जयंती पर विशेष- गढ़वाल (बुधाणी गांव) में 25 अप्रैल, 1919 को जन्मे हेमवती नंदन बहुगुणा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके है। पढ़ाई के दौरान वो लाल बहादुर शास्त्री से मिले थे। इसके बाद 1936 से 1942 तक वो छात्र आंदोलनों में शामिल रहे थे। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उनकी भूमिका ने उन्हें लोकप्रियता दिला दी। उनकी क्रांतिकारी सोच को देखते हुए उस समय अंग्रेजों ने उन्हें जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर पांच हज़ार रुपए का ईनाम रखा था। 1952 में सर्वप्रथम विधान सभा सदस्य निर्वाचित। पुनः 1957 से लगातार 1969 तक और 1974 से 1977 तक उत्तर प्रदेश विधान सभा सदस्य। 1952 में उत्तर प्रदेश कांग्रेस समिति तथा 1957 से अखिल भारतीय कांग्रेस समिति सदस्य। अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव।
1957 में डा0 सम्पूर्णानन्द जी के मंत्रिमण्डल में सभासचिव। डा0 सम्पूर्णानन्द मंत्रिमण्डल में श्रम तथा समाज कल्याण विभाग के पार्लियामेन्टरी सेक्रेटरी। 1958 में उद्योग विभाग के उपमंत्री। 1962 में श्रम विभाग के उपमंत्री। 1967 में वित्त तथा परिवहन मंत्री। 1971,1977 तथा 1980 में लोक सभा सदस्य निर्वाचित। 2 मई,1971 को केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में संचार राज्य मंत्री बने । पहली बार 8 नवम्बर, 1973 से 4 मार्च, 1974 तथा दूसरी बार 5 मार्च, 1974 से 29 नवम्बर, 1975 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।1977 में केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में पेट्रोलियम,रसायन तथा उर्वरक मंत्री। 1979 में केन्द्रीय वित्त मंत्री। विदेश यात्रा इंग्लैण्ड़, जर्मनी, इटली, मिश्र आदि देशों की यात्राएं की।
1984 के लोक सभा चुनाव में राजीव गांधी ने अमिताभ बच्चन को हेमवती नंदन बहुगुणा के खिलाफ खड़ा कर दिया। इस चुनाव में अमिताभ बच्चन ने बहुगुणा को एक लाख 87 हज़ार वोट से हराया था। हेमवती नंदन बहुगुणा का 17 मार्च, 1989 को निधन हो गया था ।
खांटी कांग्रेसी रहे हेमवती नंदन बहुगुणा के बेटे विजय बहुगुणा और बेटी रीता बहुगुणा जोशी अब बीजेपी में हैं। विजय बहुगुणा उत्तराखंड में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत से अपने वर्चस्व और द्वंद्व की लडाई में अलग हुए थे 2014 में बीजेपी से अपने को जोड़ चुके हैं ।एजेन्सी