जिस तरह कांग्रेस पुरानी पार्टी है, उसी तरह मणिशंकर अय्यर भी कांग्रेस पार्टी के पुराने नेता हैं। इसलिए उनके बारे में यह तो नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने कांग्रेस पार्टी में कोई योगदान ही नहीं किया लेकिन 2014 के बाद उनके बयानों ने कांग्रेस को जबर्दस्त नुकसान पहुंचाया है और अब गुजरात में विधान सभा चुनाव हो रहे हैं तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर उन्होंने जो बात कही, उससे कांग्रेस हाईकमान का धैर्य भी खत्म हो गया। हालांकि श्री अय्यर ने इसके लिए अपने अल्प हिन्दी ज्ञान को दोषी बताकर सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगी लेकिन भाजपा के दिग्गज नेता ऐसे बयानों को भुनाना बहुत अच्छी तरह से जानते हैं। इस बयान को गुजरात की जनता से भावनात्मक रूप से जोड़ा गया। कांग्रेस ने श्री मणिशंकर अय्यर को कारण बताओं की नोटिस जारी करते हुए तत्काल पार्टी की सदस्यता से निलंबित कर दिया है। मणिशंकर अय्यर राजनीति के खलनायक बन गये हैं।
गुजरात के धुंधका में एक चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 6 दिसम्बर को डा. भीम राव अम्बेडकर के निर्वाण दिवस पर पूर्व प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और कांग्रेस पर जमकर हमला बोला था। श्री मोदी ने उस चुनावी रैली में कहा था कि एक परिवार ने डा. अंबेडकर और सरदार बल्लभभाई पटेल के साथ अन्याय किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस बयान पर मणिशंकर अय्यर तिलमिला गये। उन्होंने प्रधानमंत्री की आलोचना करते हुए कहा कि इस तरह का बयान देने वाला नीच आदमी है और उस आदमी की कोई सभ्यता नहीं है और ऐसे मौके पर इस किस्म की गंदी राजनीति करने की क्या आवश्यकता है। मणिशंकर अय्यर के इस बयान पर भाजपा के नेता उछल पड़े क्योंकि उन्हें कांग्रेस पर हमला करने का एक बड़ा मुद्दा मिल गया था। इससे पहले भाजपा कपिल सिब्बल के सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद पर सुनवाई की तारीख टालने के मामले को मुद्दा बनाये हुए थी। इस बहाने गुजरात में राहुल गांधी के मंदिर दर्शन के मामले को उछाला जा रहा था। गुजरात चुनाव को इस बार राहुल गांधी ने बहुत कड़ी प्रति स्पद्र्धा का बना दिया है और वे मंदिरों में जा जाकर कांग्रेस की उस छवि को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं जो अब तक मुस्लिम समर्थक की थी। कपिल सिब्बल ने अयोध्या विवाद की सुनवाई 2019 के बाद कराने की अर्जी सुन्नी वक्फबोर्ड के वकील के नाते की थी। हालांकि भाजपा ने इसे पूरी तरह कांग्रेस पर मढ़ने की कोशिश की लेकिन इतना तो उसे भी पता है कि वकील वही बात कहेगा जो उसका मुअक्किल चाहता है। इससे पार्टी का क्या लेना-देना। भाजपा यह भी जानती है कि श्री राम जेठ मलानी जब भाजपा से जुड़े थे, तब भी वह कथित आतंकवादियों का मुकदमा लड़ रहे थे, राजीव गांधी के हत्यारोपियों की पैरवी करने वाले वकील को किसी राजनीतिक दल से नहीं जोड़ा जा सकता। इसलिए कपिल सिब्बल का मुद्दा भाजपा के लिए एक शिगूफा जैसा ही था लेकिन मणिशंकर अय्यर के बयान ने भाजपा को एक बड़ा हथियार पकड़ा दिया।
