संजोग वॉल्टर। नैनीताल की वादियाँ हमेशा से मुझे खीच लेती हैं, इनके मोहपाश में बंधा अकेला में नहीं हूं, फिल्मकारों को भी नैनीताल भाता है,मधुमती जो रिलीज़ हुई 1958 में बिमल दा शायद पहले फ़िल्मकार थे जो काठगोदम, नैनीताल पहुंचे थे। फिल्मालय की 1959 दिल देके देखो । 1963 की फिल्म गुमराह,व 1965 की फिल्म वक़्त बीआर चोपड़ा को नैनीताल ले आई थी थी। Din Hai Bahar Ke Tere Mere Ikrar Ke। 1963 में निरंजन द्वारा निर्देशित फिल्म ‘कौन अपना कौन पराया’ । 1963 की फ़िल्म कौन अपना कौन पराया । 1964 की शगुन का ज्यादातर हिस्सा नैनीताल में ही फिल्माया गया । ‘पर्वतों के पेड़ों पर रात का बसेरा है को देखने के बाद लगता है की तब कितना खूबसूरत था नैनीताल। 1965 की फिल्म भीगी रात को नैनीताल में ही फिल्माया गया। 1967 की सस्पेंस फ़िल्म अनीता। 1967 की फ़िल्म एक कली मुस्काई । 1971 की कटी पंतग में शक्ति दा ने नैनीताल में डेरा ही डाल दिया था। कटी पंतग ने नैनीताल को भी हिट किया था। झील के उस पार 1973- 1977 की फ़िल्म कलाबाज़,हम किसी से कम नहीं। 1971 की फिल्म अभी तो जी लें को नैनीताल के सुंदर फिल्मांकन के लिए भी याद किया जाता है। 1983 की शेखर कपूर की फिल्म मासूम का ज्यादातर हिस्सा नैनीताल के सेंट जोसफ़ स्कूल और आसपास की वादियों में फिल्माया गया। 1985 की जैनेन्द्र जैन की फिल्म जानू नैनीताल और उसके आसपास फिल्माई गयी थी। 1987 की अनिल शर्मा हुकूमत नैनीताल में ही फिल्माए गयी थे थी। 1992 की फिल्म माशूक में भव्य नैनीताल दिखाया गया था। 1997 में की हिमालय पुत्र की शूटिंग भी नैनीताल में ही हुई। 1999 की सिर्फ तुम की शूटिंग भी नैनीताल में ही हुई। 2003 की फिल्म ‘कोई मिल गया’ का ज्यादातर हिस्सा नैनीताल जिले में ही फिल्माया गया था। 2003 की फिल्म ‘बाज़ ए बर्ड इन डेंजर’ नैनीताल, भीमताल, सातताल के आसपास ही हुई थी। 2006 की फिल्म ‘चाँद के पार चलो’ नैनीताल के मोह में डूबी थी। 2006 की फिल्म उत्थान का नाम शायद की किसी को याद इस फ़िल्म के निर्माता थे कुमार शानू । ज्यादातर हिस्सा नैनीताल जिले में ही फिल्माया गया था। 2006 की फिल्म विवाह नैनीताल में फिल्माई गयी थी। आदमी और इंसान, आये दिन बहार के, दुल्हन एक रात की होली आई रे शिकार ।
