1930 में जॉन हेबर्न गिब्बॉन रिसर्च फैलो के तौर पर हावर्ड गए. वहां उन्होंने देखा कि हृदय के ऑपरेशन के दौरान कई मरीज अपने ही खून की वजह से मारे जा रहे हैं. असल में खून फेफड़ों में भर जाता था और इससे मरीज का दम घुट जाता था.
1935 में गिब्बॉन एक मशीन लेकर अस्पताल पहुंचे. यह असल में एक पम्प था. इसे हार्ट-लंग मशीन नाम दिया गया. गिब्बॉन ने साथियों के साथ एक बिल्ली की हार्ट सर्जरी की और इस मशीन को टेस्ट किया. नतीजे अप्रत्याशित थे. सर्जरी के दौरान बिल्ली के फेफड़ों में खून नहीं भरा. इस प्रयोग ने इंसान की ओपन हार्ट सर्जरी के रास्ते खोल दिए. गिब्बॉन को ओपन हार्ट सर्जरी का जनक भी कहा जाता है. आज भी दुनिया भर में हार्ट सर्जरी के दौरान इसी पम्प का इस्तेमाल होता है.
दुनिया को हार्ट-लंग पम्प जैसी जीवनदायी मशीन देने वाले महान सर्जन जॉन हेबर्न गिब्बॉन ने 1973 में आखिरी सांस ली. गिब्बॉन को ओपन हार्ट सर्जरी का जनक भी कहा जाता है.
पांच फरवरी 1973 को 70 साल की उम्र में गिब्बॉन ने दुनिया को अलविदा कहा. विश्व को सुरक्षित हार्ट सर्जरी देने वाले गिब्बॉन की मौत टेनिस खेलते वक्त हार्ट अटैक से हुई.