर परिसर पर कब्जा कर लिया था, और वहां से हथियारबंद अलगाववादियों ने अपनी गतिविधियों को जारी रखा था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने स्वर्ण मंदिर से अलगाववादियों को निकालने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार का आदेश दिया. ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान:
भारतीय सेना ने स्वर्ण मंदिर परिसर पर भारी गोलीबारी की, और टैंकों का भी इस्तेमाल किया. ऑपरेशन के दौरान जरनैल सिंह भिंडरावाले मारा गया. ऑपरेशन में भारतीय सेना के कई सैनिक और बड़ी संख्या में नागरिक मारे गए. ऑपरेशन ब्लू स्टार से सिख समुदाय में गहरी नाराजगी थी, और कई लोगों ने इसे अपने धर्म पर हमला माना.इस ऑपरेशन के कारण पंजाब में राजनीतिक स्थिति और भी खराब हो गई, और इंदिरा गांधी की हत्या भी ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद हुई.
ऑपरेशन ब्लू स्टार एक विवादास्पद घटना है, और इसके बारे में अलग-अलग राय हैं. कुछ लोग इसे भारतीय सेना की एक जरूरी कार्रवाई मानते हैं, जबकि अन्य इसे गलत मानते हैं.