लीवर मस्तिष्क को छोड़कर शरीर का सबसे जटिल और दूसरा सबसे बड़ा अंग हैं। यह आपके शरीर के पाचन तंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आप जो भी खाते और पीते अथवा दवाइयाँ लेते हैं। वे सभी लीवर से होकर गुजरती हैं। आप लीवर के बिना जीवित नहीं रह सकते हैं। यह एक ऐसा अंग हैं कि यदि आप अपने लीवर की उचित तरीके से देखभाल नहीं करते हैं तो उसे आसानी से नुकसान पहुँच सकता हैं। लीवर जटिल कार्यों सहित सैकड़ों मुश्किल काम करता हैं:
संक्रमणों और बीमारियों से लड़ना। रक्त शर्करा को नियमित करना। शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालना।
कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करना। रक्त के थक्के (अधिक मोटा/गाढ़ा करना) में सहायता करना। पित्त निकालना (तरल पाचन तंत्र और वसा को तोड़ने में सहायता करता हैं)।
आमतौर पर लीवर की बीमारी किसी भी साफ़ संकेतों अथवा लक्षणों को पैदा नहीं करती हैं। जब तक कि लीवर की बीमारी पूरी तरह से बढ़े और क्षतिग्रस्त न हो जाएँ। इस स्थिति में, संभावित लक्षण भूख और वज़न में कमी तथा पीलिया हो सकता हैं।
लीवर की शुद्धता के लिए सुझाव
लहसुन, अंगूर, गाजर, हरी पत्तेदार सब्जियां, सेब और अखरोट खाएं। जैतून का तेल और सन के बीजों का उपयोग करें।
नींबू और नीबू का रस तथा हरी चाय का उपयोग करें। वैकल्पिक अनाज (मोटा अनाज़, बाजरा और कूटू) को प्राथमिकता दें।
हरी पत्तेदार सब्जियों (बंद गोभी, ब्रोकोली और गोभी) को शामिल करें।आहार में हल्दी का उपयोग करें।
अपने लीवर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं। स्वस्थ और संतुलित आहार का उपयोग करें तथा अपने लीवर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें।
सभी खाद्य समूहों के आहारों जैसे अनाज, प्रोटीन, दुग्ध उत्पादों, फल, सब्जियों और वसा का उपयोग करें।
रेशायुक्त ताजे फलों, सब्जियों, मिश्रित अनाज युक्त रोटियों, चावल और अनाजों का उपयोग करें।
अल्कोहल, धूम्रपान और ड्रग्स को “न” बोलें : लीवर कोशिकाओं को अल्कोहल धूम्रपान और ड्रग्स नुकसान अथवा नष्ट कर देता हैं। यहाँ तक कि निष्क्रिय धूम्रपान के संपर्क में भी नहीं आना चाहिए।
किसी भी दवा को शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें : जब दवाओं को गलत तरीके अथवा गलत संयोजन से लिया जाता है तो लीवर आसानी से ख़राब हो सकता हैं।
जहरीले रसायनों से सावधान रहें : लीवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाने वाले रसायनों जैसे एयरोसोल, सफाई उत्पादों, कीटनाशकों, विषाक्त पदार्थों से बचें।
अपने वजन को बनाए रखें : मोटापे के कारण गैर अल्कोहल वसायुक्त रोग हो सकते हैं।
अपने लीवर की सुरक्षा के लिए हैपेटाइटिस को रोकें।
हेपेटाइटिस शब्द का उपयोग लीवर की सूजन (सूजन) के लिए किया जाता हैं। यह वायरल संक्रमण अथवा अल्कोहल जैसे हानिकारक पदार्थों के संपर्क में आने के कारण होता है। हेपेटाइटिस लक्षण रहित और सीमित लक्षणों के साथ हो सकता हैं लेकिन इसमें प्राय: पीलिया, अत्यधिक थकान (भूख में कमी) और अस्वस्थता की अगुआई होती है। हेपेटाइटिस दो प्रकार का होता है : तीव्र (एक्यूट) और जीर्ण (क्रोनिक) : टीकाकरण कराएं। हेपेटाइटिस के खिलाफ़ टीकाकरण अवश्य कराएं। “हेपेटाइटिस ए” और “हेपेटाइटिस बी” के लिए टीकाकरण उपलब्ध हैं।
आयुर्वेदिक पद्धति लीवर के लिए
आयुर्वेदिक पद्धति लीवर के लिए एक समग्र पद्धति का प्रतिपादन करती है। इस पद्धति में आहार, व्यायाम और तनाव कम करने के तरीके जैसे कि योग और प्राणायाम शामिल हैं।
आयुर्वेदिक पद्धति द्वारा लीवर के उपचार के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहाँ पर क्लिक करें।
संदर्भ : http://www.who.int/campaigns/hepatitis-day/2014/event/en/
http://www.nhs.uk/conditions/liver-disease/Pages/Introduction.aspx
http://www.ilbs.in/index.php?option=com_content&view=article&id=102&Itemid=159
http://www.liverfoundation.org/education/downloads/
http://www.nhp.gov.in/disease/digestive/liver/hepatitis
nhp.aardeesoft.com/micrositetitle/ayurvedic-perspective-of-liver
सामग्री -फोटो साभार