मुबारक साल गिरह मनीषा कोइराला नेपाली मूल की भारतीय अभिनेत्रीं हैं। वह हिंदी फिल्मों के अलावा के नेपाली, तमिल,तेलुगु मलयालम फिल्मों में सक्रीय हैं। वह भरतनाट्यम और मणिपुरी नृत्य में पूर्ण रूप से पारंगत हैं।
मनीषा कोइराला का जन्म 16 अगस्त 1970 को नेपाल के काठमांडू में हुआ था। उनके पिता का नाम प्रकाश कोइराला और माँ का नाम सुषमा कोइराला हैं। इनके पिता नेपाल में कैबिनेट मंत्री हैं। वह नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बिश्वेश्वर प्रसाद कोइराला की नातिन हैं। इनका एक भाई है- सिद्धार्थ कोइराला-जो कि बॉलीवुड अभिनेता है।
मनीषा की शुरूआती पढाई वाराणसी के वंसत कन्या महाविद्यालय से हुई हैं। उसके बाद वह सेकंडरी की पढ़ाई करने के लिए आर्मी स्कूल धौलकुआं नई दिल्ली चली गयीं। मनीषा बचपन से डॉक्टर बन दूसरों की सेवा करने की चाहत थी, लेकिन मॉडलिंग ने उनके लिए फ़िल्मी दुनिया के द्वार खोल दिए।
मनीषा कोइराला की शादी नेपाली बिजनेसमैंन सम्राट दहाल से 19 जून 2010 को हुई थी। लेकिन यह शादी ज्यादा दिन नहीं टिक सकी, और 2012 में इस जोड़ी ने तलाक ले लिया।
2012 ,में मनीषा लाईलाज बीमारी ओवरी कैंसर से पीड़ित हो गयी। उन्होंने इसका इलाज मुंबई और यूएसए में कराया। उसके बाद वह इस खतरनाक बीमारी से जीत गयी।
मनीषा के फ़िल्मी करियर की शुरुआत साल 1991 में सुभाष घई निर्देशित फिल्म सौदागर से हुई थी। फिल्म में उस समय दो लीजेंड कलाकार राज कुमार- दिलीप कुमार एक साथ बड़े पर्दे पर दिखाई दिए थे। यह फिल्म उस साल की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर हिट फिल्म साबित हुई थी। पहली ही फिल्म ने मनीषा कोइराला को रातों रात हिंदी सिनेमा का सुपरस्टार बना दिया था।
मनीषा कोइराला एक गैर-फ़िल्मी परिवार से थीं। उसके बावजूद उन्होंने उस दौर में खुद को अभिनय से हिंदी सिनेमा में सर्वश्रेठ अभिनेत्रीयोँ में शुमार कर लिया था। 1996 में पार्थो घोष निर्देशित फिल्म अग्नि साक्षी और निर्देशक संजय लीला भंसाली की फिल्म ख़ामोशी ने मनीषा को इंडस्ट्री की टॉप लीडिंग हीरोइन बना दिया। दोनों ही फिल्मों में मनीषा के दो अलग रूप देखने को मिले। पहली फिल्म अग्नि साक्षी में में मनीषा अपने एक बीमार पति का ध्यान रखते हुए एक पतिव्रता पत्नी के रूप में दर्शायी गयीं। वंही दूसरी फिल्म खामोशी में वह अपने गूंगे माँ-बाप का ध्यान रखने वाली एक प्यारी सी ऐनी की भूमिका निभाती हुई नजर आयीं। दोनों ही फिल्मों में उनके अभिनय को देख सभी आलोचक दाँतो टेल उँगली दबा गए।
1997 में मनीषा बॉबी देओल और काजोल के अपोजिट फिल्म गुप्त- द हिडन ट्रुथ में नजर आयीं। जो ब्लॉकबस्टर फिल्म साबित हुई थी। इसी साल वह पहली बार बड़े पर्दे पर शाहरुख़ खान के मणि रत्नम की फिल्म दिल से में नजर आयीं। इस फिल्म ने उन्हें आलोचकों से अच्छी प्रतिक्रिया दिलाई साथ ही उन्हें इस फिल्म के फिल्म फेयर बेस्ट एक्ट्रेस का नामंकन भी मिला।
