पी.वी. नरसिम्हा राव का जन्म 28 जून 1921 को करीमनगर में हुआ था। पूरा नाम परबमुल पार्थी वेंकट नरसिम्हा राव था। इन्होंने कृषि विशेषज्ञ होने के साथ ही वकील के रूप में भी पहचान हासिल की थी। पी.वी. नरसिम्हा राव तीन बेटे और पांच बेटियों के पिता थे। नरसिंह राव 1991 के आस-पास राव राजनीति से कट से गए पर राजीव गाँधी की हत्या के बाद 1991 में अल्पमत सरकार की ज़िम्मेदारी उन्हें सौंपी गयी।1991 से 1996 तक नरसिंह राव देश के 10वें प्रधानमंत्री रहे।1971 से 1973 तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. इसके अलावा नरसिंह राव ने केंद्र सरकार में गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय का पदभार भी संभाला है।नरसिम्हा राव नेहरू-गांधी परिवार के अलावा पहले नेता थे जिन्होंने सरकार पूरे पांच साल चलाई और देश के पहले दक्षिण भारतीय प्रधानमंत्री भी थे।
इन पर भ्रष्टाचार और हवाला क़ारोबार के आरोप लगे। इनके विरुद्ध हर्षद मेहता ने यह दावा किया कि स्वयं पर लगे आरोपों से मुक्त होने के लिए उसने राव को एक करोड़ रुपयों की रिश्वत दी थी।कांग्रेस ने यह तर्क दिया था कि जिस प्रकार सूटकेस में एक करोड़ रुपये भरकर देने की बात हर्षद मेहता ने कही है, उसमें एक करोड़ रुपया आ ही नहीं सकता। इस पर हर्षद मेहता ने सूटकेस मे एक करोड़ रुपये भरकर टी. वी. पर दिखाया था।
उन्होने कथा साहित्य एवं राजनीतिक टिप्पणी लिखने के अलावा तेलुगू एवं हिंदी में कविताएं लिखी हैं। इसके अलावा इन्हें अलग-अलग भाषाएं सीखने का भी एक जुनून सा था। वह नौ भारतीय भाषाओं (तेलुगु, हिंदी, उड़िया, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, संस्कृत, तमिल और उर्दू) और अाठ विदेशी भाषाओं (अंग्रेजी, फ्रेंच, अरबी, स्पेनिश, जर्मन, ग्रीक, लैटिन और फारसी) को बहुत अच्छे से बोल लेते थे।उन्होंने तेलुगु भाषा के विश्वनाथ सत्यनारायण जैसे महान् साहित्यकार के उपन्यास ‘सहस्त्र फण’ का हिन्दी में अनुवाद भी किया। जीवन के अन्तिम दौर में राव ने एक राजनीतिक उपन्यास ‘दि इंसाइडर’ लिखा। साथ ही साथ राम मन्दिर और मस्जिद प्रकरण पर इनकी एक पुस्तक प्रकाशित हुई, जिसमें इन्होंने तथ्यात्मक एवं विश्लेषणात्मक स्थितियों का चित्रण करते हुए अपनी भूमिका को स्पष्ट किया था। 1991 में भारतीय अर्थव्यवस्था की सूरत बदल गई. देश समाजवादी अर्थव्यवस्था से एलपीजी की तरफ बढ़ गया। बाहरी दुनिया के लिए बंद पड़ी भारत की अर्थव्यवस्था को खोल दिया गया था। नरसिम्हा राव कार्यकाल की एक और महत्वपूर्ण घटना थी 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाना।23 दिसम्बर, 2004 को वे इस दुनिया को अलविदा कह गए थे।एजेन्सी।