महानायक अमिताभ बच्चन ने अपना 80वां जन्मदिन मनाया। उनके फैन्स और करीबी बधाइयाँ दे रहे हैं और लम्बी उम्र की प्रार्थना की जा रही है। दरअसल अमिताभ अपने पुनर्जन्म में जी रहे हैं और उनकी उम्र सिर्फ 40 साल है। अग्निपथ पर चलकर उन्होंने मौत को पराजित किया।
अग्निपथ सिर्फ अमिताभ बच्चन की एक फिल्म का ही नाम नहीं है। ये बच्चन के दर्द का वो अग्निपथ है जिससे वो गुजर चुके हैं। यहां तक कि एक बार मौत को भी मात देकर मुकद्दर का सिकंदर बन चुके हैं। इस बर्थडे के मौके पर आज उनके फैन्स उस घटना को याद कर सिहर उठते हैं, जब बिग बी को क्लिनिकली डेड घोषित कर दिया गया था। दरअसल 26 जुलाई 1982 को बेंगलोर के यूनिवर्सिटी कैम्पस में फिल्म कुली की शूटिंग में अमिताभ को पुनीत इस्सर का एक घूंसा पेट में इस कदर लगा था कि बच्चन लगभग मौत के मुंह में पहुंच गए थे।
फिल्म कुली के सेट पर माहौल उस दिन आम शूटिंग जैसा ही था– मनमोहन देसाई ने कॉलेज के हाल में एक फाईट सीन का सेट लगाया। पुनीत इस्सर ने अमिताभ से फाईट के दौरान पहले पेट पर एक मुक्का मारा और फिर उन्हें उठा कर टेबल पर फेंका। बच्चन को पहली चोट मुक्के से पेट पर लगी और बाद में टेबल का एक कोना उसी चोट वाली जगह पर जोर से धंस गया। बिग बी गिर पड़े। पेट के अंदर खून का बहाव तेजी से फैलने लगा। पहले तुरंत स्थानीय अस्पताल में ले जाया गया और बाद में बिग बी को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में शिफ्ट किया गया। बच्चन की चोट की खबर आग की तरह फैल गई। फैन्स का हुजूम अस्पताल के बाहर इकट्ठा होने लगा था। इसी दौरान बच्चन के निधन की खबर उड़ी तो लोग हक्के बक्के रह गए। बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि इस दौरान अमिताभ बच्चन करीब 11 मिनट तक क्लीनिकली डेड थे। डाक्टरों ने तुरंत उन्हें इंजेक्शन दिया। और जैसे ही बच्चन के शरीर में हल्की सी हरकत हुई, जया बच्चन जोर से चिल्लाई देखो वो जिन्दा हैं।
बताते हैं कि तुरंत डाक्टर फारुख उदवाडिया और उनके डाक्टरों की टीम ने राहत की सांस ली और स्प्लेनेक्टोमी सर्जरी करने का फैसला किया। इसके लिए करीब १७ बोतल खून की जरुरत थी। इस बात का पता चलते ही खून देने के लिए बच्चन के चाहने वालों की लम्बी कतार लग गई। दो हफ्ते की जद्दोजहद के बाद आखिरकार बच्चन की हालत में सुधार हुआ। जया बच्चन इस दौरान रोज छह किलोमीटर पैदल चल कर सिद्धिविनायक मंदिर जाती रहीं। पूरी तरह ठीक होने में बच्चन को करीब छ: महीने का समय लग गया लेकिन मौत को हरा कर आये इस शहंशाह के लिए आज भी40 साल पहले लगी वो चोट, रह रह कर दर्द दे जाती है। (हिफी)