30 अगस्त 1936 को शुभा खोटे का जन्म हुआ था बॉम्बे यानि मुंबई के गिरगांव इलाके में रहने वाले मराठी-कोंकणी परिवार में। माता-पिता ने इन्हें नाम दिया था शुभांगी। जो आगे चलकर केवल शुभा रह गया। इनके पिता नंदू खोटे मराठी थिएटर जगत का बड़ा नाम थे। उन्होंने मराठी फिल्मों में भी काम किया था। चूंकि उस ज़माने में भारत में जॉइन्ट फैमिली का चलन हुआ करता था तो बड़े से घर में शुभा खोटे के चाचा ताऊ वगैरह सब साथ ही रहा करते थे। शुभा के पिता नंदू खोटे अभिनेता होने के साथ एक एथलीट भी थे और जिमनेज़ियम के मास्टर थे। अक्सर नंदू खोटे छोटी शुभा को अपने साथ अपने नाटकों की रिहर्सल में ले जाया करते थे। जबकी उनका जिमनेज़ियम तो घर के पीछे ही मौजूद था। उनके जिमनेज़ियम में उस ज़माने में काफी लड़के-लड़कियां आया करते थे तो शुभा को भी अपने पिता के जिमनेज़ियम में वक्त गुज़ारना अच्छा लगता था। और इसी वजह से छोटी उम्र से ही शुभा खोटे स्पोर्ट्स से प्यार करने लगी थी। पिता के साथ अक्सर ये नाटकों में छोटी बच्ची के किरदार भी निभाने लगी थी। हालांकि शुभा का स्टेज पर काम करना इनकी मां को ज़रा भी पसंद नहीं आता था। लेकिन इनके पिता कोई ना कोई बहाना बनाकर इन्हें अपने साथ नाटक में काम करने ले ही जाते थे। छोटी उम्र से ही शुभा खोटे ने स्टेज पर नाटकों में परफॉर्म करना तो शुरू कर ही दिया था। लेकिन उससे भी ज़्यादा इनकी दिलचस्पी खेलों में थी। जैसा कि हम आपको बता ही चुके हैं कि अपने पिता नंदू खोटे से प्रभावित होकर ही शुभा खोटे स्पोर्ट्स की तरफ अट्रैक्ट हुई थी। फिर एक दफा एक साइकिल रेस कॉम्पिटीशन में नन्ही शुभा ने उस वक्त की चैंपियन को हरा दिया। उस जीत के बाद शुभा के पास कई क्लब्स को जॉइन करने के ऑफर्स आने लगे। शुभा ने एक साइक्लिंग क्लब जॉइन भी कर लिया और उस क्लब के साथ खेलते हुए शुभा ने नेशनल चैंपियन का खिताब भी हासिल किया। शुभा ने उस वक्त साइक्लिंग में एक रिकॉर्ड भी बनाया था जिसमें उन्होंने 2 मिनट 50 सेकेंड में एक मील साइकिल चलाई थी। शुभा केवल साइक्लिंग का ही नहीं, स्विमिंग का भी ज़बरदस्त नाम हुआ करती थी। और स्विमिंग में भी शुभा खोटे ने इंटर कॉलिजिएट चैंपियनशिप अपने नाम की थी। जबकी ये वो दौर था जब भारत की लड़कियां खेलकूद में बहुत ज़्यादा हिस्सा नहीं लिया करती थी।
पिता के कहने पर शुभा ने पुणे में बन रही फिल्म में काम कर लिया। और वो भी इसलिए चूंकि उस फिल्म में इन्हें साइकिल वाली लड़की का ही रोल निभाना था। उस फिल्म की शूटिंग के दौरान उस वक्त के मीडिया में शुभा की काफी चर्चा हुई और उनकी कुछ तस्वीरें लोकल अखबारों में भी छपी। शूटिंग कंप्लीट होने के बाद शुभा वापस अपने घर बॉम्बे यानि मुंबई आ गई। और उस फिल्म का क्या हुआ, शुभा को कुछ पता नहीं चला। शुभा के पिता ने बताया कि किसी प्रॉब्लम की वजह से वो फिल्म रिलीज़ नहीं हो पाई। ये सुनकर शुभा को काफी बुरा लगा था। लेकिन वो नहीं जानती थी कि वो फिल्म उनका भविष्य लिख चुकी है।
