जॉर्ज मैथ्यू फ़र्नांडिस राजनेता थे। वे श्रमिक संगठन के भूतपूर्व नेता, तथा पत्रकार थे। वे राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं। उन्होंने समता मंच की स्थापना की। वे भारत के केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में रक्षा मंत्री, संचारमंत्री, उद्योगमंत्री, रेलमंत्री आदि के रूप में कार्य कर चुके हैं। 14वीं लोकसभा में जॉर्ज फ़र्नान्डिस मुजफ़्फ़रपुर से जनता दल के टिकट पर सांसद चुने गए थे। वे 1998 से 2004 तक की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की केन्द्रीय सरकार में रक्षा मंत्री थे।
जॉर्ज फर्नांडीस का जन्म 3 जून 1930 को मैंगलोर के मैंग्लोरिन-कैथोलिक परिवार में हुआ था। वे अपने भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। परिवार के नजदीकी सदस्य इन्हें ‘गैरी’ कहकर बुलाते थे। इन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा मैंगलौर के स्कूल से पूरी की। इसके बाद मैंगलौर के सेंट अल्योसिस कॉलेज से अपनी 12वीं कक्षा पूरी की। घर की पारम्परा के अनुसार उन्हे 16 वर्ष की आयु में बैंगलोर के सेंट पीटर सेमिनरी में धार्मिक शिक्षा के लिए भेजा गया। 19 वर्ष की आयु में वे सेमिनरी छोड़ भाग गए और मैंगलौर के रोड ट्रांसपोर्ट कंपनी तथा होटल एवं रेस्तरां में काम करने लगे।
1949 में जॉर्ज मैंगलोर छोड़ बम्बई अब मुम्बई काम की तलाश में आ गए। बम्बई अब मुम्बई में इनका जीवन बहुत कठिनाइयों से भरा रहा। एक समाचारपत्र में प्रूफरीडर की नौकरी मिलने से पहले वे फुटपाथ पर रहा करते थे और चौपाटी स्टैंड की बेंच पर सोया करते थे लेकिन रात में ही पुलिस वाला आकर उन्हें उठा देता था जिसके कारण उन्हें जमीन पर सोना पड़ता था।
1950 में वे राममनोहर लोहिया के करीब आए और उनके जीवन से काफी प्रभावित हुए। उसके बाद वे सोशलिस्ट ट्रेड यूनियन के आन्दोलन में शामिल हो गए। इस आन्दोलन में उन्होंने मजदूरों, कम पैसे में कम्पनियों में काम करने वाले कर्मचारियों तथा होटलों और रेस्तरांओं में काम करने वाले मजदूरों के लिए आवाज उठाई। इसके बाद वे 1950 में श्रमिकों की आवाज बन गए।
1961 तथा 1968 में बम्बई सिविक का चुनाव जीतकर वे बम्बई महानगरपालिका के सदस्य बन गए। इसके साथ ही वे लगातार निचले स्तर के मजदूरों एवं कर्मचारियों के लिए आवाज उठाते रहे और राज्य में सही तरीकों से कार्य करते रहे। इस तरह के लगातार आन्दोलनों के कारण वे राजनेताओं की नजर में आ गए। 1967 के लोकसभा चुनाव में उन्हें संयुक्त सोसियलिस्ट पार्टी की ओर से बम्बई अब मुम्बई दक्षिण की सीट से टिकट दिया गया जिसमें वे 48.5 फीसदी वोटों से जीते। इसके कारण उनका नाम ‘जॉर्ज द जेंटकिलर’ रख दिया गया। उनके प्रतिद्वन्द्वी पाटिल को यह हार बर्दाश्त नहीं हुई और उन्होंने राजनीति छोड़ दी।
1960 के बाद जॉर्ज बम्बई अब मुम्बई में हड़ताल करने वाले लोकप्रिय नेता बने। इसके बाद राजनीति में बहुत बदलाव आया और 1969 में वे संयुक्त सोसियालिस्ट पार्टी के महासचिव चुन लिए गए और 1973 में पार्टी के चेयरमैन बने। 1974 में जॉर्ज ने ऑल इंडिया रेलवे फेडरेशन का अध्यक्ष बनने के बाद भारत की बहुत बड़ी रेलवे के खिलाफ हड़ताल शुरू की। वे 1947 से तीसरे वेतन आयोग को लागू करने की मांग कर रहे थे और आवासीय भत्ता बढ़ाने की भी मांग कर रहे थे।
1977 में, आपातकाल हटा दिए जाने के बाद, फ़र्नान्डिस ने अनुपस्थिति में बिहार में मुजफ्फरपुर सीट जीती और उन्हें इंडस्ट्रीज के केंद्रीय मंत्री नियुक्त किया गया। केंद्रीय मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने निवेश के उल्लंघन के कारण, अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों आईबीएम और कोका-कोला को देश छोड़ने का आदेश दिया। वह 1989 से 1990 तक रेल मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कोंकण रेलवे परियोजना के पीछे प्रेरणा शक्ति थी। वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार (1998-2004) में रक्षा मंत्री थे। जॉर्ज फ़र्नान्डिस ने 1967 से 2004 तक 9 लोकसभा चुनाव जीते। पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फ़र्नांडिस का 89 साल की उम्र में 29 जनवरी 2019 को हुआ था। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे ।एजेंसी