सईदा खान..!
शायद ऐसी इकलौती हिंदी फिल्म अभिनेत्री होगी जिसने अपने पति के साथ लव मैरिज की हो और पति के हाथों से ही बेरहमी से जिसका कत्ल हुआ हो..!
सईदा खान का जन्म कलकत्ता में मुस्लिम परिवार मे तारीख 24.10.39 को हुआ था. सईदा खान की अम्मी का नाम अनवरी बेगम था.
सईदा खान को बचपन से ही फिल्मों में काम करने का शौक था.. फिल्म निर्माता निर्देशक ऐच्.ऐस. रवैल से उनकी मुलाकात हो गई.. उनहोंने सईदा खान को फिल्मों में काम देने का आश्वासन दिया… और सईदा खान फिल्मों में काम करने के लिए अपनी अम्मी के साथ कलकता से बंबई जा पहुंची ..!!.
सईदा खान हिन्दी फ़िल्मों के परदे पर सबसे पहले शायद फिल्म हनीमून ( सुनहरी रातें) 1960 में दिखाई दी . .फिल्म के हिरो मनोज कुमार थे फिल्म के अन्य कलाकार विजया और राधाकिशन थे.. फिल्म के निर्देशक लेख राज भाखरी और संगीत कार सलील चौधरी थे. फिल्म खास चली नहीं.1960 मे ही सईदा खान की एक ओर फिल्म आई… अपना हाथ जगन्नाथ.. इस फिल्म में सईदा खान के हीरो किशोर कुमार थे. फिल्म के निर्देशक मोहन सहगल और संगीत कार सचिन देव बर्मन थे.. फिल्म अपना हाथ जगन्नाथ की कहानी अमीर खान और मनीषा कोईराला की फिल्म मन (1999) से मिलती जुलती थी.. इस फिल्म में भी सईदा खान किशोर कुमार से शादी करने के लिए घर से भाग जाती है .. कार एकसीडेंट में उनके दोनों पैर टूट जाते हे वह किशोर कुमार पर बोझ बनना नहीं चाहती वह किशोर कुमार को एकसीडेंट के बारे में बताती नहीं.. किशोर कुमार धनवान बन जाते हे उसे तो ऐसा ही लगता है की सईदा खान ने तो किसी ओर से शादी कर ली है बाद में सब कुछ ठीक हो जाता है . ! फिल्म अपना हाथ जगन्नाथ मे एक गाना था.. तूझे मिली रोशनी मुझको अंधेरा.. सारा जहाँ है बदगुमाँ कोई नहीं मेरा यहाँ….! आशा भोसले ने यह गाना बहुत ही मधुर और मादक आवाज में अनोखे अंदाज में गाया है .. इस गीत के शब्द …मेरा यहाँ..! थोडे बाजारू लेकिन मीठे और मनभावन लहजे में आशा भोसले ने गाया है .. बहुत अच्छा लगता है .. !
1961 में निर्देशक एच. एस. रवैल की फिल्म काच की गुडिया आई. यह फिल्म बंगाली social बेक ग़ाउंड पर आधारित थी.इस फिल्म में सईदा खान के हीरो मनोज कुमार थे.. यह फिल्म काफी सफल रही और सईदा खान की पहेचान बन गई… फिल्म काच की गुडिया में एक बहुत ही मधुर और सुरीला गाना था… साथ हो तुम और रात जवा… नींद कीसे अब चैन कहा.. कुछ तो समज ए भोले सनम.. कहेती हे कया नजरों की जुबा.. शैलेंद्र के लिखे हुए इस गीत को मुकेश और आशा भोसले ने गाया है ..
मगर अफसोस. ! फिल्म काच की गुडिया में यह गीत मुझे कहीं पर दिखाई नहीं दिया..! हा. यु ट्यूब में यह गीत देखने और सुनने को मिला.. लेकिन आश्चर्य यह हुआ की किशोर शाहु की 1965 की एक फिल्म पूनम की रात मे मनोज कुमार और कुमुद छुगानी पर यह गीत फिल्माया गया दिखाई दिया..! 1961 मे ही सईदा खान की एक ओर फिल्म आई.. Modern Girl. इस फिल्म के हीरो प्रदीप कुमार थे.इस फिल्म की हिरोइन सईदा खान नहीं नलिनी चोनकर थी ..! सेकंड लीड हिरोइन के तौर पर फेमस और टेलेंटेड बंगाली एकट़ेस स्मृति बिश्वास है .. रोने धोने के लिए सईदा खान को हिरोइन के तौर पर रखा गया था. ! इस फिल्म में हीरो प्रदीप कुमार से ज्यादा फुटेज johny walkar को मिली है ..!
