मुबारक साल गिरह। मणिरत्नम प्रसिद्ध फ़िल्म निर्माता-निर्देशकों में से एक हैं। वे तमिल तथा हिन्दी दोनों भाषाओं के ख्यातिप्राप्त फ़िल्म निर्माता हैं। जिस तरह नए लोगों के लिए फिल्मों में काम करना बड़ा सपना होता है, उसी तरह स्थापित अभिनेता और अभिनेत्री का सपना होता है कि वह चोटी के निर्देशक के साथ काम करे ताकि उसके कॅरियर को और अधिक प्रोत्साहन मिल सके। मणिरत्नम भी ऐसे निर्देशक हैं, जिनकी फिल्मों में काम करके फिल्म कलाकार अपने आप को भाग्यशाली समझता है। वे ऐसे निर्देशक हैं, जिन्होंने अपनी उम्दा फिल्मों के चलते भारतीय फिल्म उद्योग को विश्व में पहचान दिलाई।
मणिरत्नम का जन्म मदुरई में 2 जून, 1955 को हुआ था। जब उनका जन्म हुआ, तब उन्हें गोपाल रत्नम सुब्रमण्यम के नाम से जाना जाता था। मणिरत्नम पर उनके पिता का प्रभाव साफ तौर पर देखा जा सकता है। उनके पिता रत्नम अय्यर फिल्म निर्माता थे, जो ‘वीनस पिक्चर’ बड़ी प्रोडक्शन कंपनी के साथ काम कर चुके थे।
मणिरत्नम ने स्कूली शिक्षा ‘मद्रास (चेन्नई) में रहकर पूरी की। उन्होंने ‘मद्रास विश्वविद्यालय’ से कॉमर्स क्षेत्र में स्नातक की उपाधि हासिल की। फिल्म बनाने से पहले उन्होंने ‘जमना लाल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट स्टडी’ से एमबीए करके मैनेजमेंट कंसल्टेंट का काम किया। फिल्मों को वास्तविकता से रूबरू कराने वाले मणिरत्नम के दो भाई थे और दोनों ही फिल्म निर्माता थे, लेकिन किसी दुर्घटना की वजह से उनके दोनों भाई इस दुनिया में नहीं रहे। मणिरत्नम का विवाह राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता सुहासनी से 1988 में हुआ। सुहासनी प्रख्यात अभिनेता कमल हसन की भतीजी और चारु हासन की बेटी हैं।
फिल्में बनाने से पहले मणिरत्नम फिल्म सहायक के तौर पर भी काम कर चुके थे। फिल्म निर्देशक के रूप में उनकी पहली फिल्म कन्नड़ में ‘पल्लवी अनु पल्लवी’ थी, जिसमें अभिनेता अनिल कपूर और लक्ष्मी ने काम किया। इसके बाद मणिरत्नम ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और दक्षिण की तमाम भाषाओं में फिल्में बनाई। लेकिन मणिरत्नम को लोकप्रियता ‘मौना रागम’ से मिली। यह फिल्म नव विवाहित जोड़े को लेकर बनाई गई थी, जिसे लोगों ने भी पसंद किया था। मणिरत्नम के लिए 1989 में बनाई गई ‘गीताजंली’ मील का पत्थर साबित हुई। यह व्यावसायिक रूप से बहुत ही सफल रही। इस फिल्म के लिए उन्हें ‘राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार’ भी प्रदान किया गया।
हिन्दी फिल्मों में उन्होंने ‘टेरोरिज्म ट्राइलॉजी’, ‘रोजा’ (1992), ‘बॉम्बे’ (1995), ‘दिल से’ (1998) फिल्में दीं, जो पूरी तरह से आतंकवाद के ऊपर आधारित थीं। ‘नायकन’ मणिरत्नम की ऐसी फिल्म है, जिसे विदेशों में भी काफ़ी सराहा गया। टाइम पत्रिका ने 2005 में पहली बार सर्वकालिक 100 महान् फिल्मों की सूची जारी की थी। इसमें मणिरत्नम की ‘नायकन’, सत्यजीत राय की ‘द अपु ट्राइलॉजी’ और गुरुदत्त की ‘प्यासा’ को जगह मिली थी।
फिल्म इंडस्ट्री में ए. आर. रहमान और मणिरत्नम की जुगलबंदी मशहूर है। मणिरत्नम की अधिकतर लोकप्रिय फिल्मों को ए. आर. रहमान ने अपने संगीत से सजाया है, जिसमें शामिल हैं- ‘रोजा’, ‘बॉम्बे’, ‘दिल से’, ‘गुरु’ आदि। इनके फिल्म के संगीत इतने लोकप्रिय हैं, जिसे आज भी लोग गुनगुनाते हैं।
मणिरत्नम को अब तक छह राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। 2002 में उन्हें भारत सरकार का चौथा सर्वोच्च पुरस्कार ‘पद्मश्री’ दिया गया।
इसके अतिरिक्त मणिरत्नम ने अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म फेस्टिवल में भी कई पुरस्कार अपनी झोली में डाले हैं। एजेन्सी।