1999 में वह फिल्म मन और अजय देवगन स्टारर फिल्म कच्चे धागे में नजर आयीं। फिल्म मन उनकी लाजवाब एक्टिंग देख आलोचकों ने उन्हें मीना कुमारी तक की उपाधि दे डाली थी। यह फिल्म उस साल की सबसे बड़ी फिल्मों में से एक फिल्म साबित हुई थी।
2000 में वह मल्टीस्टारर फिल्म लज्जा में नजर आयीं। इस फिल्म में उनका अभिनय काबीले तारीफ था। उसके बाद वह 2002 में अजय देवगन स्टारर फिल्म कंपनी में नज़र आयीं। इस फिल्म के लिए उन्हें तीसरा फिल्म फेयर क्रिटिक्स अवार्ड से भी नवाजा गया।
2003 में मनीष काफी लो बजट फिल्मों में नजर ने लगी। इसी साल केंद्रित फिल्म इस्केप फ्रॉम तालिबान में नज़र आयीं। इस फिल्म के लिए उन्हें बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया। उसके बाद वह फिल्म मार्केट में एक जवान बाजारू औरत की भूमिका में दिखाई दी। इस फिल्म के लिए उन्हें आलोचकों की और बेहद सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली, साथ ही फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई भी की।
मनीषा कोइराला अभिनेत्री होने के साथ-साथ निर्माता भी हैं। उन्होंने फिल्म मेकिंग का डिप्लोमा न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से किया है। कोइराला ने अपने बैनर के तहत फिल्म पैसा वसूल का निर्माण किया। ऐसी फिल्म जो बॉलीवुड में अब तक नहीं बनी थी। इस फिल्म की लीड हीरोइन सुष्मिता सेन थीं। इस फिल्म की खासियत यह थी कि फिल्म ना तो लव स्टोरी थी और ना ही उसमे कोई भी हीरो था।
2007 में वह फिल्म अनवर में सपोर्टिंग एक्ट्रेस के रूप में नज़र आयीं। उन्होंने मुंबई एक्सप्रेस से एक जबरदस्त वापसी की। इस फिल्म में वह इरफ़ान खान के साथ नज़र आई। इस फिल्म में उनके अभिनय से दर्शक तो प्रभावित हुए लेकिन फिल्म की ख़राब मार्केटिंग की वजह से फिल्म को बॉक्स-ऑफिस पर औंधे मुंह की खानी पड़ी।
मुम्बई एक्स्प्रेस,1942: अ लव स्टोरी, इंसानियत के देवत,य़लगार,सौदागर,मिलन, दुश्मनी,अनोखा अंदाज़,यूंही कभी,लाल बादशाह,कच्चे धागे,कारतूस,जय हिन्द,लावारिस, मन,ताजमहल,कंपनी,जानी दुश्मन,लज्जा,चैम्पियन,खौफ़,बाग़ी।
कैंसर को हराकर मनीषा बार फिर से बड़े पर्दे पर वापस आ गयी है। 1992 की बात है, जब फिरोज खान की यलगार में पहली बार संजय दत्त और मनीषा कोइराला एक साथ सिल्वर स्क्रीन पर नजर आए थे। इसके बाद दोनों कारतूस, खौफ और बागी कई फिल्मों में साथ दिखे। 2008 में आई फिल्म महबूबा में भी संजय और मनीषा की जोड़ी नजर आई थी। 10 साल बाद 2018 में रिलीज़ संजू में .मनीषा कोइराला ने संजय द्त्त की मां नर्गिस द्त्त का का रोल किया था। एजेंसी