सिंगापुर में मोदी के नाम पर आर्किड
सिंगापुर। सिंगापुर के नेशनल ऑर्किड गार्डन में प्रधानमंत्री के आगमन के अवसर पर एक आर्किड का नाम उनके नाम पर रखा गया। मोदी तीन दिवसीय दौरे पर सिंगापुर में हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया कि सिंगापुर के नेशनल आर्किड गार्डन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन के अवसर पर उनके नाम पर एक आर्किड का नाम देंड्रोब्रियम नरेंद्र मोदी रखा गया। इस गॉर्डन के बाद मोदी सिंगापुर के प्राचीनतम हिंदू मंदिर मरियम्मां गए और पूजा में शामिल हुए।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता श्री कुमार ने कहा कि हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासतों को और मजबूत बनाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मरियम्मां मंदिर का दौरा किया। दक्षिण भारत के नगापट्टिनम और कुडलोर जिले के आव्रजकों ने 1827 में इस मंदिर का निर्माण किया था। यह मंदिर देवी मरियम्मां के नाम पर बनाया गया, जिनके बारे में माना जाता था कि वह महामारी और बीमारियों को खत्म करने में सक्षम हैं। यह मंदिर चाइनाटाउन के मध्य में स्थित है। (हिफी)
अमेरिका को करारा जवाब देगा ईरान
तेहरान। अमेरिका की धमकी में ईरान नहीं आएगा। ईरानी संसद के अध्यक्ष अली लारी जानी ने कहा है कि परमाणु समझौते से अमेरिका के अलग होने के बाद ईरान यूएस एंटी-ईरान उपायों को विफल करने के लिए तैयार है। स्पीकर ने 21 मई को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो की ओर से प्रतिबंधों को लेकर रखी गईं 12 शर्तों की भी कड़ी निंदा की। अली लारी जानी ने कहा, 12 में से सात शर्तें क्षेत्रीय मुद्दों से संबंधित थी, जो दर्शाता है कि ईरान के साथ अमेरिका की समस्या परमाणु मुद्दे से संबंधित नहीं है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 8 मई को ईरान परमाणु समझौते से खुद को अलग करने की घोषणा की और मध्यपूर्व में तनाव को लेकर चेतावनी भी जारी की थी। हालांकि ट्रंप के इस फैसले की ईरान के अलावा अन्य सहयोगी देशों ने भी निंदा की। बता दें कि परमाणु सौदे पर हस्ताक्षर करने वाले पांचों सदस्य देश-ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, चीन और जर्मनी ने सौदे में रहने का वादा किया। गौरतलब है कि 21 मई को पोम्पियो ने ईरान के व्यवहार को बदलने के लिए 12 कठिन मांगों की घोषणा की थी। इनमें बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम समाप्त करना, मध्य पूर्व में आतंकवादी समूहों को समर्थन करना बंद करना, जल रिएक्टर बंद करना, सभी परमाणु साइटों पर अंतरराष्ट्रीय निरीक्षकों की पूर्ण पहुंच की अनुमति देना और अमेरिका व उसके सहयोगियों के सभी कैदियों को रिहा करना शामिल था। यदि तेहरान मांगों को स्वीकार करने में विफल रहता है तो पोम्पिओ ने ईरान पर सबसे मजबूत प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी, जिसे इतिहास में याद रखा जाएगा। (हिफी)
नेतन्याहू की पीठ पर ट्रम्प ने रखा हाथ
संयुक्त राष्ट्र। अमेरिका ने एक बार फिर नेतन्याहू की पीठ पर हाथ रखा है। गाजा से लगती सरहद पर इस्राइली सेना की गोलीबारी में 100 से ज्यादा फिलिस्तीनियों के मारे जाने के बाद उनके संरक्षण के उपाय के लिए लाए गए अरब समर्थित संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के मसौदे पर अमेरिका ने वीटो कर दिया है.प्रस्ताव का यह मसौदा सुरक्षा परिषद में अरब देशों की ओर से कुवैत ने रखा था। इसके पक्ष में चीन, फ्रांस और रूस समेत दस देशों ने मतदान किया था, जबकि ब्रिटेन, इथोपिया, नीदरलैंड और पौलेंड गैर हाजिर रहे थे। सुरक्षा परिषद में इस प्रस्ताव के मसौदे को स्वीकार करने के लिए नौ मतों की आवश्यकता थी और पांच स्थायी देशों की ओर से वीटो भी नहीं होना चाहिए था। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी देश ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस और अमेरिका हैं। अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने परिषद से कहा कि गाजा में हाल की हिंसा पर इस्राइल की निंदा के लिए लाये गए प्रस्ताव का मसौदा पूरी तरह से गलत है।
इस प्रस्ताव के मसौदे की सामग्री कुवैत ने तैयार की है जो गाजा और कब्जाए गए पश्चिमी तट पर फलस्तीनी नागरिकों की सुरक्षा और संरक्षण की गारंटी की मांग करता है। मतदान से पहले, गाजा सीमा बाड़ के पास इस्राइली सैनिकों ने फलस्तीन की युवती की गोली मारकर हत्या कर दी. इसी के साथ मार्च के अंत से अब तक इस्राइली सेना की गोलीबारी में मरने वालों की संख्या 123 हो गई है। (हिफी)
मोहम्मद बिन सलमान को धमकी
दुबई। कट्टर आतंकवादी संगठन अलकायदा ने सऊदी अरब के सुधारवादी शहजादे मोहम्मद बिन सलमान को उनकी ‘पाप भरी परियोजनाओं’ के विरुद्ध आगाह किया है। शहजादे मोहम्मद अतिरुढ़िवादी सऊदी अरब में कई नीतिगत बदलाव ला रहे हैं जिनमें सिनेमाघरों की बहाली और महिलाओं को वाहन चलाने की अनुमति शामिल हैं। यमन स्थित इस जिहादी संगठन ने अपने मदाद न्यूज बुलेटिन में कहा है कि बिन सलमान के नये दौर में मस्जिदों की जगह सिनेमाघरों ने ली है। जिहादी संगठनों की गतिविधियों पर नजर रखने वाली अमेरिकी कंपनी साइट इंटेलीजेंस ग्रुप ने यह खबर उठायी है।
अलकायदा ने कहा कि उन्होंने इमामों से संबंधित पुस्तकों के स्थान पर पूर्व और पश्चिम के नास्तिकों और धर्मनिरपेक्षवादियों की बेतुकी बातों को जगह दी है तथा भ्रष्टाचार एवं नैतिक पतन के लिए द्वार को पूरी तरह खोल दिया है। गौरतलब है कि सऊदी की राजकुमारी की ड्राइवर सीट पर बैठी हुई तस्वीर छपी थी जिस कारण बहुत बड़ा विवाद खड़ा हो गया था। कुछ लोग जो बदलाव को लेकर सऊदी में विरोध कर रहे है उन्हें ये तस्वीर ठीक नहीं लगी। सऊदी की कुछ महिलाओं ने ही सोशल मीडिया पर मैग्जीन के कवर पर छपी राजकुमारी की फोटो के चेहरे पर गिरफ्तार एक्टिविस्ट की तस्वीर लगाकर देशद्रोही का नाम दिया था। (हिफी)