निसानकारा सावित्री ( सावित्री गणेशन के नाम से भी जानी जाती हैं) अभिनेत्री, गायिका और फिल्म निर्माता थीं, जो मुख्य रूप से तेलुगु और तमिल फिल्मों में अपने काम के लिए जानी जाती हैं। वह 1950 और 60 के दशक में सबसे अधिक भुगतान पाने वाली और सबसे लोकप्रिय अभिनेत्रियों में थीं।
दक्षिण भारतीय सिनेमा की मशहूर अभिनेत्री रहीं सावित्री का 1981 में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। सावित्री अकेली पड़ गई थीं। जिस सावित्री को लोगों ने देखते ही देखते स्टार बनाया उसी की जब मृत्यु हुई तो किसी ने खोज खबर तक नहीं ली। एक समय में लोग उनकी अदाकारी के कायल रहे। यह आलम आज भी है।
40 के दशक के अंतिम सालों में जब उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था, तो उनके बारे कहा गया था कि उन्हें एक्टिंग नहीं आती है। लेकिन 50 की दशक के दस्तक के साथ ही वो इंडस्ट्री की बेहतरीन अदाकारा बन गईं। सावित्री जब छोटी थीं तब ही उनके पिता गुजर गए। सावित्री अपने नाना की देख-रेख में बड़ी हुईं। वह बिना किसी ट्रेनिंग के बेहतरीन डांस करती थी और फिल्म में काम करने मद्रास चली आईं। 14 साल की उम्र में वो पहली बार मद्रास के जेमिनी स्टूडियों पहुंची थी। वहां उनकी फोटोग्राफी जेमिनी गणेशन ने की थी। जिनसे बाद में सावित्री ने शादी कर ली।
सावित्री को पहली बार लीड रोल मिला देवदास में। इसमें उन्होंने पार्वती की भूमिका निभाई थी। इससे पहली की दो फिल्मों में उन्हें साइड रोल मिला था। इस फिल्म ने जबरदस्त सफलता हासिल की। इसके बाद उन्होंने तमिल सिनेमा पर राज करना शुरू कर दिया। इस बीच उनके और जेमिनी गणेशन की नजदीकियां बढ़ी। जेमिनी गणेशन शादी-शुदा थे, लेकिन वो उनसे शादी करना चाहती थीं। उन्होंने अपने प्यार जेमिनी गणेशन के लिए अपनी मां, चाचा और चाची को छोड़ दिया।
यह प्यार के लिए उनकी कुर्बानी थी। शादी के बाद उन्होंने माया बाजार में काम किया। इस फिल्म ने उनकी शोहरत में चार चांद लगा दिए। एक के बाद एक फिल्में उन्हें मिलती गई। बड़े-बड़े एक्टरों के साथ उन्होंने फिल्में की। सावित्री अपने करियर के चरम पर थीं। उनकी फीस बढ़ चुकी थी। गणेशन (सावित्री के पति) उस वक्त तक साधारण अभिनेता ही थे। सावित्री के दो बच्चे थे। जब उनको बेटा हुआ, गणेशन उनसे दूर होने लगे। उन्हें सावित्री की शोहरत से चिढ़ होने लगी।
लोग उन्हें अब सावित्री के पति के रूप में जानने लगे। दोनों की बीच दूरिया बढ़ने लगी। रिश्तों की खाई इतनी चौड़ी हो गई कि वो एक-दूसरे से अलग हो गए। नशा, अकेलापन और संबंध टूटने से वे काफी टूट गईं। उन्हें फिल्म निर्माण में घाटा लगा। इनकम टैक्स के रेड पड़े। अंत में उन्होंने अपनी अधिकतर संपत्ति दान देने का फैसला किया। उन्होंने जरूरतमंदों की मदद के लिए अपने गहने और कपड़े तक नीलाम कर दिए। बाद में जब उन्हें इनकी जरूरत पड़ी तो किसी ने उनकी सुध भी नहीं ली। आखिरकार वह कोमा में चली गईं, जिसके बाद उनकी मौत हो गई। बीबीसी के मुताबिक जिस देवदास से उन्हें शोहरत मिली थी, वो उसी देवदास की तरह प्यार की तड़प में मर गईं।साभार