जयंती
बटुकेश्वर दत्त 18 नवम्बर, 1910- 20 जुलाई, 1965- प्रसिद्ध क्रांतिकारियों में से एक थे। देश ने सबसे पहले 8 अप्रैल, 1929 को उन्हें उस समय जाना, जब वे भगतसिंह के साथ केंद्रीय विधान सभा में बम विस्फोट के बाद गिरफ्तार किए गए। उन्होंने आगरा में स्वतंत्रता आंदोलन को संगठित करने में उल्लेखनीय कार्य किया था। 1924 में कानपुर में बटुकेश्वर दत्त की भगतसिंह से भेंट हुई थी। इसके बाद उन्होंने ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ के लिए कानपुर में कार्य करना प्रारंभ किया और इसी क्रम में बम बनाना भी सीखा।
बटुकेश्वर दत्त की मृत्यु 20 जुलाई, 1965 को नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में हुई। मृत्यु के बाद उनका दाह संस्कार उनके अन्य क्रांतिकारी साथियों- भगतसिंह, राजगुरु एवं सुखदेव के समाधि स्थल पंजाब के हुसैनी वाला में किया गया। उनकी एक पुत्री भारती बागची पटना में रहती है।
राजाराम वांकुडरे शांताराम 18 नवंबर, 1901,- 30 अक्टूबर, 1990- को आज गूगल ने भी उनको अपनी श्रधांजलि डूडल बनाकर दी हैं। कुशल निर्देशक, फ़िल्मकार, बेहतरीन अभिनेता थे। हिन्दी फ़िल्मों में बतौर निर्देशक शुरुआत करने वाले शांताराम ने डॉक्टर कोटनिस की ‘अमर कहानी’ (1946), ‘अमर भूपाली’ (1951), ‘झनक-झनक पायल बाजे’ (1955), ‘दो आंखें बारह हाथ’ (1957) और ‘नवरंग’ (1959) जैसी विविधतापूर्ण और गूढ़ अर्थों वाली फ़िल्में बनाकर अलग मुक़ाम हासिल किया था।
शांताराम एक चलते-फिरते संस्थान थे, जिन्होंने फ़िल्म जगत में बहुत सम्मान हासिल किया। फ़िल्म निर्माण की उनकी तकनीक और उनके जैसी दृष्टि आज के निर्देशकों में कम ही नज़र आती है। उन्हें 1957 में झनक-झनक पायल बाजे के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फ़िल्मफेयर पुरस्कार दिया गया था। उनकी कालजयी फ़िल्म दो आंखें बारह हाथ के लिए सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का पुरस्कार प्रदान किया गया। इस फ़िल्म ने बर्लिन फ़िल्म समारोह और गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड में भी झंडे गाड़े। अन्नासाहब के नाम से मशहूर शांताराम को वर्ष 1985 में भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े पुरस्कार दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
पुण्य तिथि
मेजर शैतान सिंह 1 दिसम्बर, 1924 – 18 नवम्बर, 1962 परमवीर चक्र सम्मानित हैं। मेजर शैतान सिंह का शौर्य पराक्रम चीन के ख़िलाफ़ लड़ते हुए रेजांग ला मोर्चे पर अंतिम बार 18 नवम्बर 1962 को नज़र आया। वह चुशूर सक्टर में 17 हजार फीट की ऊचाँई पर चीन की गोला बारूद से लैस भारी सेना का सामना कर रहे थे। उस मोर्चे पर उन्होंने अदम्य साहस, कुशल नेतृत्व क्षमता तथा देश के प्रति गहरी समर्पण भावना का उदाहरण प्रस्तुत किया, जिसके लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र प्रदान किया गया।
धीरेन्द्र नाथ गांगुली 26 मार्च 1893 – 18 नवम्बर 1978 बंगाली सिनेमा के प्रसिद्ध अभिनेता और फ़िल्म निर्देशक थे। भारतीय सिनेमा में इनके अभूतपूर्व योगदान के लिए इन्हें 1975 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
अलेक्ज़ॅन्डर कॅनिंघम 23 जनवरी, 1814- 18 नवम्बर, 1893 को “भारत के पुरातत्त्व अन्वेषण का पिता” कहा जाता है। कॅनिंघम एक ब्रिटिश पुरातत्वशास्त्री तथा सेना में अभियांत्रिक पद पर नियुक्त थे। इनके दोनों भाई फ़्रैन्सिस कॅनिंघम एवं जोसफ़ कॅनिंघम भी अपनेयोगदानों के लिए ब्रिटिश भारत में प्रसिद्ध हुए थे। विकिपीडिया से