डेंगू/ ‘डेंगी’ / ‘डेंगू बुख़ार’ ख़तरनाक संक्रामक रोग है। आम भाषा में इस बीमारी को “हड्डी तोड़ बुख़ार” कहा जाता है, क्योंकि इसके कारण शरीर व जोड़ों में बहुत दर्द होता है। डेंगू के प्रति लोगों में जागरुकता फैलाने तथा इसके प्रति सचेत रहने के लिए ही हर साल ’10 अगस्त’ को ‘डेंगू निरोधक दिवस’ मनाया जाता है।
डेंगू के मुख्य लक्षण हैं- तीव्र बुख़ार, जोड़ों में मांसपेशियों में और शरीर दर्द, चिड़चिड़ापन तथा सिर दर्द। यह एड़ीज मच्छर के काटने से होने वाला एक तीव्र वायरल इन्फेक्शन है। इससे शरीर की सामान्य क्लॉटिंग (थक्का जमना) की प्रक्रिया अव्यवस्थित हो जाती है। ऐसी अवस्था प्लेटलेट के बहुतायत में नष्ट होने के कारण होती है। इससे कभी-कभी घातक रूप में सारे शरीर में रक्तस्राव होने लगता है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसे महामारी के रूप में देखा जाता है। वयस्कों के मुक़ाबले, बच्चों में इस बीमारी की तीव्रता अधिक होती है। यह बीमारी यूरोप महाद्वीप को छोड़कर पूरे विश्व में होती है तथा काफ़ी लोगों को प्रभावित करती है। डेंगू की स्थिति में मृत्युदर लगभग एक प्रतिशत है। यह बरसात के मौसम में तेज़ी से फैलता है। आपको या आपके पड़ोसी को अगर डेंगू बुख़ार हो जाता है, तो इससे बचने के उपाय अपनायें। सबसे पहले रक्तजांच करायें और अपने आसपास मच्छरों से सुरक्षा के उपाय अपनायें। साधारणतः गर्मी के मौसम में यह रोग महामारी का रूप ले लेता है जब मच्छरों की जनसंख्या अपने चरम सीमा पर होती है। डेंगू एशिया, अफ़्रीका, दक्षिण तथा मध्य अमेरिका के कई उष्ण तथा उपोष्ण क्षेत्रों में होता है।
यह “डेंगू” वायरस द्वारा होता है इसे “डेन वायरस” भी कहते हैं। डेंगू वायरस चार मुख्य प्रकार के होते हैं, जैसे कि डेन-1, डेन-2, डेन-3 और डेन-4 (DEN-1, DEN-2, DEN-3, DEN-4)। ये फ्लैवि वायरस गण तथा फ्लेविविराइड परिवार के होते हैं, बहुधा उन्हीं क्षेत्रों में फैलता है जिनमें मलेरिया फैलता है, किंतु मलेरिया से पृथकता यह है कि यह शहरी क्षेत्र में फैलता है जिनमें सिंगापुर, ताइवान, इण्डोनेशिया, फिलीपींस, भारत तथा ब्राज़ील भी शामिल है, प्रत्येक विषाणु इतना भिन्न होता है किसी एक से संक्रमण के बाद भी अन्य के विरुद्ध सुरक्षा नहीं मिलती है, तथा जहाँ यह महामारी रूप में फैलता है वहाँ एक समय में अनेक प्रकार के विषाणु सक्रिय हो सकते हैं, ये उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में तथा अफ़्रीका में मिलते हैं, ये चार प्रकार के निकटता से जुड़े [विषाणु]] से होते हैं। डेंगू बुख़ार से पीड़ित रोगी के रक्त में डेंगू वायरस काफ़ी मात्रा में होता है। डेंगू बुख़ार से पीड़ित रोगी के रक्त में डेंगू विषाणु प्रवेश कर प्लेटलेट पर आक्रमण करता है। प्लेटलेट शरीर में रक्तस्राव रोकने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। शरीर में प्लेटलेट की संख्या चिंताजनक स्तर तक गिर जाती है। इससे असामान्य रक्तस्राव हो सकता है, जो कि चमड़ी, आमाशय, आंत्रों और शरीर के अन्य रन्ध्रों से होता है। एक छोटी चोट लगने पर भी बहुत तेज़ रक्तस्राव होने लगता है, क्योंकि रक्त क्लॉट नहीं हो पाता।
मलेरिया की तरह डेंगू बुख़ार भी मच्छरों के काटने से फैलता है। डेंगू सभी मच्छर से नहीं फैलता है। यह केवल कुछ जाति के मच्छर से फैलता है। इस रोग का वाहक एड़ीज मच्छर की दो प्रजातियां हैं- एडीज एजिपटाई ) तथा एडीज एल्बोपेक्टस के नाम से जाने जाते हैं। जो काफ़ी ढीठ व और दुस्साहसी मच्छर हैं और दिन में भी काटते हैं। मच्छर के शरीर में एक बार वायरस के पहुंचने के पश्चात् यह पूरी ज़िन्दगी बीमारी फैलाने में समक्ष होता है। डेंगू बुख़ार उस मच्छर के काटने से होता है जिसने पहले से ही किसी डेंगू के मरीज़ को काटा है। यह मच्छर बरसात के मौसम में ज़्यादा फैलते हैं और यह उन जगहों पर तेज़ी से फैलते हैं जहाँ पानी जमा हो। डेंगू का वायरस स्वाइन फ्लू की तरह संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से नहीं फैलता। यह मच्छर के माध्यम से ही फैलता है। