पुण्य तिथि पर विशेष। एजेंसी। जॉन फ़िट्ज़गेराल्ड “जैक” केनेडी अमेरिका के 35वें राष्ट्रपति थे जिन्होने 1961 से शासन सम्भाला था जिसके दौरान 1963 में उनकी हत्या कर दी गई।
अमेरिका के शायद ही किसी राष्ट्रपति ने इतनी शोहरत पायी जितनी जॉन एफ कैनेडी/जॉन फ़िट्ज़गेराल्ड ‘जैक’ कैनेडी ने.कैनेडी अमेरिका के पैंतीसवें राष्ट्रपति थे जिनका कार्यकाल सिर्फ दो साल, दस महीने और दो दिन का था. इसके बावजूद कैनेडी का नाम आज भी दुनिया के चर्चित राष्ट्राध्यक्षों की फेहरिस्त में सबसे आगे नज़र आता है। अमेरिका के 35वें राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी की हत्या 1963 में 22 नवंबर को कर दी गई थी। जब उनकी मौत हुई तब वह सिर्फ 46 साल के थे।
जॉन एफ कैनेडी का जन्म मैसाचुसेट्स में 29 मई, 1917 को हुआ था। सीएनएन के मुताबिक, सेना में अपनी सर्विस देने के बाद जेएफके डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़ गये और 1960 में राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल होकर 43 साल की उम्र में 20 जनवरी, 1961 को अमेरिका के दूसरे सबसे युवा राष्ट्रपति बन गए। कैनेडी एकमात्र ऐसे कैथोलिक राष्ट्रपति थे, जिन्हे पुलित्जर खिताब से सराहा गया था।
वह कैनेडी काल था वे हर जगह थे हर मीडिया कंपनी के चहेते वे अमेरिका की आवाज़ थे अमेरिकी समाज को नयी दिशा और ऊर्जा देने वाले. इसके अलावा एक बात और, वे बेहद ख़ूबसूरत थे। महिलाओं में उनके लिए एक अजीब सा आकर्षण था और कहा जाता है कि कैनेडी की काम भावना भी कुछ ज़्यादा ही तीव्र थी। लिहाज़ा, कुछ रिश्ते पनपने ही थे। पनपे भी मरलिन मुनरो हॉलीवुड की सबसे हसीन अदाकाराओं में थीं । कैनेडी के साथ उनका रिश्ता भी काफी चर्चा में रहा। बताते हैं कि उनकी पहली मुलाकात एक होटल में हुई जो व्हाइट हाउस तक आते-आते ख़त्म हुई। व्हाइट हाउस में एक प्रशिक्षु थीं- मिमी बेअर्दसेली जो बाद में मिमी अल्फोर्ड बनीं। मिमी ने अपनी किताब ‘वन्स अपॉन अ लाइफ’ में लिखा है। ‘मुझे व्हाइट हाउस में नौकरी करते हुए चार दिन ही हुए थे जब कैनेडी मुझे इस इमारत के कमरे दिखाते हुए अपने बेडरुम में ले गए और फिर मैंने जैकलीन कैनेडी के बिस्तर पर अपना कौमार्य खो दिया।’कुछ और भी महिलायें जॉन एफ कैनेडी की जिंदगी में आईं। कैनेडी की आत्मकथा ‘अनफिनिश्ड लाइफ’ लिखने वाले रोबर्ट देलेक के मुताबिक़ वे आदतन आशिक मिज़ाज थे। उनका असंतुलित बचपन, उनके पिता के अवैध संबध, मां-बाप का झगड़ा और अधूरेपन की ख़लिश उन्हें जिंदगी भर सताती रही।’
कैनेडी ने नेहरु की यात्रा को किसी भी राष्ट्राध्यक्ष की सबसे ख़राब यात्रा का दर्ज़ा दिया था।इसके एक महीने बाद जब नेहरू ने पुर्तगाल से गोवा छीन लिया था तब कैनेडी और नाराज़ हो गए थे। पुर्तगाल अमरीका का सहयोगी मुल्क था। हालांकि 1962 में जब चीन ने हिंदुस्तान पर आक्रमण किया तो कैनेडी को भारत की संप्रभुता छीन जाने से ज़्यादा साम्यावाद की जीत का ख़तरा नज़र आया और फिलिपींस में अपनी सेना भेजकर उन्होंने चीन को धमकाने की कोशिश की जो एक हद तक कामयाब भी हुई।
22 नवंबर 1963 को कैनेडी को टेक्सास के डैलास शहर में उस वक्त गोली मार दी गई थी जब वह चुनाव प्रचार के लिए एक ओपन कार में लोगों के बीच जा रहे थे। कैनेडी की हत्या ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। उनकी हत्या के कई कारण सामने आये लेकिन आज तक भी इस हत्या की गुत्थी सुलझ नहीं पाई है. कैनेडी की हत्या के 45 मिनट बाद पुलिस ने ‘ली हार्वी ओसवाल्ड’ नाम के एक व्यक्ति को इस हत्या के लिए गिरफ्तार किया था लेकिन अदालत में उस पर मुकदमा चलने से पहले ही उसे भी मार दिया गया। उसके हत्यारे का नाम जैक रूबी था और वह डलास में एक नाईट क्लब चलाता था।कैनेडी उस दौर में राष्ट्रपति बने थे जब अमेरीका और रूस के बीच पूंजीवाद और समाजवाद की लड़ाई चरम पर थी। वह शीत युद्ध का दौर था। इस लड़ाई ने दुनिया में राजनैतिक रूप ले लिया था। वहीं दूसरी ओर क्यूबा के मिसाइल प्रोग्राम से पूरी दुनिया चिंतित थी। अमेरिका लगातार रूस पर दबाव बना रहा था। इसलिए रूस को वहां से अपनी मिसाइल हटानी पड़ी थीं जो उसके लिए एक बड़ी हार की तरह थी। इसके बाद रूस और अमेरिका के बीच तनाव काफी बढ़ गया। उस समय रूस के राष्ट्रपति निकिता क्रुसचेव थे । कैनेडी की हत्या के बाद यह भी माना गया कि इस हत्या में क्रुसचेव का हाथ हो सकता है। उस समय कहा जा रहा था कि उन्होंने अपनी जासूसी एजेंसी केजीबी एजेंट के हाथों ये काम करवाया है। हालांकि, अब तक इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है।