विश्व रेबीज दिवस प्रतिवर्ष 28 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन लुई पाश्चर की बरसी का दिन है, जिन्होंने पहला रेबीज टीका विकसित किया था तथा रेबीज रोकथाम की नींव रखी थी। यह रेबीज़ के बारे में जागरूकता एवं इसकी रोकथाम प्रसारित करने के लिए कार्यक्रमों के आयोजन या उनमें भाग लेने का दिन है।
‘रेबीज़ को 2030 तक ख़त्म करें’ |
विश्व रेबीज़ दिवस के लिए प्रतिवर्ष अलग-अलग विषय का चयन किया जाता है। यह विषय 2030 तक “कुत्ते से होने वाली रेबीज से मनुष्य मृत्यु खत्म करने” तक पहुंचने के लिए वैश्विक लक्ष्य और रूपरेखा को दर्शाता है। यह लक्ष्य प्रमुख अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों डब्ल्यूएचओ , ओआईई और एफएओ और वैश्विक रेबीज नियंत्रण गठबंधन द्वारा निर्धारित किया गया हैं।
रेबीज क्या है?
रेबीज संक्रामक वायरल रोग है। यह अपने लक्षणों की शुरुआत से हमेशा ही घातक है, लेकिन इसे पूरी तरह से रोका जा सकता है। इसके बावजूद, अफ्रीका और एशिया के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों में होने वाली 90% मौतों के साथ विश्व में प्रतिवर्ष अनुमानित 59,000 लोग रेबीज से मर जाते हैं।
रेबीज भारत में प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, जिससे प्रतिवर्ष लगभग 20,000 लोगों की मृत्यु हो जाती है। यह अंडमान और निकोबार एवं लक्षद्वीप द्वीप समूह के अपवाद के साथ पूरे देश में स्थानिक है।
यह जानवरों से मनुष्यों में फैलता है और मनुष्यों के लगभग 99% मामलों में कारण कुत्ते का काटना होता है। मनुष्य में रेबीज़ का वायरस, रेबीज़ से पीड़ित जानवर के काटने से होने वाले घाव और खरोंच एवं लार से प्रवेश करता है। कुत्ते के काटने के बाद रेबीज के लक्षण एक से तीन महीने में दिखाई देते हैं।
बच्चे (पांच से पंद्रह वर्ष की आयु के बीच के बच्चे) अपने चंचल स्वभाव के कारण कुत्ते के काटने और रेबीज़ के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं, क्योंकि वे प्राय: कुत्ते के काटने और रोग के बारे में जागरूकता के बिना कुत्तों के साथ खेलते हैं। बच्चे प्राय: डांट के डर से बचने के लिए माता-पिता से कुत्ते के काटने/घावों को छुपाते हैं। कभी-कभी कुत्तों द्वारा बच्चों पर हमला किया जाता है, जबकि उन्हें कुत्ते के काटने/खरोंच के बारे में जानकारी नहीं होती है और माता-पिता प्राय: हमले की अनदेखी करते हैं या सामान्यत: घाव का उपचार गर्म मिर्च या हल्दी जैसे घरेलु उत्पाद लगाकर कर देते है।
रेबीज की रोकथाम
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने रेबीज के कारण मनुष्य मृत्यु से बचाव और रेबीज (कुत्ते) नियंत्रण के माध्यम से रेबीज के संचारण को रोकने के उद्देश्य से राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम” को लागू किया है।
कार्यक्रम के अनुसार, रेबीज़, विभिन्न निवारक उपायों, जानवर के काटने के तुरंत बाद चिकित्सा देखभाल की प्राप्ति के महत्व के बारे में सार्वजानिक जागरूकता उत्पन्न करना है। लोगों को निम्न तथ्यों के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए- कुत्ते के काटने से बचने के लिए लोगों विशेषकर बच्चों को कुत्ते के व्यवहार और उसकी शारीरिक भाषा (जैसे कि गुस्से, संदिग्ध, दोस्ती) के बारे में शिक्षित करना।
- रेबीज से बचने के लिए कुत्ते के काटने की स्थिति में काटने के बाद टीकाकरण लेना।
यदि कुत्ता काटता है→साबुन और पानी से दस मिनट तक धोएं→ स्वास्थ्य केंद्र जाएं→ काटने के उपचार के लिए (घाव की देखभाल + प्रोफिलैक्सिस अर्थात् पीईपी- काटने के बाद) टीकाकरण लें।
- कुत्तों के टीकाकरण से रेबीज रोकें।
- उच्च जोखिम वाले समूहों जैसे कि वायरस को संभालने वाले प्रयोगशाला कर्मचारियों, संक्रमित सामग्री, मनुष्य रेबीज के मामलों को संभालने वाले चिकित्सकों और व्यक्तियों, पशु चिकित्सकों, पशु संचालकों और पकड़ने वालों, वन्यजीव वार्डन को पूर्व-ज़ोखिम टीकाकरण लेने की सलाह दी जाती है।
क्या न करें
- नंगे हाथ से घाव छूना।
- कटे घाव पर मिट्टी, मिर्च, तेल, जड़ी-बूटियां, चाक, पान की पत्तियों जैसे उत्तेजक पदार्थ लगाना।
संदेश
- अपने कुत्ते का टीकाकरण कराएं। रेबीज के खिलाफ़ कुत्तों के संरक्षण से आप अपनी एवं अपने परिवार की रक्षा भी कर सकते हैं।
- कुत्ते के काटने से बचें: कुत्ते की शारीरिक भाषा को पढ़ना सीखें, उन्हें तंग न करें या उन पर हमला न करें।
- बच्चों को सिखाएं कि यदि कोई जानवर उन्हें कटता या खरोंच मरता है, तो वे ये बात उन्हें बताएं। ऐसा करने के लिए बच्चे को प्रोत्साहित करें।
- घाव को तुरंत दस मिनट तक धोएं और टीकाकरण के बारे में अपने चिकित्सक से परामर्श करें।एजेन्सी