स्मृति शेष।
एस.एन.त्रिपाठी का जन्म 14 मार्च 1913 को वाराणसी में हुआ था। एस. एन. त्रिपाठी ने मशहूर महिला संगीतकार सरस्वती देवी के सहायक के रूप में भी काम किया था। एस. एन. त्रिपाठी ही थे जिन्होंने अशोक कुमार और देविका रानी को ‘मैं बन की चिड़िया’ अमर गीत को गाने का अभ्यास करवाया था। हिन्दी फ़िल्म संगीत के क्षेत्र में संगीत निर्देशक के तौर पर एस. एन. त्रिपाठी जी की मान्यता धार्मिक और पौराणिक फ़िल्मों के संगीतकार के रूप में ही होती है। उनके खाते में दर्ज़ दर्जनों फ़िल्में ऐसी हैं जिनके नाम सुनकर एक बात का अन्दाज़ा लगता है कि त्रिपाठी जी किस तरह ‘बी’ और ‘सी’ ग्रेड की ढेरों धार्मिक फ़िल्मों के लिए अपने हुनर को धुनों के माध्यम से व्यक्त कर रहे थे। हनुमान पाताल विजय’, ‘दुर्गा पूजा’, ‘राम हनुमान युद्ध’, ‘सती नाग कन्या’, ‘लक्ष्मी-नारायण’, ‘बजरंगबली’, ‘रामलीला’, ‘श्री गणेश महिमा’ और ‘उत्तरा अभिमन्यु’ ऐसे कुछ उदाहरण हैं जिन फ़िल्मों में त्रिपाठी जी के गीत गूँजे। धार्मिक फ़िल्मों की ज़मीन से अलग, स्तरीय ढंग की कुछ बेहद कर्णप्रिय धुनों को एस. एन. त्रिपाठी ने ऐतिहासिक फ़िल्मों के माध्यम से भी रचा था। यह कहा जा सकता है कि यही वे फ़िल्में हैं जिनके कारण उनकी संगीतकार की हैसियत से प्रमुख उपस्थिति हिन्दी फ़िल्म संगीत की दुनिया में आज तक कायम है।
‘लाल किला’, ‘कवि कालिदास’, रानी रूपमती’, ‘नादिरशाह’, ‘जय चितौड़’, ‘दिल्ली दरबार’ और ‘संगीत सम्राट तानसेन’ फ़िल्मों के गीतों के कारण आज भी त्रिपाठी जी को बहुत आदर से याद किया जाता है। एस. एन. त्रिपाठी निधन 28 मार्च 1988 को बम्बई अब मुम्बई में हुआ था।एजेन्सी।