स्वप्निल सन्सार। संजोग वॉल्टर। एजेंसी। टॉम बीच ऑल्टर मसूरी, के निवासी, टॉम ऑल्टर के पूर्वज इंग्लिश और स्कॉटिश थे । इनके पूर्वज बम्बई अब मुंबई में और लेंडोर के हिमालयी हिल स्टेशन में रहते थे। उनके दादा दादी नवंबर 1916 में ओहियो,से भारत आए, वे मद्रास (अब चेन्नई) पहुंचे। वहां से वह लाहौर गए, वही बस गए। उनके पिता का जन्म सियालकोट में हुआ,जो अब पाकिस्तान में है ।
भारत के विभाजन के समय उनके दादा दादी जो लाहौर में रहते थे, जबकि उनके माता-पिता राजपुर ( देहरादून और मसूरी के बीच) में रहते थे। यह परिवार इलाहाबाद, जबलपुर और सहारनपुर में भी कई साल रहा था। टॉम ऑल्टर का जन्म 22 जून 1950 को मसूरी में हुआ था ।
टॉम ऑल्टर ने पढाई मसूरी के वुडस्टॉक स्कूल से पूरी की थी। उनके पिता इविंग क्रिश्चयन कॉलेज इलाहाबाद में इतिहास और अंग्रेजी पढ़ाते थे, और उसके बाद सहारनपुर चले आये कुछ साल वही के एक कॉलेज में पढ़ाते थे। 1954 में, उनके माता-पिता ने राजपुर में आश्रम शुरू किया, जिसे “विशाल ध्यान केन्द्र” कहा जाता था और वे वहां बस गए। सभी धर्मों के लोग अध्ययन और चर्चा के लिए वहां आए। वे शुरू में बाइबिल अध्ययन उर्दू में और बाद में हिंदी में पढ़ते थे (जब 1962 में हिंदी को अपनाया गया था)
18 साल की उम्र में, टॉम ऑल्टर उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका के लिए चले गये और एक वर्ष के लिए येल में अध्ययन किया। हालांकि, उन्हें येल में पढ़ाई की कठोरता पसंद नहीं आई और एक साल बाद लौट आया। 19 वर्ष की आयु में, टॉम ऑल्टर ने शिक्षक के रूप में काम किया, सेंट थॉमस स्कूल, जगाधरी, में। उन्होंने यहां छह महीने के लिए काम किया, साथ ही साथ अपने छात्रों को क्रिकेट में प्रशिक्षण दिया। इस बीच टॉम ऑल्टर को जगाधरी में, हिंदी फ़िल्मों देखने का शौक लग गया था ।
2008 में भारत सरकार द्वारा टॉम अल्टर को पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। टॉम ऑल्टर ने कई फ़िल्मों में काम किया, लेकिन अपने लुक की वजह से उन्हें ज्यादातर अंग्रेज़ अफसरों या विदेशी चरित्र का रोल मिला। कई लोगों के लिए वह खलनायक के तौर पर सिर्फ अंग्रेज़ अफसर ही साबित हुए। हिंदी फ़िल्मों के अलावा बंगाली, असमी, मलयाली फ़िल्मों भी टॉम ऑल्टर को अंग्रेज़ करेक्टर के लिए ही काम दिया।
टॉम ऑल्टर फर्राटेदार हिंदी बोलते थे। उर्दू में भी उन्हें महारत हासिल थी। उन्होंने करीब 300 फ़िल्मों में काम किया। राजेश खन्ना की फ़िल्म ‘आरधना टॉम की जिंदगी में बड़ा बदलाव लाई। इसी फ़िल्म को देखने के बाद उन्होंने एक्टर बनने की ठानी और में एफ़टीआईआई में दाखिला लिया।
