विश्व पुस्तक दिवस 23 अप्रैल को विश्व साहित्य के प्रतीक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन 1616 में सर्वंतेस, शेक्सपियर और इन्का गर्सिलासो दे ला वेगा की मृत्यु हुई थी। यह दिन कई और प्रमुख लेखकों का भी जन्म या फिर मरण दिवस है।विश्व भर के लेखकों को सम्मान देने के लिए इस दिन का चयन किया जाना एक स्वाभाविक कदम था। इस दिन का उद्देश्य सभी को, और खासकर युवाओं को, पठन का आनंद उठाने की प्रेरणा देना है। साथ ही इसका उद्देश्य उन सभी लेखकों के लिए आदर का भाव जगाना है, जिन्होंने मानवता की सामाजिक और सांस्कृतिक प्रगति में सहयोग दिया है।इसी दिशा में कदम उठाते हुए, यूनेस्को ने विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस की स्थापना की।बचपन में स्कूल से आरंभ हुई पढ़ाई जीवन के अंत तक चलती है, पर दुर्भाग्यवश आजकल पढ़ने की प्रवृत्ति लोगों में कम होती जा रही है। पुस्तकों से लोग दूर भाग रहे हैं। आज सब लोग सभी कुछ नेट पर ही खंगालना चाहते हैं। शोध बताते हैं कि इसके चलते लोगों की जिज्ञासु प्रवृत्ति और याद करने की क्षमता भी ख़त्म होती जा रही है। बच्चों के लिए तो यह विशेष समस्या है। पुस्तकें बच्चों में अध्ययन की प्रवृत्ति, जिज्ञासु प्रवृत्ति, सहेजकर रखने की प्रवृत्ति और संस्कार रोपित करती हैं। पुस्तकें न सिर्फ ज्ञान देती हैं, बल्कि कला, संस्कृति, लोकजीवन, सभ्यता के बारे में भी बताती हैं। नेट पर लगातार बैठने से लोगों की आँखों और मस्तिष्क पर भी बुरा असर पड़ रहा है। ऐसे में पुस्तकों के प्रति लोगों में आकर्षण पैदा करना जरुरी हो गया है। इसके अलावा तमाम बच्चे गरीबी के चलते भी पुस्तकें नहीं पढ़ पाते, इस ओर भी ध्यान देने की जरुरत है। ‘सभी के लिए शिक्षा क़ानून’ को इसी दिशा में देखा जा रहा है।
महत्वपूर्ण पुस्तकें व उनके लेखक
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