मुबारक साल गिरह। संजय दत्त ने हिन्दी फ़िल्मों में 1981 में काम करना आरम्भ किया। उसके बाद उन्होंने कई प्रसिद्ध हिन्दी फ़िल्मों में अभिनय किया। उन्होंने फ़िल्मों में प्रेमी, हास्य अभिनय भी किये और अपराधी, ठग और पुलिस अधिकारी का अभिनय भी किया जिसके लिए अपने प्रशंसकों और फ़िल्म समालोचकों से अभूतपूर्व प्रशंसा प्राप्त की। संजय दत्त को अप्रैल 1993 में आतंकवादियों की सहायता करना, नौ मिमी पिस्टल को अवैध तरिके से अपने घर पर रखने और एके-56 रायफल रखने के आरोप में आतंकवादी तथा विघटनकारी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (टाडा) के तहत गिरफ्तार किया गया। 18 माह जेल की सजा काटने के बाद, उन्हें अप्रैल 1995 में जमानत मिल गई। जुलाई 2007 में उन्हें छः वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई। सर्वोच्य न्यायालय ने 21 मार्च 2013 के अपने निर्णय में उन्हें 1993 के मुम्बई बम विस्फोट मामले में पाँच वर्ष की सश्रम कारावास की सजा सुनाई।
संजय दत्त का जन्म 29 जुलाई 1959 को सुनील दत्त और नर्गिस के घर हुआ। उनकी दो बहनें हैं- प्रिया दत्त और नम्रता दत्त। उनकी शिक्षा कसौली के पास लॉरेंस स्कूल, सनावर में हुई। उनकी माँ का मई 1981 में, उनकी पदार्पण फ़िल्म के प्रथम प्रदर्शन से तीन दिन पहले निधन हो गया। उन्हें 19*82 में अवैध मादक पदार्थ रखने के आरोप में 5 माह की कारावास की सजा हुई थी। उन्होंने 2 वर्ष संयुक्त राज्य अमेरिका में व्यतीत किये। उनका अमेरिका में अधिकतर समय टेक्सास रेहाब क्लिनिक (टेक्सास पुनर्वसन क्लिनिक) में गुजरा। उसके बाद उन्होंने पुनः भारत आकर अपने कैरियर की ओर ध्यान दिया।
संजय दत्त ने 1987 में ऋचा शर्मा के साथ विवाह किया।ऋचा शर्मा की ब्रेन ट्यूमर के कारण 1996 में मृत्यु हो गई। इस दम्पति के घर में 1988 में लड़की ने जन्म लिया जिसका नाम त्रिशाला है और वो संजय दत्त की पत्नी की मृत्यु और उनकी हिरासत के बाद अपने नाना-नानी के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका में रहती है।संजय दत्त का दूसरा विवाह मॉडल रिया पिल्लई के साथ 1998 में हुआ।2005 में उनका तलाक हो गया। संजय दत्त ने दो वर्ष डेटिंग करने के बाद 2008 में मान्यता ( दिलनवाज़ शेख) के साथ विवाह किया।21 अक्टूबर 2010 वो दो जुड़वा बच्चों के पिता बने जिनमें लड़के का नाम शहरान और लड़की का नाम इक़रा रखा।
1999 उनके लिये वापसी का दौर रहा। उसी वर्ष उनकी फ़िल्म वास्तव के लिये उन्हें पहला फ़िल्म फेयर पुरस्कार मिला। उनकी सबसे सफल फ़िल्म लगे रहो मुन्ना भाई २००६ के उत्तरार्द्ध में प्रदर्शित हुई। इस फ़िल्म के लिए उन्हें उनके मुन्ना भाई के अभिनय के लिए विभिन्न पुरस्कारों सहित भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ॰ मनमोहन सिंह से भी पुरस्कार मिला।
31 जुलाई 2007 को टाडा अदालत ने संजय दत्त को अवैध हथियार रखने का आरोपी पाया, मुम्बई विस्फोटों में शामिल होने के आरोपों से बरी कर दिया गया। संजय दत्त पुनः ऑर्थर जेल में आ गये और शीघ्र ही उन्हें पुणे की यरवदा केंद्रीय कारागार में भेज दिया गया। संजय ने सजा के खिलाफ अपील की और 20 अगस्त 2007 को अंतरिम जमानत मिल गई, उसी समय टाडा अदालत ने उन्हें अपने फैसले की एक प्रति प्रदान की। 22 अक्टूबर 2007 को संजय वापस जेल में चले गये, जहाँ से उन्होंने फिर से जमानत के लिए आवेदन दिया। 27 नवंबर 2007 को, संजय को सर्वोच्च न्यायालय ने जमानत दे दी थी। 21 मार्च 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने टाडा अदालत के फैसले को बरकरार रखा, लेकिन सजा कम कर पांच साल की कारावास कर दिया। जिनमें से 18 महीने वह मुकदमे के दौरान पहले ही जेल में बिता चुके थे। उन्हें अधिकारियों को आत्मसमर्पण करने के लिए चार सप्ताह दिए गए थे, अदालत ने अपराध की गंभीरता के कारण उन्हें प्रोबेशन पर रिहा करने से इनकार कर दिया था।
16 मई 2013 को उन्होंने मुंबई पुलिस को आत्मसमर्पण कर दिया। संजय दत्त को यरवदा केंद्रीय कारागार में रखा गया। उन्हें 21 दिसंबर 2013 में पैरोल मिल गई। पैरोल को मार्च 2014 तक तीन बार बढ़ाया गया, जिस पर बंबई उच्च न्यायालय ने चिंता जताई और महाराष्ट्र सरकार से पैरोल के कानून में संशोधन करने का प्रस्ताव दिया। वह पेरोल समाप्त होने के बाद यरवदा जेल लौट आये। 24 दिसंबर को यरवदा सेंट्रल जेल अधिकारियों द्वारा दी गई दो हफ्ते की फरलो (थोड़े दिन की छुट्टी) पर संजय बाहर रहे। 25 फरवरी 2016 को संजय दत्त को उनके अच्छे व्यवहार कि चलते जेल की अवधि पूरी होने से पूर्व रिहा कर दिया गया था।