वह राजेश खन्ना के बहुत बड़े प्रशंसक थे। राज्यसभा टीवी के एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था- “वह राजेश खन्ना की वजह से फ़िल्मों में आए और वे भी राजेश खन्ना बनना चाहते थे।” उन्होंने बताया था कि वह राजेश खन्ना की फ़िल्म का फर्स्ट डे फर्स्ट शो देखने अक्सर मसूरी से दिल्ली आते थे। उन्होंने यहां के कनॉट प्लेस स्थित रीगल सिनेमा में राजेश खन्ना की ‘आनंद’, ‘दुश्मन’ और ‘अमर प्रेम’ कई फ़िल्मों के फर्स्ट शो देखे।
टॉम ऑल्टर ने 1976 में रामानंद सागर की फ़िल्म ‘चरस’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। इस फ़िल्म में टॉम के किरदार को लोगों ने खूब पसंद किया, जिसके बाद इस अभिनेता ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने ‘शतरंज के खिलाड़ी’, ‘गांधी’, ‘कर्मा’, ‘राम तेरी गंगा मैली हो गई’, ‘लोकनायक’ जैसी बेहतरीन फ़िल्मों में काम किया। ‘क्रांति’ में उन्होंने ब्रिटिश ऑफिसर का रोल निभाया था। इस रोल से उन्हें लोगों के बीच जबरदस्त पॉपुलैरिटी मिली थी। विदेशी किरदार में उनकी पॉपुलैरिटी इतनी थी कि उन्होंने कन्नड़ फ़िल्म ‘कन्नेश्वारा रामा’ में ब्रिटिश पुलिस का रोल निभाया था। टॉम ऑल्टर ने एक इंटरव्यू में कहा था कि- “मैंने मौलाना आज़ाद, मिर्ज़ा गालिब, साहिर लुधियानवी का भी रोल किया है, लोगों ने मेरी एक्टिंग की तारीफ की; लेकिन किसी ने यह नहीं कहा कि करेक्टर इतना गोरा रंग क्यों है। ज़रूरी है कि आप भरोसे के साथ काम करें। उन्होंने 2014 में राज्यसभा टीवी के शो संविधान में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का रोल निभाया। जिसमें उनके किरदार को काफी सराहा गया।
टॉम ऑल्टर ने कई इंटरनैशनल प्रोजेक्ट्स में भी काम किया। उन्होंने अंग्रेज़ी फ़िल्म ‘विद लव, दिल्ली!’, ‘सन ऑफ फ्लावर’, ‘साइकिल किक’, ‘अवतार’, ‘ओसियन ऑफ अन ओल्ड मैन’, ‘वन नाइच विद द किंग’, ‘साइलेंस प्लीज…’ में काम किया। टॉम ऑल्टर ने मुकेश खन्ना के टीवी प्रोडक्शन शक्तिमान (1998-2002) में लाल बागे गुरु के रूप में भी काम किया है।
अपने गोरे रंग की वजह से शुरुआत में टॉम ऑल्टर को सिर्फ अंग्रेज़ का किरदार निभाने को मिलते थे, जिसके बाद उन्होंने 1977 में एफ़टीआईआई के दोस्त नसीरुद्दीन शाह और बेनजमिन गिलानी के साथ ‘मोटली’ नाम का थियेटर ग्रुप खोला।
फ़िल्मों के अतिरिक्त टॉम ऑल्टर ने अपने कॅरियर का लंबा वक्त थिएटर को दिया। टॉम ने छोटे पर्दे पर भी काम किया। फ़िल्म ‘सरगोशियां’ में उन्होंने मिर्ज़ा गालिब का किरदार निभाया था। टॉम ऑल्टर को फ़िल्मों के अलावा खेल में भी काफी दिलचस्पी थी। वे सचिन तेंदुलकर का इंटरव्यू लेने वाले पहले शख्स थे। 1988 में जब मास्टर ब्लास्टर सचिन 15 साल के थे, तब टॉम ऑल्टर ने उनका पहला इंटरव्यू लिया था। 2017 सितंबर की शुरुआत में ही उन्हें मुंबई के अस्पताल में भर्ती कराया गया था । कुछ दिन पहले ही वह अस्पताल से घर लौटे थे। 29 सितंबर 2017 को स्किन कैंसर के कारण उनका देहांत हो गया था। उनके परिवार में उनकी पत्नी कैरोल इवांस ऑल्टर, बेटे जेमी ऑल्टर और बेटी अफ़शान हैं।