लोग अक्सर पूछते हैं कि हमारे पीएम मोदी जो विदेश यात्राएं करते हैं उनसे आखिर हासिल क्या हुआ ?
गिरीश मालवीय। एक आरटीआई जो मोदी जी की विदेश यात्राओं के संबंध लगाई गयी वह बताती हैं कि नरेंद्र मोदी ने बीते चार वर्षों में कुल 41 विदेशी दौरे किये हैं जिसमें उन्होंने 52 देशों की यात्रा की हैं इन यात्राओं के दौरान पीएम मोदी करीब 165 दिनों के लिए विदेश में रहे, पीएमओ के मुताबिक मोदी ने 30 यात्रा चार्टर्ड विमान के जरिए की है और उनका भुगतान भी कर दिया गया है उन्होंने अपनी विदेश यात्रा पर 355 करोड़ रुपए ऑफिशियल रूप से खर्च किए हैं।
लेकिन इन यात्राओं से कितना विदेशी निवेश भारत मे आया है यह आंकड़े जानकर आप हिल जाएंगे।
सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि मोदीराज के चौथे साल में देश के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की वृद्धि दर पांच साल के निचले स्तर पर आ गया है इस साल एफडीआई 2017-18 में 3% की गिरावट के साथ 44.85 अरब डॉलर पर है जो पांच सालों में सबसे कम है यानी जैसे जैसे मोदी जी के विदेशी दौरे बढ़ते गए वैसे वैसे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कम होता गया।
आंकड़ों की माने तो दुनियाभर के उभरते बाजारों में किये जा रहे निवेश में से हर 100 डॉलर में से भारत का हिस्सा महज 9.5 डॉलर रह गया है, यह साल 2015 में 16 डॉलर से भी ऊपर था।
संयुक्त राष्ट्र संघ के सम्मेलन की रिपोर्ट से भी यह बात जाहिर होती है कि 2017 में भारत में एफडीआई घटकर 40 अरब डॉलर रहा है जो 2016 में 44 अरब डॉलर था। जबकि विदेशी निवेश की निकासी दोगुने से ज्यादा बढ़कर 11 अरब डॉलर रहा है, जबकि भारतीय निवेशकों द्वारा अन्य देशों में किया गया निवेश 1,100 करोड़ डॉलर के साथ दोगुने से ज्यादा हो गया है यानी भारत के व्यापारी भी भारत मे पैसा लगाना के बजाए विदेशों में लगा रहे हैं।
वैसे भारत में सबसे ज्यादा विदेशी निवेश करने वाले देशों की बात करें तो आज भी इसमें मॉरीशस सबसे ऊपर है, जिसे भाजपा के मंत्री काले धन का सबसे बड़ा स्रोत बताया करते थे, भारत में मॉरीशस ने 15.94 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। इसके बाद सिंगापुर (12.18 बिलियन डॉलर), नीदरलैंड्स (2.8 बिलियन डॉलर) का नाम है।
कुल मिलाकर बात करे तो मोदी जी के विदेश दौरे पूरी तरह फेल साबित हुए हैं इनको देखकर’नाम बड़े और दर्शन छोटे’ जैसी कहावत ही याद आती है।