इस प्रकार के हथियार कैसा प्रभाव डालते हैं, यह भाजपा से बेहतर कोई नहीं जानता। मणिशंकर अय्यर ने ही 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान कहा था कि चाय बेचने वाला इस देश का प्रधान मंत्री नहीं बन सकता। इस बात को भाजपा ने चाय बेचने वालों की भावना से जोड़ दिया। इसे चाय बेचने वालों का अपमान बताया गया। भाजपा ने जगह-जगह मोदी चाय के स्टाल लगवा दिये। चाय बेचने वालों ने मुफ्त में लोगों को चाय पिलायी और कांग्रेस के खिलाफ इतना प्रचार चाय बेचने वाले बयान से हो गया कि लोकसभा में वह मुख्य विपक्षी दल का दर्जा पाने लायक भी सांसद नहीं जुटा सकी। इसी तरह के बयान से भाजपा ने बिहार में जबर्दस्त घाटा भी उठाया था। बिहार विधान सभा चुनाव के दौरान प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने ही कहा था कि नीतीश कुमार की डीएनए ठीक नहीं है। उस समय नीतीश कुमार ने श्री लालू प्रसाद यादव व कांग्रेस के साथ मिलकर महा गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा था। अब तो वे सारे समीकरण बदल चुके हैं और नीतीश कुमार ने महागठबंधन तोड़कर भाजपा के साथ मिली जुली सरकार बनायी है लेकिन तब नीतीश कुमार ने श्री मोदी और भाजपा पर डीएनए को लेकर जमकर प्रहार किया था और कहा था कि श्री मोदी को बिहार का डीएनए देखना है तो दशरथ मांझी का डीएनए देखें जिसने पहाड़ काट कर रास्ता बना दिया है। इस प्रकार नीतीश कुमार ने डीएनए वाले ब्यान से बिहार की जनता के स्वाभिमान को जोड़ दिया था। भाजपा की बिहार में करारी हार के लिए श्री मोदी का यह बयान भी महत्वपूर्ण माना गया था।
इसलिए मणिशंकर अय्यर के नरेन्द्र मोदी को नीच कहने के बयान को गुजरात की जनता के स्वाभिमान से जोड़ दिया गया है। श्री मोदी ने गुजराती भाषा में भावुक होकर जिस तरह से मणिशंकर अय्यर के बयान का इस्तेमाल किया, उससे एक बार तो यही लगा कि राहुल गांधी ने गुजरात विधान सभा चुनाव में जितनी मेहनत की है, उस पर पानी फिर गया है। श्री अय्यर ने माफी मांगी, अपने हिन्दी ज्ञान की कमी बताकर पूर्वप्रधान मंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को नालायक प्रधान मंत्री कहने की कहानी याद दिलायी और कहा कि वे अंग्रेजी के लो शब्द का हिन्दी अनुवाद ठीक से नहीं करपाये लेकिन इससे बात बनती नहीं दिखी और कांग्रेस को तत्काल एक कड़ा फैसला लेना पड़ा। राहुल गांधी ने तो तत्काल ट्वीट किया-भाजपा और पीएम कांग्रेस के लिए गंदी भाषा इस्तेमाल करते रहे हैं लेकिन ये हमारी संस्कृति नहीं है। मैं अय्यर की भाषा का समर्थन नहीं करता। मुझे और कांग्रेस को उम्मीद है कि अय्यर माफी मांगेंगे। इसके बाद भी श्री मोदी ने जब इस बयान को गुजरात की अस्मिता से जोड़ा और कहा कि ये गुजरात का अपमान है और गुजरात की जनता 9 और 14 दिसम्बर को वोट देकर इसका बदला लेगी, तब कांग्रेस नेतृत्व ने 7 दिसम्बर की रात ही मणिशंकर अय्यर को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया। उसी दिन इस विवाद की शुरूआत अम्बेडकर अन्तर्राष्ट्रीय केन्द्र के उद्घाटन के समय हुई थी।
कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के खिलाफ कार्रवाई करके फिर आक्रामक हो गये हैं। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला कहते हैं कि यही है कांग्रेस का गांधी वादी नेतृत्व और विरोधी के प्रति सम्मान की भावना। कांग्रेस पार्टी ने तो श्री मणिशंकर अय्यर को कारण बताओ नोटिस जारी कर प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है लेकिन क्या श्री मोदी भी इस तरह का साहस दिखाएंगे? कांग्रेस के एक अन्य प्रवक्ता अजय कुमार ने भी मणिशंकर के बयान की निंदा की और कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को हमेशा यही निर्देश देते रहे हैं कि किसी तरह से अपशब्दों और अभद्र एवं गलत भाषा का प्रयोग नहीं किया जाए।
इस प्रकार गुजरात विधान सभा के चुनाव में जहां भाजपा और कांग्रेस के बीच बहुत कांटे का मुकाबला माना जा रहा था, उसमें मणिशंकर के बयान का कितना प्रभाव पड़ेगा, यह बात अभी से चर्चा में आ गयी है। मणिशंकर अय्यर के बयान को ही 2014 के लोकसभा चुनाव में पराजय का एक बड़ा कारण माना गया था। (हिफी)