स्मृति शेष-सज्जन बॉलीवुड और स्टेज अभिनेता थे। उन्होंने 1950 से 1980 के दशक तक कई नाटकों और फिल्मों में अभिनय किया। उनकी सबसे चर्चित फ़िल्में हैं बीस साल बाद, चलती का नाम गाड़ी,अप्रैल फूल, रेल का डिब्बा और झुमरू।
15 जनवरी, 1921 को जयपुर में जन्मे सज्जन का नाम सज्जन लाल पुरोहित था। लेकिन उन्हें फिल्म उद्योग में सज्जन नाम से ही जाना जाता है। सज्जन ने अपनी स्नातक की पढ़ाई जोधपुर के जसवंत कॉलेज से की। उनकी इच्छा वकील बनने की थी,लेकिन अभिनेता की नहीं। 1941 में, वे कलकत्ता पहुंचे और ईस्ट इंडिया कंपनी की प्रयोगशाला में प्रशिक्षु के रूप में काम किया। फिल्मों में उनकी शुरुआती सफलता मासूम (1941) और चौरंगी (1942) थी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सज्जन कलकत्ता छोड़ कर बम्बई अब मुंबई पहुँचे। बम्बई अब मुंबई ई में उन्होंने प्रसिद्ध निर्देशक केदार शर्मा के सहायक के रूप में काम किया। उस समय, राज कपूर केदार शर्मा के सहायक के रूप में काम किया करते थे। उन्होंने गजानन जागीरदार और वक़ील साहिब के सहायक के रूप में भी काम किया उस वक़्त उन्हें 35 रुपये मिला करते थे। दिल से कवि, सज्जन ने अपनी प्रतिभा दिखाई जब उन्होंने मीना (1944) के लिए संवाद लिखे और दूर चलें (1946) और धन्यवाद (1948) के लिए गीत लिखे। सज्जन ने पृथ्वी थिएटर में छोटी-छोटी भूमिकाओं में भी काम किया। उनकी पहली डेब्यू फिल्म धन्यवाद थी। उसके बाद, बॉम्बे थियेटर की मुकद्दर (1950) रिलीज़ हुई। नायिका थी नलिनी जयवंत। तब तक सज्जन फिल्मों में अच्छी तरह स्थापित हो चुके थे। 1950 और 1960 के दशक में, सज्जन ने फिल्मों में नायक या सह नायक के रूप में काम किया, सैंय्या रेल का डिब्बा, बहाना, शीशा, मालकिन, निर्मोही, कस्तूरी, मेहमान, लगान, गर्ल स्कूल, दो चोर, घर-घर में दीवाली, हा-हा-ही-ही-हू हू, पूनम, हल्ला गुल्ला। नायक के रूप में, उनकी आखिरी फिल्म काबुलीवाला और दो चोर थी, एक कलाकार के रूप में वह आखिरी बार 1986 में राजेश खन्ना के साथ शत्रु में दिखाई दिए थे। 150 से अधिक फिल्मों में काम के साथ सज्जन ने टीवी धारावाहिकों में भी काम किया। विक्रम और बेताल में उन्होंने बेताल का किरदार निभाया जो कि उस समय बहुत चर्चित हुआ था। उनका एक और धारावाहिक लेना देना था।
सज्जन ने 17 मई 2000 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था । एजेन्सी।