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे में नहीं फैलता, अगर किसी को डेंगू की बीमारी है, और एडीज मच्छर उस मरीज़ से ख़ून पीता है, तो मच्छर में डेंगू वायरस युक्त ख़ून चला जाता है। फिर जब एक सप्ताह में किसी स्वस्थ व्यक्ति को यह मच्छर काटता है, तो डेंगू का वायरस उसमें चला जाता है। मच्छर को वेक्टर कहते हैं और इस प्रकार से फैलने वाले बीमारी को वेक्टर बोर्न डिसईज़ कहते हैं। डेंगू उन लोगों को जल्दी प्रभावित करता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। यह भी हो सकता है कि डेंगू बुख़ार एक ही व्यक्ति को कई बार हो जाये। लेकिन ऐसी स्थिति में बुख़ार के प्रकार भिन्न होंगे।
डेंगू से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका मच्छरों की आबादी पर काबू करना है। इसके लिए या लार्वा पर नियंत्रण करें या वयस्क मच्छरों की आबादी पर। मच्छर एक छोटा-सा जीव है परन्तु यह मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी गंभीर बीमारियां फैला सकता है। मलेरिया का मच्छर गंदे पानी में पनपता है इसके विपरीत डेंगू के मच्छर साफ, इकट्ठे पानी में पनपते हैं, डेंगू से बचने के लिए सबसे ज़रूरी है मच्छरों से बचना जिनसे कि डेंगू का वायरस फैलता है। मच्छर पानी में अंडा देकर और मच्छर फैलाते हैं। यह जीवनचक्र क़रीब 1 हफ्ते में पूरा होता है। इसका मतलब है कि, अगर कोई रोकने का उपाय न किया गया तो हर हफ्ता, मच्छर की तादाद दौगुना होती जाएगी। इससे मच्छरों से फैलने वाले बीमारियाँ भी अधिक होंगी। डेंगू को रोकने के लिये आपको अपने घर और मोहल्ले में मच्छर को कम करना होगा। ये मच्छर आपके घर के अंदर और आस-पास जमा हुये पानी में पैदा होते हैं। मच्छरों के पैदा होने से रोकने के लिये ऐसे क्षेत्र जहाँ डेंगू फैल रहा है, वहाँ पानी को जमा ना होने दें। अपने घर के अंदर और आस-पास कहीं पानी को जमा न होने दें। आस-पास के गड्ढों, सड़कों को जहाँ पानी जमा हो सकता है, भर दें। कचरे, अनुपयोगी सामानों को हटा दें अथवा नष्ट कर दें। एयर कूलर, ड्रम, फूलदान, पौधों के गमलों, पक्षियों के नहाने के स्थान हर सप्ताह ख़ाली करके सुखाएं। कुएं, तालाबों, पानी के बड़े पूल में मच्छरों का लार्वा खाने वाले गमबूशिया मछली छोड़ें। बरसात में या ऐसे क्षेत्रों में जहां मच्छर हों वहां मच्छरों से बचने का हर संभव प्रयास करें। आप जिस क्षेत्र में रह रहे हैं वहाँ मच्छर अधिक हैं तो मास्कीटो रिपेलेंट का प्रयोग ज़रूर करें। अपने घर, बच्चों के स्कूल और अॉफिस की साफ़ सफाई पर भी नज़र रखें। नाली को बहता रहना चाहिये। डेंगू का मच्छर दिन के समय ही काटता है इसलिए दिन में अपने आपको मच्छरों से बचाएँ। बरसात के समय फुल बाहों वाली शर्ट और जूते ज़रूर पहनें। मच्छरों के काटने से बचने के लिए कई उपाय किये जा सकते हैं, जैसे सफ़ेद या हल्के रंगा का पूरे बांह वाले कपडे़ पहने, जिससे कि आप अपने शरीर को पूरे तरह से ढक सकें, सोते समय जहां अधिक मच्छर हैं, वहां रात को कीटनाशक उपचारित मच्छरदानी का उपयोग करें। कभी-कभार मच्छर मारने वाले दवा उन जगहों पर मच्छर पर असर नहीं करता है, नीम की पत्ती का धुंआ घर में कर सकते हैं, खिड़की और दरवाज़े में जाली लगा कर रखना चाहिये। दोपहर के बाद, खिड़की और दरवाज़े को बंद रखें, कि मच्छर का आना-जाना कम हो। कोई भी बरतन में खुले में पानी न जमने दें। बतरन को ख़ाली करके रखें या उलट कर रखें। अगर आप किसी बरतन, बाल्टी, ड्रम, इत्यादि में पानी जमा करके रखते हैं, तो उसे ढक कर रखें। अगर किसी चीज़ में पानी रखते हैं, तो उसे साबुन और पानी से धो लिया करें, कि उस में से मच्छर का अंडा को हटाया जा सके। अपने मोहल्ले के लोगों को भी मच्छर को फैलने से रोकने के लिये प्रोत्साहित करें। अपने नगर निगम द्वारा मच्छर मारने वाला दवा छिड़कायें। बरसात के मौसम में और चौकसी बरतें। एक नया तरीका मेसोसाक्लोपस नामक जलीय कीट जो लार्वा भक्षी है को रुके जल में डाल देना है, यह बेहद प्रभावी, सस्ता तथा पर्यावरण मित्र विधि है इसके विरुद्ध मच्छर कभी प्रतिरोधक क्षमता हासिल नहीं कर सकते है किंतु इस हेतु सामुदायिक भागीदारी सक्रिय रूप से चाहिए।साभार