पुण्य तिथि पर विशेष।
स्वप्निल संसार। कैपिटोल न्यूज़ एंड फीचर्स एजेन्सी। सुजीत कुमार भोजपुरी और हिन्दी फिल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता थे। हिन्दी की अधिकांश फिल्मों में उन्होंने खलनायक का चरित्र निभाया था। अभिनेता सुजीत कुमार भोजपुरी फिल्मों के पहले सुपरस्टार माने जाते हैं। जब 60-70 के दशक में भोजपुरी फिल्मों की नैया डूबने वाली थी, उस वक्त भोजपुरी फिल्मों में सुजीत कुमार ने संजीवनी फूंकने का काम किया और बस तब से उनका जादू ऐसा चला कि वे भॉलीवुड के पहले सुपरस्टार बन गये थे।
सुजीत कुमार का जन्म 7 $फरवरी 1934 को बनारस, में हुआ था। किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले सुजीत कुमार ने शायद कभी सोचा भी नहीं था कि वे भोजपुरी सिनेमा के बेजोड़ अभिनेता बन जायेंगे। अपने समय के प्रसिद्ध अभिनेता राजेश खन्ना के साथ उन्होंने का$फी फिल्मों में सहायक अभिनेता की भूमिका निभाई थी। सुजीत कुमार के परिवार में एक पुत्र और एक पुत्री है।
सुजीत कुमार को फिल्मों में जाने में कोई दिलचस्पी नहीं थी। बात उस वक्त की है, जब सुजीत लॉ की पढ़ाई कर रहे थे और उन्होंने नाटक में हिस्सा लिया था। सौभाग्य की बात ये रही कि उस नाटक प्रतियोगिता में जज थे फणि मजुमदार साहब, जो कि जाने माने निर्माता रहे हैं। फणि जी ने उन्हें नाटक का श्रेष्ठ अभिनेता करार दिया और कहा कि- तुमफिल्मों में कोशिश क्यों नहीं करते? इस एक वाक्य ने सुजीत कुमार का रुझान फिल्मों की तरफ कर दिया। पहली फिल्म ‘दूर गगन की छांव में किशोर कुमार ने सुजीत को अवसर दिया। लेकिन सफलता पाने के लिए सुनीत कुमार को ‘अराधना का इंतजार करना पड़ा। सुजीत कुमार राजेश खन्ना के ऑन-स्क्रीन साथी थे। हाथी मेरा साथी, अमर प्रेम, महबूबा, रोटी फिल्मों में दोनों के साथ को खूब सराहा गया। राजेश खन्ना के अलावा सुजीत कुमार अमिताभ बच्चन और धर्मेन्द्र के साथ भी अनेक बार आए। अमिताभ की द ग्रेट गैम्बलर, अदालत एवं धर्मेन्द्र की जुगनु, धर्मवीर, चरस, ड्रीम गर्ल और आंखें $िफल्मों में उन्हें का$फी पसंद किया गया।
हिन्दी फिल्मों में भले ही सुजीत कुमार जम चुके थे, लेकिन उनकी आत्मा तो भोजपुरी में बसती थी। अपनी भाषा और संस्कृति के प्रति अपने उत्तरदायित्व को पूरा करने के लिए उन्होंने भोजपुरी फिल्मों का भी रुख किया। भोजपुरी की पहली फिल्म गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो में अभिनेत्री कुमकुम की जिद की वजह से उनकी जगह असीम कुमार को हीरो बनाया गया था; लेकिन सुजीत कुमार ने इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाया और भोजपुरी की फिल्मी धारा को मजबूती देने में लगे रहे।