उस फिल्म की शूटिंग के दौरान शुभा की जो तस्वीरें अखबारों में छपी थी वो इत्तेफाक से उस दौर के बॉम्बे फिल्म इंडस्ट्री के नामी फिल्म डायरेक्टर अमिया चक्रवर्ती ने भी देखी थी। अमिया चक्रवर्ती उन दिनों अपनी फिल्म सीमा की तैयारियों में लगे थे और उन्हें उस फिल्म के लिए नई और चुलबुली सी दिखने वाली लड़की की ज़रूरत थी। अमिया चक्रवर्ती को पता चला कि उनके एक परिचित एनवी कामत उस लड़की को जानते हैं जिसकी तस्वीर कुछ दिनों पहले अखबारों में छपी थी। उन्होंने एनवी कामत से उस लड़की को मिलने बुलाने को कहा। अमिया चक्रवर्ती के कहने पर एनवी कामत शुभा को बुलाने उनके घर तो चले गए। लेकिन वो सिर्फ शुभा के पिता को जानते थे। शुभा को नहीं। एनवी कामत जब शुभा के घर पहुंचे तो वहां उन्होंने कहा कि वो नंदू खोटे जी से या उनकी पत्नी से मिलना चाहते हैं। उनकी मुलाकात शुभा से ही हुई और उन्होंने ने कामत जी को बताया कि उनके माता-पिता दोनों ही फिलहाल घर पर नहीं हैं। एनवी कामत को ज़रा भी अंदाज़ा नहीं हुआ कि जिस लड़की को वो अमिया चक्रवर्ती का बुलावा देने के लिए आए हैं वो कोई और नहीं बल्कि यही है जिससे वो अभी बात कर रहे हैं। और वो इसलिए क्योंकि अपने घर पर शुभा किसी टॉम बॉय की तरह रहती थी। जबकी जो तस्वीरें अमिया चक्रवर्ती और एनवी कामत ने अखबारों में देखी थी उनमें शुभा ठीक-ठाक कपड़े पहने हुए थी। एनवी कामत ने कहा,”मैं शुभा खोटे से मिलने आया हूं। उन्हें अमिया चक्रवर्ती का मैसेज देना है।” शुभा ने कहा कि मैं ही शुभा खोटे हूं। ये सुनकर एनवी कामत हैरान रह गए। उन्हें यकीन नहीं हो पा रहा था कि इस लड़की को अमिया चक्रवर्ती अपनी फिल्म में लेना चाहते हैं। लेकिन खुद पर काबू करते हुए एनवी कामत ने शुभा को बताया कि अमिया चक्रवर्ती तुमसे मिलना चाहते हैं। अपने पिता को लेकर उनसे मिलने चली जाना। ये कहकर एनवी कामत वहां से चले गए और उन्होंने तुरंत एक पीसीओ से अमिया चक्रवर्ती को फोन किया और बोले,”चक्रवर्ती साहब। ये लड़की तो दिखने में किसी चुड़ैल के जैसी है। आप शायद ही इसे अपनी फिल्म में ले पाएंगे।” जब शुभा अपने पिता के साथ अमिया चक्रवर्ती से मिलने उनके ऑफिस पहुंची तो पहली ही नज़र में शुभा अमिया चक्रव्रती को पसंद आ गई। और उन्होंने अपनी फिल्म सीमा में शुभा खोटे को पुतली के रोल के लिए साइन कर लिया। सीमा 1955 में रिलीज़ हुई थी और उस फिल्म में नूतन व बलराज साहनी मुख्य भूमिकाओं में थे। तो इस तरह शुरू हुआ था शुभा खोटे का फिल्मी सफर।
शुभा खोटे की दूसरी फिल्म थी पेइंग गेस्ट। पेइंग गेस्ट फिल्म में इन्होंने बहुत ही चंचल और मॉडर्न लड़की का किरदार निभाया था। लेकिन हैरत की बात ये है कि कई सालों तक इन्होंने अपनी वो फिल्म देखी ही नहीं। सालों बाद जब इनके बच्चे थोड़े समझदार हुए तो उन्होंने ज़िद करके इन्हें पेइंग गेस्ट फिल्म दिखाई थी। इन्होंने कई सालों तक वो फिल्म इसलिए नहीं देखी थी क्योंकि इन्हें फिल्म में अपना निगेटिव शेड वाला कैरेक्टर पसंद नहीं आया था। वो ये किरदार करना भी नहीं चाहती थी। पर चूंकि फिल्मिस्तान के साथ इनका एक साल में दो फिल्मों का कॉन्ट्रैक्ट था तो इसलिए इन्हें पेइंग गेस्ट फिल्म में काम करना पड़ा था। फिल्मिस्तान के साथ इनकी पहली फिल्म चंपाकली थी। फिल्म पेइंग गेस्ट में अभिनेता गजानन जागीरदार इनके पति के रोल में थे। और ये भी एक इत्तेफाक है कि इनके पिता नंदू खोटे को एक्टिंग की दुनिया में लाने वाले भी गजानन जागीरदार ही थे। शुभा खोटे के पिता गजानन जागीरदार को अपना गुरू मानते थे।
