पूरी दुनिया को हंसाने वाले चार्ली का जीवन बेहद ही दुख भरा रहा है। लेकिन सभी कठिनाईयों को दूर कर उन्होंने अपने जीवन में हंसी के दरवाजे खोले। चार्ली चैपलिन का जन्म 16 अपैल 1889 को लंदन में हुआ। उनका परिवार बेहद गरीब था। चार्ली जब 9 साल के थे तब से उन्होंने अपना पेट पालने के लिए काम करना पड़ा। पिता शराबी थे और मां की हालत ठीक नही थी। जिसके चलते उनकी मां को पागलखाने में भर्ती किया गया। स्टेज करियर की शुरुआत से ही उन्होंने लोगों को हंसाना शुरु कर दिया था। 19 साल की उम्र में अमेरिकन कंपनी ने उन्हें साइन कर लिया और वह अमेरिका चले गए। वहां चार्ली की मेहनत जारी रही और 1918 तक आते-आते वह दुनिया में अपनी अलग छाप छोड़ चुके थे। लोगों के दिलों में चार्ली अपनी अलग पहचान बना चुके थे। चार्ली चैपलिन जब अपना करियर बना रहे थे तब उन्होंने पहले विश्व युद्ध को देखा। लेकिन उन्होंने उस घड़ी में भी लोगों को हंसाना कम नही किया। वे अपना काम कर रहे थे। चार्ली ने अपने करियर में दोनों विश्व युद्धों को देखा है। चार्ली चैपलिन ने कहा कि ‘मेरा दर्द किसी के हंसने की वजह हो सकता है पर मेरी हंसी कभी भी किसी के दर्द की वजह नही होनी चाहिए’।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से लेकर मशहूर साइंटिस्ट अल्बर्ट आइंस्टीन, ब्रिटेन की महारानी तक सभी चार्ली चैपलिन के प्रशंसक थे। बॉलीवुड में भी चार्ली के किरदार को निभाया गया है। हम कई फिल्मों में देख सकते है जहां उनके किरदार को कई महान कलाकारों ने निभाया है।
चार्ली विवादों में तब रहे जब उन्होंने मशहूर तानाशाह ‘एडोल्फ हिटलर’ पर ‘द ग्रेट डिक्टेटर’ बनाई। उस फिल्म में चार्ली ने खुद हिटलर का किरदार किया। इस फिल्म में उन्होंने तानाशाह का खुलकर मजाक उड़ाया। लेकिन इस फिल्म के बाद अमेरिका ने उन पर कम्यूनिस्ट होने का आरोप लगाया। इसके बाद चार्ली ने अमेरिका छोड़ दिया और स्विट्जरलैंड में रहने लगे।
दुनिया को हंसाने वाले महान हास्य कलाकार चार्ली चैपलिन का 25 दिसंबर 1977 को देहांत हो गया। उनके शव को कुछ लोगों ने चुरा लिया था हालांकि शव को बाद में बरामद कर लिया गया और चोरी से बचाने के लिए उसे 6 फीट कंक्रीट के नीचे दफनाया गया। एजेन्सी।