इस फिल्म का सुमन कल्याण पुर और मुकेश का गाया हुआ ये मौसम रंगीन समा ठहर जरा ओ जाने जा… बहुत ही मशहूर और लोकप्रिय हुआ था. महंमद रफी और आशा भोसले का गाया हुआ एक और गीत तोड़ दिया चश्मा मेरा तूने अरे ओ बेवफा… पुरानी फिल्म अंदाज के एक गीत तोड़ दिया दिल मेरा का यह पेरोडी गीत था…! ;
सन 1962 में सईदा खान की एक फिल्म आई थी में शादी करने चला..! फिल्म के हीरो (!!??) आई एस. जौहर थे! इस फिल्म में सईदा खान मुमताज तबस्सुम प़वीन चौधरी जैसी अभिनेत्री फिरोज खान और प्रेम चोपडा भी थे.. महंमद रफी का गाया हुआ ईस फिल्म का टाइटल सोंग कोई बुरा कहे या कहे भला में शादी करने चला अरे में शादी करने चला.. मुझे आज भी याद हे…! यह फिल्म खास चली नहीं थी.
उसके बाद ऐसा वक्त भी आया कि सईदा खान को बडे हीरो के साथ बडी फिल्मों में काम मिलना बंद हो गया. सईदा खान ने बी. या सी. ग़ेड की फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया!
इसी दौर में फिरोज खान के साथ 1964 में सईदा खान की एक फिल्म आई.. चार दरवेश..! यह कलर फिल्म थी और काफी सफल भी हुई… लेकिन उसके बाद सईदा खान को नतो कोई बडे बैनर की अच्छी फिल्में मिली… न वह सफल अभीनेत्रि बन पाई..! सईदा खान वांटेड 1961.. मर्डर ओन हिल स्टेशन. एक साल पहले बेखबर कन्या दान वासना यह जिंदगी कितनी हसीन हे.. जैसी फिल्मों में दिखाई दी और बाद में Short time actress बन कर हिन्दी फ़िल्म आकाश से गुम हो गई…!!
1971 में सईदा खान ने फिल्म निर्माता निर्देशक ब्रज मोहन सदाना से लव मेरिज की. ब्रज मोहन सदाना ने यह रात फिर ना आयेगी… चोरी मेरा काम.. विकटोरिया नंबर 203 सफल फिल्में बनाई हे. सईदा खान को ब्रज मोहन सदाना से कमल नाम का बेटा और नम़ता नाम की बेटी हुईं.. दोनों पति पत्नी खुश हाल जिंदगी जी रहे थे लेकिन बाद में न जाने कया हुआ…! सईदा खान और उनके पति ब्रीज की मेरिड लाईफ बिगडती चली…. दोनों के बीच लड़ाई झगडे बढते ही गये…!!
…….और एक दिन..!!
21.10.1990 के रोज सईदाखान के बेटे कमल सदाना का जन्म दिन था. उनके घर में ऊपर के कमरे में कमल अपने दोस्तों के साथ पार्टी मना रहा था. और नीचे हाल मे बहुत ज्यादा दारू पीकर ब्रज मोहन सदाना अपनी बीवी सईदाखान से झगड़ा कर रहा था… और….गुस्से में आकर उसने सईदा खान को अपनी रिवोल्वर से गोली मार दी. .! बेटी नम़ता अपनी माँ को बचाने के लिए बीच में आई तो ब्रज मोहन ने उसे भी गोली मार दी!.. गोलीयों की आवाज सुन कर कमल नीचे आया तो ब्रज मोहन ने उस पर भी गोली चलाई…लेकिन कमल बच गया…. बाद में ब्रज मोहन सदाना ने अपने आप पर गोली चला कर खुद को भी खत्म कर दिया…!!
इस तरह कमल के जन्म दिन पर ही घर के तीन लोगों की जान चली गई..!! और बेटे कमल के सिवा सईदाखान का पुरा परिवार खतम हो गया…!!
सईदाखान के बेटे कमल ने दिव्या भारती के साथ रंग और काजोल के साथ फिल्म बेखुदी फिल्मों में काम किया हे लेकिन उसे भी फिल्मों में जयादा सफलता नहीं मिली हे…!!!!