पुण्य तिथि पर विशेष। एजेंसी। भारतीय क्रिकेट टीम के इतिहास में किसी खिलाड़ी को सबसे पहले ऑलराउंडर के खिताब से नवाजा जाए तो वो नाम वीनू मांकड़ का होगा। वीनू मांकड़ का जन्म 12 अप्रैल 1917 को गुजरात में हुआ था। उनका पूरा नाम मूलवंतराय हिम्मतलाल मांकड़ था। उन्होंने प्रमुख टीमों में भारत, बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र, मुंबई, राजस्थान, पश्चिमी भारत का प्रतिनिधित्व किया। वे दाएँ हाथ के बल्लेबाज़ और बाएँ हाथ के स्पिन गेंदबाज़ थे।
वीनू मांकड़ ने भारत के लिए 44 टेस्ट मैचों में 31.47 की औसत से पांच टेस्ट शतक और 6 अर्द्धशतक सहित 2109 रन बनाए। इनका शीर्ष स्कोर 231 रहा और साथ ही साथ गेंदबाज़ी में 32.32 की औसत से 162 विकेट भी लिये। इसके अतिरिक्त इन्होंने 233 प्रथम श्रेणी मैचों में 34.70 की औसत से 26 शतक और 52 अर्द्धशतक सहित 11,591 रन और गेंदबाज़ी में 24.53 के शानदार औसत से 782 विकेट भी लिए।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर के साथ वीनू के नाम प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कई रिकॉर्ड्स हैं. जो उनके शानदार करियर की दास्तां बयां करते हैं।
वीनू मांकड़ के नाम वैसे तो कई रिकॉर्ड्स हैं लेकिन एक रिकॉर्ड बेहद खास है। सबसे तेज 1000 रन और 100 विकेट का करिश्माई आंकड़ा छूने वाले वो पहले भारतीय हैं।
अंतरराष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट में वीनू मांकड़ और पंकज रॉय ने ऐसा रिकॉर्ड कायम किया जो अगले 52 साल तक दोनों के ही नाम रहा। यह रेकॉर्ड 52 साल बाद टूटा। इनके बेटे अशोक मांकड़ ने भी भारत क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व किया।
1956 में न्यूजीलैंड के खिलाफ वीनू मांकड़ और पंकज रॉय ने ओपनिंग कर 413 रन की साझेदारी की। वीनू मांकड़ ने इस साझेदारी के दौरान अपने करियर का पहला दोहरा शतक (231) लगाया था।
वो भारतीय टेस्ट क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने वाले पहले बल्लेबाज बन गए थे। वीनू और पकंज की जोड़ी ने जो साझेदारी के झंडे गाड़े थे,अगले 52 सालों तक टेस्ट क्रिकेट में ये रिकॉर्ड कोई नहीं तोड़ पाया था।
1952 में उन्होंने इंग्लैंड के लॉर्ड्स मैदान में जो बेहतरीन प्रदर्शन किया, वो हैरान करने वाला था। वीनू ने इंग्लैंड के खिलाफ पहली पारी में 72 और दूसरी पारी में 184 रन जड़े थे।
सिर्फ बल्ले से ही नहीं बल्कि वीनू ने गेंद से भी करिश्मा दिखाते हुए 196 रन देकर 5 अंग्रेज खिलाड़ियों को पवेलियन भेजा था। लॉर्ड्स में ऐसा ऐतिहासिक प्रदर्शन करने वाले वो पहले भारतीय खिलाड़ी थे। क्रिकेट पर लिखने वाले अंग्रेज लेखक जॉन वुडकॉक सहित कई स्टार खिलाड़ी उनके इस प्रदर्शन के मुरीद हैं।
क्रिकेट में बल्लेबाज़ को आउट करने के कई नियम हैं। ऐसा ही एक नियम है मांकड़ आउट होना। वीनू मांकड़ ने इस तरीके से रन आउट करने की शुरुआत की थी। दिसम्बर 1947 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई टीम इंडिया का यह किस्सा बहुत मशहूर है। हुआ यूं कि ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध सिडनी टेस्ट में भारतीय गेंदबाज़ वीनू मांकड़ ने विपक्षी बल्लेबाज को कुछ ऐसे आउट किया की सब दंग रह गए। मांकड़ ने गेंदबाजी करते हुए क्रीज तक पहुँचे बिना गेंद फेंकने वाले नॉन स्ट्राइकिंग छोर की गिल्लियां बिखेर दीं। कंगारू बल्लेबाज बिल ब्राउन गेंद डाले जाने के पूर्व ही रन लेने की जल्दबाज़ी में क्रीज छोड़ चुके थे। मांकड़ ने गिल्ली उड़ाते ही रन आउट की अपील की और अंपायर ने उंगली उठा दी।
हालाँकि मांकड़ की इस हरकत को ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने खेल भावना के विरुद्ध बताते हुए आलोचना की पर दिग्गज बल्लेबाज डॉन ब्रेडमेन समेत कुछ विपक्षी खिलाड़ियों ने मांकड़ का बचाव किया।बाद में आउट करने का यह तरीक़ा क्रिकेट के नियमों में शामिल हो गया और इसका नाम मांकड़ आउट पड़ गया। क्रिकेट नियमों की धारा 42.15 के अंतर्गत मांकड़ को वैधानिक कर दिया गया। 21 अगस्त 1978 को इस महान खिलाड़ी की मृत्यु हो गई।