तब के आंध्रा प्रदेश अब तेलंगाना राज्य में कृष्णा नदी पर स्थित नागार्जुन सागर बांध आज ही के दिन अस्तित्व में आया था. इसका निर्माण 1966 में पूरा हुआ था जिसके बाद 04 अगस्त, 1967 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसकी दोनों नहरों में पहली बार पानी छोड़ा था। इससे पहले 1955 में इस बांध की नींव तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने रखी थी। इस बांध को बनाने की परिकल्पना 1903 में ब्रिटिश राज के समय की गयी थी। आधुनिक तकनीक से बना नागार्जुन सागर बांध अपनी मजबूती के साथ-साथ अपनी भव्य बनावट और खूबसूरती के लिए भी प्रसिद्ध है।
प्रारम्भ में उद्घाटन के समय पत्थर व ईंट से बना नागार्जुन सागर बांध दुनिया का सबसे बड़ा बांध था। तब के आंध्र प्रदेश के नलगोंडा जिले में नागार्जुन सागर पर बना बांध शहर के बहुत करीब है। नागार्जुन सागर बांध कृष्णा नदी पर निर्मित किया गया है। बांध पर परियोजना का काम 1955 में शुरू किया गया था और 1967 तक पूरा कर लिया गया। बांध में 11,472 मिलियन क्यूबिक मीटर जल को धारण करने की क्षमता है। इसकी ऊंचाई 490 फीट एवं लम्बाई 1.6 किमी है, जो काफी शानदार है तथा आगन्तुकों के लिए इसे देखना एक सुन्दर अनुभव हो सकता है। इसमें 42 फीट चौड़े व 45 फिट लम्बे कुल 26 फाटक हैं। बांध का भारत के इतिहास में बहुत महत्व है क्योंकि देश में हरित क्रांति के एक हिस्से के रूप में शुरू की जाने वाली यह पहली परियोजना थी। यही पहला ऐसा बांध था, जिसे सिंचाई के साथ-साथ आसपास के क्षेत्र को पन बिजली उपलब्ध कराने के लिए भी इस्तेमाल किया गया।