नरेश दीक्षित । प्रदेश में वन क्षेत्रफल व हरियाली बढ़ाने के लिए प्रति वर्ष करोडों वृक्ष रोपण का दावा किया जाता है लेकिन यह दावे सिर्फ गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने तक सीमित रहता है। प्रदेश के मुख्यमंत्री ने एक बयान में कहा है कि जब से वह सत्ता में आए है छः वर्ष में 135 करोड़ पौधे लगाए है और उनमें से 80 % जीवित है!जबकि फील्ड में हकीकत यह है कि 5% भी पौधे जीवित नही है। यदि होते तो प्रदेश हरा-भरा नजर आता। वृक्षारोपण का यह कार्य जुलाई से लेकर अगस्त तक सरकारी धूमधाम से दशकों से मनाया जा रहा है फिर भी वन क्षेत्र सिर्फ सरकारी आकडों में बढ़ता दिखाई देता है।जबकि वास्तविकता कोसों दूर है। इसका मूल कारण आज तक किसी भी सरकार ने जानने की कोशिश नही की है। प्रतिवर्ष करोडों वृक्ष लगाने का दावा करने वाली सरकारें क्या करोड़ो वृक्ष रोपित भी होते है या सिर्फ आंकडे ही दर्शाए जाते है? मुख्य मंत्री ने इस वर्ष 22 जुलाई को 35 करोड़ वृक्ष रोपित किये जाने का लक्ष्य रखा गया है । लक्ष्य को पुरा करने के लिए प्रदेश सरकार के 23 मंत्रालय भी इस महाभियान का हिस्सा बनेगें। साथ ही प्रदेश की 58 हजार 924 ग्राम पंचायतें और 652 शहरी निकाय क्षेत्रों को भी अभियान में जोड़ दिया गया है।
योगी सरकार ने पिछले वष॔ भी 22 करोड़ वृक्ष रोपित करने का दावा किया था और कहा था प्रदेश में 9,2 प्रतिशत हरियाली का स्तर बढ़ाने के लिए 15 अगस्त 2022 को 22 करोड़ पौध रोपड़ करने के बाद प्रदेश का हरियाली स्तर 12 प्रतिशत बढ़ जायेगा ऐसा योगी सरकार का मानना था। प्रदेश में हर वष॔ जुलाई-अगस्त में बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार कर राज्यपाल,मुख्यमंत्री मंत्री,सांसद,विधायक,अधिकारी इत्यादि वृक्षारोपण करते हुए अपनी फोटो सूट कराते है। लेकिन इनमें से कोई जानने का प्रयास नहीं करता कि दशको से फोटो सूट का काय॔क्रम चल रहा है उसमें कितने पौध जीवित बचें है ? प्रदेश के कितने भू-भाग पर वृक्षारोपण हो गया है? और कितना भू-भाग अभी अवशेष हैं? वृक्षारोपण के लिए एक वृक्ष को बढ़ने, फूलने-फलने के लिए कितना समय लगता है और उनके लिए कितने वग॔ मीटर भूमि जरूरत होती है?आप यदि 2010 के पीछे का वृक्षारोपण छोड़ भी दें तो वष॔ 2011 में 21833 वग॔ किलो मीटर वन क्षेत्र था और यह माच॔ 2019 तक 21833 वग॔ किलो मीटर वन क्षेत्र सरकारी आंकडे में बताया गया था। जो 2023 आते-आते बढ़ने की जगह घट कर वनावरण प्रदेश का भूभाग 22148 वर्ग किलोमीटर रह गया है ? जबकि प्रतिवर्ष बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण होता है और करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। यहाँ तक कि पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा एक दिन में वृक्षारोपण का विश्व रिकॉर्ड बनाकर प्रदेश का नाम गिनीज़ बुक में द॔ज कराया था। और अब आप भी यही कर रहे हैं! लेकिन जब वष॔ 2011 से मार्च 2019 तक एक भी वग॔ किलो मीटर वन क्षेत्र का भूभाग बढ़ने की स्थान पर 2023 में घट गया है तो आखिर यह वृक्षारोपण हो कहा रहा है! और इस पर प्रति वष॔ करोड़ों रूपये खच॔ कर किसकी जेब में जा रहा हैं ? इस धन की बरबादी का आखिर जुम्मेदार कौन है ?
विकास के नाम पर जो कंक्रीट के जंगल खड़े किये जा रहे हैं, सड़कों के जाल बिछाये जा रहे है, हाईवे,एक्सप्रेसवें बनाएं जा रहे हैं उनके लिए हजारों वृक्षों का कटान बेतहाशा हो रहा है। प्रति वष॔ जितने वृक्ष रोपित नहीं हो पाते हैं विकास के नाम पर उससे अधिक वृक्ष काट दिये जाते हैं ? फलस्वरूप प्रदेश में हरियाली बढ़ने के स्थान पर रेगिस्तान में परिवर्तित होता जा रहा है।
देशी आम,बेल पीपल, इमली,कैथा,महुआ, जामुन,नीम बरगद,शीशम इत्यादि का स्थान कभी भी अशोक ,जंगल जलेबी ,यूकीलेपटस,अर्जुन जैसे वृक्ष नहीं ले सकते हैं। पुराने किस्म के पौधों को पेड़ बनने में दशकों लग जाते हैं लेकिन आज उन पेड़ो की विकास के नाम पर अंधाधुंध कटाई हो रही है। लखनऊ,कानपुर,आगरा,मेरठ,सहारनपुर,बरेली, हापुड इत्यादि लकड़ी मंडियों में हर रोज द॔जनों ट्रक हरी लकड़ी बिकने आती है वन विभाग मौन है पुलिस खामोश है।
क्या इस पर प्रतिबंध के लिए किसी सरकार ने आज तक कोई उपाय किये है ?योगी जी जब तक योजना की सफलता के लिए विभाग के मंत्री, प्रमुख सचिव , एवं विभाग के विभागाध्यक्ष की सीधी जिम्मेदारी तय नहीं करेंगे और दंड का प्राविधान नहीं करेंगे तो आप भी पिछली सरकारों की तरह जब तक शासन सत्ता में है वन महोत्सव मनाते रहेंगे ? लेकिन हरियाली सिर्फ वन विभाग के अफसरों की जेब में होगी ? आपजब तक रोपित वृक्षों की सुरक्षा एवं जीवित बचे पौधों की गणना का उत्तरदायित्व वन विभाग या किसी अन्य निष्पक्ष एजेंसी को नहीं सौंपेंगे तब तक प्रदेश में हरियाली नजर नहीं आयेगी ? और वृक्षारोपण का यह सरकारी पर्व हर वर्ष ऐसे ही चलता रहेगा और धन की बरवादी होती रहेगी।