1977 में भोजपुरी की पहली रंगीन फिल्म दंगल के वे हीरो थे। ‘दंगल ने भोजपुरी सिनेमा की डूबती हुई कश्ती का बेड़ा पार लगाया। $िफल्म की बॉक्स ऑफिस पर स$फलता ने भोजपुरी को नया जीवन दिया। सुजीत कुमार के अभिनय का जलवा भोजपुरी $िफल्मों में कुछ इस कदर बिखरा कि उन्हें भोजपुरी फिल्मों का पहला सुपरस्टार ही कहा जाने लगा। उनकी फिल्में भारत में ही नहीं अपितु मॉरीशस , गुयाना, $िफजी, सूरीनाम आदि देशों में भी काफी लोकप्रिय रहीं।
दंगल के बाद उन्होंने लोहा सिंह, पान खाए सैयां हमार, गंगा कहे पुकार के और सजनवा बैरी भइले हमार दर्जनों कामयाब फिल्मों में काम किया।
1983 में उन्होंने पान खाए सैयां हमार का निर्माण और निर्देशन किया, जिसमें अमिताभ बच्चन और रेखा की जोड़ी मेहमान कलाकार की भूमिका में थी। इस तरह भोजपुरी फिल्मों में स्टार संस्कृति लाने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है। 90 के दशक तक आते-आते भोजपुरी सिनेमा भेड़चाल का शिकार हो चुका था। हताश होकर सुजीत कुमार ने इस तरह की फिल्मों से किनारा कर लिया।
सुजीत कुमार ने लागी नहीं छूटे राम, विदेशिया, दंगल, गंगा कहे पुकार के, गंगा जइसन भौजी हमार, सजनवा बैरी भइले हमार, हमार भौजी, माई के लाल, संपूर्ण तीर्थयात्रा कई चर्चित एवं लोकप्रिय भोजपुरी फिल्मों में काम किया।
हिन्दी फिल्मों में सुजीत कुमार का जिक्र आते ही लोगों के मन में आराधना का बेहद लोकप्रिय गीत मेरे सपनों की रानी के दृश्य याद आ जाते हैं। उस गाने में राजेश खन्ना ट्रेन में बैठी शर्मिला टैगोर को लुभाने के लिए कार में बैठे गाना गाते हैं और उस कार को सुजीत कुमार चला रहे होते हैं। बतौर चरित्र अभिनेता सुजीत कुमार हिन्दी फिल्मों में भी काफी सफल रहे और राजेश खन्ना की कई फिल्मों में उन्होंने बेहतरीन अभिनय किया। राजेश खन्ना की फिल्म आराधना में उनके अभिनय को आज भी लोग याद करते हैं। इस फिल्म में उन्होंने नायक के मित्र की भूमिका निभाई थी। विदेशिया से शुरू सफर के बाद उन्होंने कोहरा, आँखें, आराधना, इत्तफाक, मन की आँखें, आन मिलो सजना, हाथी मेरे साथी, अमर प्रेम, शरारत फिल्मों में काम किया। इसके बाद के दौर में उन्होंने रोटी, धरम वीर, देश-परदेश, दि ग्रेट गैंबलर, राम बलराम, इंसाफ का तराजू, आखिर क्यों आदि फिल्मों में काम किया।
सुजीत कुमार को फिल्मी जगत में यारों का यार कहा जाता था। जितेन्द्र, राकेश रोशन, रणधीर कपूर, राजेश खन्ना और सावन कुमार टॉक से उनके बड़े करीबी सम्बन्ध थे। लेकिन इन संबंधों को उन्होंने कभी अपने लिए सीधी नहीं बनाया। बतौर अभिनेता सुजीत कुमार को उपलब्धि जो भी रही हो, लेकिन भोजपुरी फिल्मों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुँचाने में उनके योगदान की जितनी सराहना की जाए कम है।भोजपुरी सिनेमा के पहले सुपरस्टार सुजीत कुमार ने कई फिल्मों के निर्माता भी रहे,खेल (अनिल कपूर, माधुरी दीक्षित), चैंपियन (सनी देओल, मनीषा कोईराला) और ऐतबार (अमिताभ बच्चन, जॉन अब्राहम, बिपाशा बसु) हैं।
सुजीत कुमार की मृत्यु 5 $फरवरी, 2010 को मुम्बई, में हुई। मृत्यु के समय उनकी आयु 75 वर्ष थी। वे काफी लम्बे समय से कैंसर से जूझ रहे थे।
