संघ और बजरंग दल पहले भी कानपुर को दहलाने की कोशिश कर चुके हैं
मायावती और अखिलेश सरकार ने कानपुर के संघी आंतकियों को जानबूझ कर बचाया जाकिर नायक के बहाने मुसलमानों को निशाना बनाना चाहती है सरकार
लखनऊ। रिहाई मंच ने कानपुर के जाजमऊ इलाके में ईद के दिन विस्फोटकों से भरी सेंट्रो कार की बरामदगी के मामले की जांच कराने की मांग करते हुए कहा है कि इस जांच के परिधि में संघ परिवार और उसके संगठनांे को लाया जाए। मंच ने इस्लामिक विद्वान जाकिर नायक को बांग्लादेश में हुए आतंकी हमले से जोड़ने की निंदा करते हुए इसे मुसलमानों को बदनाम करने की एनआईए की ताजा कोशिश करार दिया है।
रिहाई मंच द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में मंच के अध्यक्ष एडवोकेट मोहम्मद शुऐब ने कहा है कि ईद के दिन कानपुर के जाजमऊ इलाके से तीन हजार से ज्यादा डेटोनेटरों से लदी सेंट्रो कार का लावारिस हालत में मिलना साबित करता है कि प्रदेष में संघी गिरोह काफी सक्रीय हो गए हैं जो किसी भी वक्त मालेगांव या मक्का मस्जिद या समझौता एक्सप्रेस जैसे हमले कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बरामद सेंट्रो कार का मोदी के लोकसभा क्षेत्र बनारस का होना और भेलूपुर थाने में 20-21 जून को कार मालिक संदीप चक्रवर्ती द्वारा उसके चोरी होने की रिपोर्ट का दर्ज होना भी इस संदेह को पुख्ता करता है कि कार और विस्फोटकों का कोई संघी कनेक्शन जरूर है, जिसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बरामद हुए तीन हजार से ज्यादा डेटोनेटरों का धौलपुर की फैक्ट्री से सप्लाई होना भी इस तथ्य को पुष्ट करता है कि इसमे सरकार की भूमिका भी संदिग्ध है क्योंकि सरकारी फैक्ट्री से बिना सरकार की संलिप्तता या उसके वैचारिक समर्थकों की संलिप्ता के ये जखीरा नहीं निकल सकता। उन्होंने कहा कि यह पूरा प्रकरण कर्नल पुरोहित के माॅडस आॅपरेंडी से मिलता है जिसने अपने प्रभाव से सेना के इस्तेमाल के लिए आए ग्रेनेड्स, डेटोनेटर और आरडीएक्स को संघ गिरोह को मुहैया कराया था। जिसका इस्तेमाल मालेगांव, मक्का मस्जिद और समझौता टेªन एक्सप्रेस में हुए आतकी हमले में संघ परिवार ने किया था।
मोहम्मद शुऐब ने कहा कि डेटोनेटरों के इतने बड़े जखीरे के मिलने के बाद भी इस खबर को अखिलेश सरकार और उनकी पुलिस द्वारा दबाने की कोशिश और मीडिया के एक बड़े हिस्से की चुप्पी इस प्रकरण के संघ परिवार से जुड़े होने की जनता में व्याप्त आशंका को और मजबूत करता है। उन्होंने कहा कि यदि यह कार किसी मुस्लिम की होती तो अब तक न जाने कितने बेगुनाह मुस्लिम युवकों को आंईएस और लश्कर के नाम पर फंसा दिया गया होता और जी टीवी और दैनिक जागरण ने न जाने किन-किन आतंकी संगठनों से उनके तारों के जुड़े होने की खबरें चला दी होतीं। लेकिन इस मसले पर सभी आपराधिक चुप्पी साधे हुए हैं जैसे उन्हें अफसोस हो कि विस्फोट से पहले ही ये जखीरा कैसे पकड़ लिया गया।
वहीं रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में संघ परिवार की भूमिका इसलिए भी जांच के दायरे में लाई जानी चाहिए कि 2008 में भी कानपुर में बम बनाते समय हुए विस्फोट में बजरंग दल के तीन नेता मर गए थे। उनके पास से तब सुरक्षा एजेंसियों ने कई शहरों को पूरी तरह तबाह कर देने की क्षमता वाले विस्फोटकों का भारी जखीरा पकड़ा था। उस मामले में तत्कालीन मायावती सरकार ने संघ परिवार के इन आतंकियों को बचाते हुए पूरे मामले को ही ठंडे बस्ते में डाल दिया था। जबकि विस्फोट में उड़े आंतकियों के मोबाईल से संघ के सुनील जोशी समेत कई दुर्दांत आतंकियों और कानपुर आईआईटी के एक संघी प्रोफेसर के बीच बात-चीत के रिकाॅर्ड मिले थे।
इस घटना की जांच करने वाले जांच दल के सदस्य रहे रिहाई मंच महासचिव ने कहा कि इस पूरे मामले को न सिर्फ बसपा ने दबा दिया बल्कि उसके बाद आने वाली अखिलेश यादव सरकार ने सत्ता सम्भालने के कुछ दिनों के भीतर ही तत्परता दिखाते हुए मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा कर संघ परिवार के आंतकियों को बचाने का काम किया था। उन्होंने कहा कि अगर बसपा और सपा सरकारों ने संघी आंतकियों को बचाने का काम नहीं किया होता तो इनके हौसले इतने बुलंद नहीं होते कि वे फिर से कानपुर को दहलाने की हिम्मत करते।
राजीव यादव ने कहा कि हर महीने आतंकवाद की आरोपी साध्वी प्रज्ञा से मिलने जेल में जाने वाले गृहमंत्री जो उससे पहले दाऊद इब्राहिम के शार्प शूटर रहे बृजेश सिंह से भी मिलने जेल जा चुके हैं, का जाकिर नायक पर सवाल उठाना हास्यास्पद है। जाकिर नायक एक इस्लामिक स्काॅलर हैं जो धर्मों के तुलनात्मक व्याख्या के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कहा कि शास्त्रार्थ तो प्राचीन भारतीय परम्परा का अभिन्न हिस्सा रहा है, इसीलिए जाकिर नायक को बांग्लादेश में हुए हमले का आरोपी की तरह प्रस्तुत करना साबित करता है कि भाजपा उस भारतीय संस्कृति का भी सम्मान नहीं करती जिसका रट्टा उसके नेता दिन रात लगाते रहते हैं। श्रंी राजीव यादव ने कहा कि जाकिर नायक तो सिर्फ बहाना हैं असली निशाना तो मुसलमान हैं जिन्हें इसके बहाने बदनाम करने और हिंदुओं में उनके खिलाफ नफरत भरने के लिए ये सब किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एनआईए मोदी सरकार के इशारों पर काम करके अपनी छवि खराब करने के सिवा और कुछ नहीं कर रही है।