स्मृति शेष। योगेश गौड़ जिन्हें केवल योगेश नाम से जाना जाता था। विशेष रूप से उन्हें आनंद (1971) के “कहीं दूर जब दीन ढल जाय” और “जिंदगी कैसी है पहेली” गीतों के लिए सबसे अच्छी तरह से जाना जाता है। योगेश ने साझा किया था कि उन्हें क्या लिखने के लिए प्रेरित किया। “जो दिखा था, जो जेठा था, वोही है (मैंने जो देखा और जिया वो लिखा)। मैंने हमेशा अपने आसपास के लोगों के बारे में लिखा है।
योगेश का जन्म 19 मार्च 1943 को लखनऊ में हुआ था। वह काम की तलाश में 16 साल की उम्र में बॉम्बे चले गए और अपने चचेरे भाई योगेंद्र गौड़ से मदद मांगी जो कि पटकथा लेखक थे।उनका पहला कार्य 1962 में था, जब उन्होंने बॉलीवुड फिल्म सखी रॉबिन के लिए छह गीत लिखे, जिसमें “तुम जो आ गए” गीत भी शामिल था। जिसे मन्ना डे ने गाया था। इस गीत ने बॉलीवुड में उनके करियर की शुरुआत की। उन्होंने बेहतरीन निर्देशकों हृषिकेश मुखर्जी और बसु चटर्जी के साथ काम किया।
योगेश ने सुपरहिट फिल्म आनंद (1971) को परिभाषित करने वाले हिट गीतों के बोल “कहीं दूर जब दिन ढल” और “जिंदगी कैसी है पहेली” लिखे। उन्होंने प्रसिद्ध हिंदी गीतों में ‘कहीं दूर जब दिन ढल जाए, जिंदगी कैसी है पहेली हाय, रिमझिम गिरे सावन, कई बार यूँ भी देखा है… , बातों-बातों में से मेरा मन नहीं कहो। योगेश ने लेखक के रूप में टेलीविजन धारावाहिकों में भी काम किया। उनके कार्य में सम्मान के लिये उन्हें दादासाहब फाल्के पुरस्कार के अलावा यश भारती पुरस्कार भी मिल चुका है। इन्होंने कई हजार फिल्मों के गीत लिखे हैं जिसमें मिली (1975), मंज़िल (1979), छोटी सी बात (1975), रजनीगंधा (1974) प्रमुख रही हैं।
योगेश गौड़ का 77 वर्ष की आयु में 29 मई 2020 को निधन हो गया था।एजेन्सी।