कुक्कू पहली प्रमुख डांसिंग स्टार थीं जिन्होंने 1940 और 50 के दशक में कैबरे के दृश्य पटल पर राज किया था। इस खूबसूरत एंग्लो-इंडियन अभिनेत्री ने चंचल नृत्य गीतों के साथ हिंदी फिल्मों में अपनी जगह बनाई और हिंदी सिनेमा की “रबर गर्ल” के रूप में जानी जाने लगी।उनकी प्रतिभा ने उस दौर की बॉलीवुड फिल्मों में ‘कैबरे’ को जरूरी बना दिया।कुक्कू एंग्लो-बर्मी डांसर और अभिनेत्री हेलेन की पारिवारिक मित्र थीं और उन्होंने 13 वर्षीय हेलेन को कोरस डांसर के रूप में फिल्मों में पेश करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। कुक्कू,जो एक डांस नंबर का 6,000 रुपये का भारी मेहनताना लेती थी,50 के दशक में अपने फालतू खर्चों के कारण गुरबत में आ गयीं।
उनकी तीन कारें (एक उनके इस्तेमाल के लिए,एक उनके कुत्तों को ड्राइव के लिए ले जाने के लिए,और दूसरी अक्सर हेलेन के लिये जिनको वह अपनी बहन के साथ खेलने के लिए बुलाती थी) सदैव उपयोग में रहती थीं.उनका फ्लैट और उनके पास जो भी गहने थे,वह सब आयकर विभाग द्वारा इन्कम टैक्स की चोरी के आरोप के बाद जब्त कर लिया गया।विडंबना यह है कि फिल्म हावड़ा ब्रिज के बाद उनको अभिनेत्री हेलेन ने जल्द ही उन्हें लोकप्रियता की दौड़ में पीछे छोड़ दिया। लेकिन जब उन्हें भूमिकाएँ मिलना बंद हो गयीं,तब भी वह शिकायत नहीं करती थी,बल्कि अपनी दुर्दशा का मज़ाक सा उड़ाती रहती थीं।
आखिरी दिनों में कुक्कू मोरे को कैंसर हो गया और वह बहुत बीमार रहने लगीं। पर उनके पास रहने वाला कोई न था। हालातों से लड़ते हुए कुक्कू मोरे अपने काम खुद ही करती थीं। तबस्सुम ने बताया था कि कुक्कू मोरे सब्जी मार्केट जाती थीं। सब्जी बेचने वाले सब्जी साफ करके डंठल वगैरह जो सड़क पर फेंक देते थे, कुक्कू मोरे उसे बटोरकर घर लाती थीं। कुक्कू मोरे उसे ही पकाती और खाती थीं। स्थिति ऐसी फटेहाल थी कि न तो खाने के पैसे थे और न ही कफन खरीदने के पैसे बचे। आखिरकार कुक्कू मोरे 30 सितंबर 1981 को कैंसर और मौत से जंग हार गईं और चल बसीं। बड़े ही दुख की बात है कि जिस कुक्कू मोरे पर कभी पूरी फिल्म इंडस्ट्री जान छिड़कती थी, वही उन्हें आखिरी विदाई देने नहीं पहुंची। बताया जाता है कि कुक्कू मोरे की मौत पर फिल्म इंडस्ट्री से कोई भी शोक मनाने या अंतिम दर्शन के लिए नहीं पहुंचा था।NBT एजेन्सी।