जयंती
#सावित्रीबाई फुले
सावित्रीबाई फुले ( 3 जनवरी, 1831- 10 मार्च, 1897) भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं। महात्मा ज्योतिबा को भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता है। उनको महिलाओं और दलित जातियों को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है। ज्योतिराव, जो बाद में में ज्योतिबा के नाम से जाने गए सावित्रीबाई के संरक्षक, गुरु और समर्थक थे। सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जीया जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछात मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना।
#जानकीबल्लभपटनायक
जानकी बल्लभ पटनायक- 3 जनवरी 1927, रामेश्वर- 21 अप्रैल 2015, तिरुपति राजनीतिज्ञ एवं राष्ट्रीय काँग्रेस के वरिष्ठ नेता थे। ये 2009 में असम के राज्यपाल बने। जानकी बल्लभ पटनायक 1980 से 1989 और पुनः 1995 से 1999 तक उड़ीसा (ओडिशा) के मुख्यमंत्री रहे। नवीन पटनायक से पहले सबसे लम्बे समय तक ओडिशा के मुख्यमंत्री रहने का रिकार्ड इन्हीं के नाम था।
पुण्य तिथि
#मोहनराकेश
मोहनराकेश 8 जनवरी, 1925, अमृतसर; 3 जनवरी, 1972, दिल्ली- ‘नई कहानी आन्दोलन’ के साहित्यकार थे। हिन्दी नाटक के क्षितिज पर मोहन राकेश का उदय उस समय हुआ, जब स्वाधीनता के बाद पचास के दशक में सांस्कृतिक पुनर्जागरण का ज्वार देश में जीवन के हर क्षेत्र को स्पन्दित कर रहा था। उनके नाटकों ने न सिर्फ़ नाटक का आस्वाद, तेवर और स्तर ही बदल दिया, बल्कि हिन्दी रंगमंच की दिशा को भी प्रभावित किया। आधुनिक हिन्दी साहित्य काल में मोहन राकेश का नाम प्रमुख है, जिन्होंने अपने लेखन से दूर होते हिन्दी साहित्य को रंगमंच के दुबारा क़रीब ला दिया और खुद को भारतेन्दु हरिश्चंद्र और जयशंकर प्रसाद के समकक्ष खड़ा कर दिया।
#सतीशधवन
सतीश धवन- 25 सितंबर, 1920- 3 जनवरी, 2002- रॉकेट वैज्ञानिक थे। देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊँचाईयों पर पहुँचाने में उनका बहुत ही महत्त्वपूर्ण योगदान था। एक महान् वैज्ञानिक होने के साथ-साथ प्रोफ़ेसर सतीश धवन एक बेहतरीन इनसान और कुशल शिक्षक भी थे। उन्हें भारतीय प्रतिभाओं पर बहुत भरोसा था। सतीश धवन को विक्रम साराभाई के बाद देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वे ‘इसरो’ के अध्यक्ष भी नियुक्त किये गए थे। प्रोफ़ेसर धवन ने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस में कई सकारात्मक बदलाव किए थे। उन्होंने संस्थान में अपने देश के अलावा विदेशों से भी युवा प्रतिभाओं को शामिल किया। उन्होंने कई नए विभाग भी शुरू किए और छात्रों को विविध क्षेत्रों में शोध के लिए प्रेरित किया। सतीश धवन के प्रयासों से ही संचार उपग्रह इन्सैट, दूरसंवेदी उपग्रह आईआरएस और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी का सपना साकार हो पाया था।
#ललितनारायणमिश्र
ललित नारायण मिश्र 1973 से 1975 तक रेलमंत्री थे। 3 जनवरी 1975 को समस्तीपुर बम-विस्फोट कांड में उनकी मृत्यु हो गयी थी। बिहार को राष्ट्रीय मुख्यधारा के समकक्ष लाने के लिए सदा कटिबद्ध रहे। उन्होंने अपनी कर्मभूमि मिथिलांचल की राष्ट्रीय पहचान बनाने के लिए पूरी तन्मयता से प्रयास किया। विदेश व्यापार मंत्री के रूप में उन्होंने बाढ़ नियंत्रण एवं कोशी योजना में पश्चिमी नहर के निर्माण के लिए नेपाल-भारत समझौता कराया। उन्होंने मिथिला चित्रकला को देश-विदेश में प्रचारित कर उसकी अलग पहचान बनाई। मिथिलांचल के विकास की कड़ी में ही ललित बाबू ने लखनऊ से असम तक लेटरल रोड की मंजूरी कराई थी, जो मुजफ्फरपुर और दरभंगा होते हुए फारबिसगंज तक की दूरी के लिए स्वीकृत हुई थी। रेल मंत्री के रूप में मिथिलांचल के पिछड़े क्षेत्रों में झंझारपुर-लौकहा रेललाइन, भपटियाही से फारबिसगंज रेललाइन जैसी 36 रेल योजनाओं के सर्वेक्षण की स्वीकृति उनकी कार्य क्षमता, दूरदर्शिता तथा विकासशीलता के ज्वलंत उदाहरण है।
मुबारक साल गिरह
#जसवंतसिंह
जसवंत सिंह 3 जनवरी, 1938, बाड़मेर, वरिष्ठ राजनेता हैं। वे अपनी नम्रता और नैतिकता के लिए जाने जाते है। वे उन गिने-चुने नेताओं में से हैं, जिन्हें भारत के रक्षामंत्री, वित्तमंत्री और विदेशमंत्री बनने का अवसर मिला। जसवंत सिंह एक आदर्शवादी व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं। जब उन्हें विदेश नीति का कार्यभार सौपा गया था, तब उन्होंने बड़ी कुशलता से भारत और पाकिस्तान के बीच के तनाव को कम किया था। उनकी लेखनी में उनकी परिपक्वता और आदर्शो के प्रति उनका आदर साफ़ झलकता है। जसवंत सिंह को लोगों से घुलना-मिलना पसंद है और वे अस्पताल, संग्रहालय और जल संरक्षण जैसी कई परियोजनाओं के ट्रस्टी भी रहे। 7 अगस्त, 2014 को अपने निवास स्थान पर गिरने के कारण जसवंत सिंह कोमा में चले गए, जिसके बाद उनका स्वास्थ्य ख़राब ही चल रहा है।