जयन्ती पर विशेष। टुन टुन पार्श्वगायिका और हास्य अभिनेत्री थीं। इनका असली नाम उमा देवी खत्री था। इन्हें हिन्दी सिनेमा की पहली हास्य अभिनेत्री भी कहा जाता है। ये फिल्मों में उमादेवी के नाम से गाती थीं। उमा देवी खत्री, का जन्म 11 जुलाई 1923 संयुक्त प्रांत अब उत्तर प्रदेश के ग्रामीण पंजाबी परिवार में हुआ था। इनके माता पिता की मृत्यु इनके बचपन में ही हो गयी थी और इन्हे इनके चाचा ने पाला था। 13 वर्ष की आयु में ये घर से बम्बई अब मुंबई आ गयी थीं। 1947 में उन्हें पहली बार गाने का मौक़ा मिला। संगीत की कोई औपचारिक शिक्षा न होने पर उनकी आवाज़ में एक ख़ास मिठास थी। उनकी आवाज़ पर नूरजहाँ और शमशाद बेगम का प्रभाव साफ़ नज़र आता था। फिल्म दर्द के गीत ‘अफ़साना लिख रही हूँ, दिले बेक़रार का ‘ ने उन्हें शोहरत की नई बुलंदियों पर पहुँचाया। उनकी अभिनय प्रतिभा को पहचाना उन्हें बढ़ावा देने वाले संगीतकार नौशाद अली ने और उन्होंने ही उमा देवी को सलाह दी हास्य अभिनेत्री बनने की। उनका फ़िल्मी नाम टुनटुन रखा गया और वह फिर उसी नाम से मशहूर हुईं। बतौर हास्य अभिनेत्री उनकी पहली फ़िल्म ‘बाबुल’ थी जिसके हीरो दिलीप कुमार और हीरोइन नरगिस थीं।
उनकी लोकप्रियता का आलम ऐसा था कि उस दौर में वह हर दूसरी -तीसरी फिल्म में होती थी भले ही उनकी भूमिका छोटी ही क्यों न हो | वह असल जिन्दगी में भी उतनी ही मस्तमौला थी जितनी फ़िल्मी पर्दे पर नजर आती थी | बतौर अभिनेत्री उन्होंने उडन खटोला,बाज,आर-पार,मिस कोका कोला,मिस्टर एंड मिसेज 55,राजहठ,कोहिनूर, बेगुनाह,उजाला,12 ओ क्लॉक,दिल अपना प्रीत पराई,कभी अँधेरा कभी उजाला,मुजरिम,जाली नोट,एक फूल चार कांटे,कश्मीर की कली,अक्लमंद,दिल और मोहब्बत,सीआईडी,एक बार मुस्कुरा दो,“अंदाज में अभिनय किया।
कुर्बानी और “नमकहलाल” फिल्मे करने के बाद खुद अभिनय से उन्होंने दूर कर लिया और 24 नवम्बर 2003 को मुम्बई में उनका निधन हो गया था । अपने फिल्मी कैरियर के दौरान इन्होने लगभग 198 फिल्मों और उस समय के लगभग सभी प्रमुख हास्य अभिनेताओं भगवान दादा, आग़ा, सुन्दर, मुकरी, धूमल और जॉनी वॉकर के साथ काम किया। इनकी आखिरी फिल्म 1990 मे प्रदशित होने वाली ‘कसम धंधे की’ थी।एजेन्सी।