सरोज ख़ान प्रसिद्ध कोरियोग्राफ़र थीं। उन्होंने अपने कॅरियर में 200 से भी अधिक फ़िल्मों में काम किया। चार दशक के लंबे कॅरियर में सरोज ख़ान को 2,000 से ज़्यादा गानों की कोरियोग्राफ़ी करने का श्रेय हासिल है। सरोज ख़ान को अपनी कोरियोग्राफ़ी की कला के कारण तीन बार “नेशनल अवॉर्ड” मिल चुका था। संजय लीला भंसाली की फ़िल्म ‘देवदास’ में ‘डोला-रे-डोला’ गाने की कोरियोग्राफ़ी के लिए उन्हें ‘नेशनल अवॉर्ड’ मिला।
सरोज ख़ान ने आख़िरी बार करण जौहर के प्रोडक्शन हाउस के तले बनी फिल्म ‘कलंक’ में ‘तबाह हो गए’ गाने को कोरियोग्राफ़ किया था। इस गाने में माधुरी दीक्षित नज़र आई थीं। यह फ़िल्म 2019 में रिलीज़ हुई थी। माधुरी दीक्षित की फिल्म ‘तेज़ाब’ के यादगार आइटम गीत ‘एक-दो-तीन’ और 2007 में आई फिल्म ‘जब वी मेट’ के गीत ‘ये इश्क…’ के लिए भी उन्हें नेशनल अवॉर्ड मिला था।
निर्मला नागपाल का जन्म 22 नवंबर, 1948 को बम्बई में किशनचंद सद्धू सिंह और नोनी सद्धू सिंह के घर हुआ था। सरोज ख़ान ने 200 से ज्यादा फ़िल्मों के लिए कोरियोग्राफ़ी की। निर्मला के तौर पर जन्म होने के बाद सरोज ख़ान का परिवार विभाजन के बाद भारत आ गया था। उन्होंने बाल कलाकार के रूप में अपने कॅरियर की शुरुआत तीन साल की उम्र में की थी। पहली बार वह ‘नज़राना’ फ़िल्म में श्यामा के रूप में नज़र आई थीं। इसके बाद 1950 के दशक में वह बैकग्राउंड डासंर का काम करती रहीं।
सरोज ख़ान ने 13 साल की उम्र में बी. सोहनलाल से विवाह कर लिया था, जो पहले से शादीशुदा थे। सरोज ख़ान ने अपनी शादी के बारे में एक इंटरव्यू में बताया था कि- “जब मेरी शादी हुई उस वक्त मैं स्कूल जाया करती थी। मुझे नहीं पता था कि शादी के मायने क्या होते हैं। एक दिन मास्टर सोहनलाल ने उनके गले में एक धागा बांध दिया। उन्हें लगा कि उनकी शादी हो गई है। शादी में काफी परेशानियां आई थीं। सरोज ख़ान को पता नहीं था कि उनके पति पहले से ही शादीशुदा हैं। बेटे राजू खान के जन्म के बाद उन्हें इस बारे में पता चला। उस समय वह 14 साल की थीं। 1965 में उन्होंने दूसरे बच्चे को जन्म दिया। उसकी आठ महीने बाद ही मृत्यु हो गई। सरोज ख़ान के बच्चों को उनके पति ने नाम देने से इंकार कर दिया। इस कारण दोनों अलग हो गए। हालांकि सोहन के हार्ट अटैक आने के बाद दोनों फिर एक हुए। इस दौरान उनकी बेटी कुकु का जन्म हुआ। सरोज ख़ान ने दोनों की परवरिश अकेले की थी।
उन्होंने अपने पति से ही नृत्य सीखा। उनके पति बी. सोहनलाल कथक, मणिपुरी, कथकली, भरतनाट्यम आदि शास्त्रीय नृत्यों के उस्ताद थे। इसके बाद सरोज ख़ान ख़ुद कोरियाग्राफ़र बनने के लिए चल पड़ीं। शादी के कुछ सालों बाद ही इन दोनों के रिश्ते में परेशानियाँ आने लगी और बी. सोहनलाल सरोज ख़ान को हमेशा के लिए छोड़कर मद्रास चले गए। सरोज ख़ान ने सरदार रोशन ख़ान से दूसरी शादी की और एक बेटी को जन्म दिया। फ़िलहाल उनकी बेटी दुबई में डांस स्कूल चलाती है। रोशन ख़ान मुस्लिम हैं, इस वजह से सरोज ख़ान ने भी इस्लाम धर्म अपना लिया।
सरोज ख़ान ने एक बार पाकिस्तानी टीवी को दिए इंटरव्यू में बताया था कि- “मैंने अपनी मर्ज़ी से इस्लाम को कुबूला था और वह आज तक मुस्लिम धर्म का पालन करती हैं।”
