परवेज मुशर्रफ नहीं लड़ सकेंगे चुनाव
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ के 25 जुलाई को होने वाले आम चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अदालत में पेश नहीं होने के बाद पूर्व सैन्य शासक को चुनाव लड़ने के लिए दी गई सशर्त अनुमति वापस ले ली। अदालत ने पिछले सप्ताह उन्हें 25 जुलाई को प्रस्तावित आम चुनाव लड़ने की अनुमति दी थी। चीफ जस्टिस साकिब निसार ने पूर्व सेना प्रमुख को अदालत में पेश नहीं होने के लिए फटकार लगाई थी। उनको 14 जून को अपराह्न दो बजे तक पेश होने के लिए कहा गया था। सुनवाई के दौरान मुशर्रफ के वकील कमर अफजल ने अदालत को बताया कि उनका लौटना निर्धारित था। लेकिन, उनके लिए तुरंत आना संभव नहीं था। अफजल ने कहा-मैंने मुशर्रफ से बात की है। वह और समय चाहते हैं। वह पाकिस्तान आने की योजना बना रहे हैं। लेकिन, ईद की छुट्टियों और बीमारी के कारण वह तुरंत यात्रा नहीं कर सकते। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने अनिश्चितकाल के लिए सुनवाई स्थगित करते हुए कहा कि अगली सुनवाई, तभी होगी जब याचिकाकर्ता इसके लिए तैयार होंगे। (हिफी)
अब्दुल गय्यूम के पक्ष में बोला अमेरिका
वॉशिंगटन। मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल गय्यूम और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को दोषी करार देने पर निराशा जाहिर करते हुए अमेरिका ने मालदीव सरकार से मांग की है कि वह राजनीतिक कैदियों को रिहा करें और यह सुनिश्चित करें कि सितंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए पार्टियां और उम्मीदवार स्वतंत्रतापूर्वक चुनाव प्रचार कर सकें।अमेरिका के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीथर नोर्ट ने कहा कि मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल गय्यूम और उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अब्दुल्ला सईद और न्यायमूर्ति अली हमीद को बिना जरूरी सुरक्षा और बिना निष्पक्ष सुनवाई के सजा सुनाए जाने से अमेरिका को गहरी निराशा हुई है। उन्होंने कहा कि इस तरह से मालदीव की मौजूदा सरकार के शासन चलाने की प्रक्रिया पर गहरा संशय पैदा होता है और सितंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की निष्पक्षता की मंशा पर भी सवाल खड़े होते हैं। नोर्ट ने कहा कि अमेरिका अंतरराष्ट्रीय समुदाय के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर मालदीव की सरकार और राष्ट्रपति यामीन से मांग कर रहा है कि वह शासन व्यवस्था लागू करें और संविधान में सुनिश्चित किए गए अधिकारों का सम्मान करें। (हिफी)
दक्षिण एशिया के लिए नयी नीति बनाएंगे ट्रम्प
सिंगापुर। अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और उत्तरी कोरिया के चेयरमैन किम जोंग-उन की सफल मुलाकात के बाद एशिया की स्थितियों में परिवर्तन होगा क्योंकि अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप दक्षिण एशिया के लिए अमेरिकी दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर एक नई एकीकृत नीति की घोषणा कर सकते हैं। इसके माध्यम से क्षेत्र में स्थिरता बनाने के लिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान के कूटनीतिक रूप से संलग्न होने की आवश्यकता होगी। इस नीति के माध्यम से आतंकवादियों के खिलाफ जो अभियान चला रखा है, उसमें और गति से काम हो सके। इसके लिए अफगानिस्तान सरकार का आतंकवादियों के खिलाफ समर्थन जारी रख सकती है। अफगान सरकार को आर्थिक सहायता, हथियारों की सहायता और दवाइयां मिलती रहेंगी।अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपनी पूरी सेना वापस मंगा ली है। अमेरिका चाहेगा कि अफगानिस्तान में जो तालिबान है उससे बातचीत और समझौते के माध्यम से राजनीतिक और शांति स्थापित करने का प्रयास किया जाए। अमेरिका प्रयास करेगा कि पाकिस्तान तालिबान पर दबाव बनाए, जिससे वह समझौते के लिए तैयार हो। अफगानिस्तान में एक सफल लोकतांत्रिक राष्ट्र स्थापित हो सके। अमेरिका पाकिस्तान में फैले आतंकवाद को नष्ट करने के लिए काफी मजबूत भूमिका निभाएगा। (हिफी)
पुतिन ने दिया किम जोंग को न्योता
मास्को। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उत्तर कोरिया के एक वरिष्ठ अधिकारी के जरिए किम जोंग उन को रूस आने का न्यौता दिया। इसके साथ ही पुतिन ने सिंगापुर में डोनाल्ड ट्रंप के साथ किम जोंग की हुई बैठक को भी सराहा। पुतिन ने उत्तर कोरिया के शीर्ष अधिकारी और राज्य के सेरेमोनियल हेड किम योंग नाम की अगवानी करते हुए कहा, इसमें कोई शक नहीं कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ किम जोंग की सिंगापुर वार्ता कोरियाई प्रायद्वीप के साथ ही दुनिया पर छाए परमाणु हमले को सुलझाने की दिशा में बढ़ाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है।पुतिन ने कहा, नकारात्मक विचारों को एक तरफ रखकर किये गए इस मुलाकात (सिंगापुर वार्ता) के लिए शुक्रिया। इसके साथ ही उन्होंने कहा, निश्चित तौर पर इस मुलाकात के बाद आगे का रास्ता आसान हुआ है और कोरियाई प्रायद्वीप पर मंडरा रहे संकट में कमी आई है। उधर जापान भी प्रधानमंत्री शिंजो आबे और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के बीच एक बैठक आयोजित करने की योजना पर काम कर रहा है। (हिफी)