शुभा खोटे ने अपने करियर में तीन सौ से भी ज़्यादा फिल्मों में काम किया था। छोटी बहन, अनाड़ी, घराना, ससुराल, गृहस्थी, दिल एक मंदिर, ज़िद्दी, लव इन टोक्यो। और फिर यहां शुभा की पहली पारी का अंत हो गया। और वो इसलिए, क्योंकि इन्होंने दिनेश एम बलसावर से शादी कर ली थी। शुभा ने डीएम बलसावर से लव मैरिज की थी। शुभा ने जब अपनी प्रेम कहानी की बात अपनी मां को बताई तो वो बहुत नाराज़ हुई। उन्हें शुभा के डीएम बलसावर से शादी करने से ऐतराज़ था। और वो इसलिए क्योंकि डीएम बलसावर पहले से शादीशुदा थे और उनके दो बेटे भी थे। शुभा के घर के बाकि लोग शुभा के सपोर्ट में थे। खासतौर पर उनकी दादी और नानी। शुभा की मां किसी और से उनकी शादी कराना चाहती थी। उन्होंने गुस्से में शुभा को एक कमरे में बंद कर दिया। शुभा ने नींद की गोली खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की। शुभा के इस कदम ने उनकी मां के हौंसले को तोड़ दिया। वो अपने मायके चली गई। लेकिन जाने से पहले वो चेतावनी दे गई कि शुभा को वहीं शादी करनी होगी जहां वो चाहती हैं। मगर शुभा मां को बिना बताए ही शादी करने की तैयारी कर चुकी थी। किसी तरह शुभा की मां को भनक लग गई कि उनकी बेटी बिना उन्हें बताए शादी करने जा रही है। ये बात जब शुभा को पता चली तो उन्होंने तय तारीख से तीन दिन पहले ही शादी कर ली। मां को जब ये पता चला तो वो बहुत नाराज़ हुई। उन्होंने शुभा से बात करना बंद कर दिया। लेकिन जब शुभा की बेटी भावना पैदा हुई तो आखिरकार उनकी मां का दिल पिघल गया और उन्होंने डीएम बलसावर को दामाद के रूप में स्वीकार कर लिया। शुभा ने पति के दोनों बेटों की परवरिश भी अपने बेटों की तरह ही की। उनके सौतेले बेटों के नाम हैं परमानंद और अश्विन। आज परमानंद अमेरिका में रहते हैं और अश्विन साउंड रिकॉर्डिस्ट हैं। अश्विन ने कौन बनेगा करोड़पति और दस का दम जैसे टीवी शोज़ के लिए साउंड रिकॉर्डिस्ट की हैसियत से काम किया है। शुभा की बेटी भावना बलसावर भी जानी-मानी एक्ट्रेस हैं।
शादी के बाद शुभा ने कुछ सालों के लिए फिल्मों से ब्रेक ले लिया। और फिर इन्होंने वापसी की 1975 की फिल्म मिली से। इसके बाद तो शुभा खोटे की दूसरी फिल्मी पारी बहुत ही मजबूती से स्टार्ट हो गई। अपनी इस पारी में शुभा ने गोलमाल, नसीब, कुली, हम दोनों, सागर, ख़ून भरी मांग, दिल है कि मानता नहीं, सौदागर, जुनून, अनाड़ी, वक्त हमारा है, संगदिल सनम, कोयला, सिर्फ तुम, शरारत फिल्मों में काम किया।
और फिर कुछ सालों का ब्रेक लेने के बाद 2017 में अक्षय कुमार की फिल्म टॉयलेट एक प्रेम कथा से एक दफा फिर शुभा खोटे ने सिल्वर स्क्रीन पर वापसी की। शुभा की आखिरी रिलीज़्ड फिल्म है 2022 में आई डबल एक्सएल। शुभा ने टीवी पर भी काफी काम किया है। जुनून, ज़बान संभालके, एक राजा एक रानी, अंदाज़, दम दमा दम, बा बहु और बेबी जैसे टीवी शोज़ में भी शुभा ने अपनी एक्टिंग का जलवा खूब बिखेरा। रीसेंटली शुभा खोटे स्पाय बहु नाम के एक हिंदी शो और थिपक्यांची रंगोली नाम के मराठी टीवी शो में आई थी।
साठ साल से भी ज़्यादा लंबे चले अपने फिल्मी करियर में शुभा खोटे ने अधिकतर कॉमेडी किरदार ही निभाए हैं। लेकिन 1981 में आई फिल्म एक दूजे के लिए में शुभा खोटे ने निगेटिव किरदार निभाया था। यूं तो उस किरदार ने भी कॉमेडी की थी। लेकिन वो किरदार शुभा के लिए इसलिए खास था क्योंकि वो किरदार निभाते वक्त शुभा को अपनी मां की याद आ गई थी। एक दूजे के लिए फिल्म में शुभा खोटे ने मिसेज कुंदनलाल नाम की एक ऐसी महिला का किरदार जिया था जो अपनी बेटी की शादी उस लड़के से कतई नहीं कराना चाहती थी जिसे उनकी बेटी पसंद करती थी। और कुछ कुछ ऐसा ही ड्रामा शुभा की खुद की शादी के दौरान भी हुआ था।एजेन्सी।