पहले सरोज ख़ान असिस्टेंट कोरियोग्राफ़र थीं। इसके बाद 1974 में आई फिल्म ‘गीता मेरा नाम’ से वह स्वतंत्र कोरियोग्राफ़र बन गईं। 1986 में आई फिल्म ‘नगीना’ सरोज ख़ान के लिए मील का पत्थर साबित हुई। इस फिल्म में सरोज ख़ान ने श्रीदेवी को ‘मैं तेरी दुश्मन गाने’ पर डांस कराया, जो हिट हुआ और इसी गाने की वजह से सरोज को प्रसिद्धि मिली। सरोज ख़ान ने फिल्म ‘तेज़ाब’, ‘ख़लनायक’, ‘मिस्टर इंडिया’, ‘चालबाज’, ‘नगीना’, ‘चांदनी’, ‘हम दिल दे चुके सनम’, ‘देवदास’ कई मशहूर फ़िल्मों के गानों को कोरियोग्राफ़ किया।
बॉलीवुड में शायद ही ऐसा कोई बड़ा स्टार हो जिसे सरोज ख़ान ने डांस न कराया हो। हर किसी को अपनी ताल पर नचाने वाली सरोज ख़ान पूरे देश में ‘डांस मास्टर’ के नाम से जानी जाती थीं।
सरोज ख़ान को सफलता फ़िल्म ‘मिस्टर इंडिया’ में श्रीदेवी के ऊपर फिल्माए गए गाने ‘हवा-हवाई’ से मिली। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। डांसिग दीवा माधुरी दीक्षित को डांस सिख़ाने में उनका अहम योगदान था। 2002 की ‘देवदास’, 2006 की ‘श्रृंगारम’ और 2007 की ‘जब वी मेट’ के लिए उन्हें कोरियोग्राफी के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला।
सरोज ख़ान के साथ माधुरी दीक्षित का विशेष लगाव था। माधुरी दीक्षित ने ट्वीट कर लिखा, ‘मैं अपनी दोस्त और गुरु सरोज ख़ान के निधन से शोक में हूं। डांस में मेरा बेस्ट देने और मुझे कामयाबी तक पहुंचने में मेरी मदद करने के लिए मैं हमेशा उनकी आभारी रहूंगी। दुनिया ने एक बेहतरीन टैलेंटेड शख्स को खो दिया। मैं हमेशा आपको याद करूंगी। उनके परिवार को मेरी सांत्वना। भगवान आपकी आत्मा को शांति दे सरोज जी।’
माधुरी ने इंस्टाग्राम पर सरोज ख़ान के साथ अपनी कुछ ख़ास तस्वीरें शेयर कीं और लिखा, ‘मैं आज गहरे दुख में हूं और मेरे पास शब्द नहीं हैं। शुरुआत से सरोज जी मेरे सफ़र का हिस्सा थीं। उन्होंने मुझे बहुत कुछ सिखाया, ना केवल डांस बल्कि और भी बहुत कुछ। इस बड़ी व्यक्तिगत क्षति के बारे में सोचकर मेरे दिमाग में बहुत सी यादें घूम रही हैं। उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं।’
माधुरी दीक्षित को स्टार बनाने के पीछे सरोज ख़ान को बड़ी वजह माना जाता है। उन्होंने 1988 में रिलीज हुई माधुरी दीक्षित की फिल्म ‘तेज़ाब’ के मशहूर गाने ‘एक दो तीन’ को कोरियोग्राफ़ किया था, जिसके बाद माधुरी को पहचान मिली। सरोज ख़ान और माधुरी दीक्षित ने कई गानों में साथ काम किया, जिसमें ‘चने के खेत में’, ‘डोला रे डोला’, ‘धक धक’, ‘तम्मा तम्मा’ और ‘चोली के पीछे क्या है’ शामिल है। सरोज ख़ान ने आख़िरी बार माधुरी दीक्षित का गाना ही कोरियोग्राफ़ किया था। 2019 में रिलीज हुई फिल्म ‘कंलक’ के गाने ‘तबाह हो गए’ को सरोज ख़ान ने कोरियोग्राफ किया था, जिसमें माधुरी दीक्षित थीं। सरोज ख़ान कई रिएलिटी शो में जज के तौर पर भी दिखाई दीं। जिसमें नच बलिए, उस्तादों के उस्ताद, नच ले वे विद सरोज ख़ान, बूगी-वूगी, झलक दिखला जा जैसे कार्यक्रम शामिल हैं। माधुरी दीक्षित ने सरोज ख़ान के साथ आख़िरी बार ‘गुलाब गैंग’ में काम किया था।
फिल्म जगत की मशहूर कोरियोग्राफ़र सरोज ख़ान का 3 जुलाई, 2020 को कार्डियक अरेस्ट के चलते मुंबई में निधन हुआ। वे बीते कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रही थीं। उन्हें बांद्रा स्थित एक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। उनका कोविड-19 टेस्ट निगेटिव आया था।भारत कोष से।