बहराइच से बलिया तक भड़का सांप्रदायिक तनाव योगी सरकार की साजिश – रिहाई मंच
त्योहारों के मौके पर भाजपा विधायक-मंत्री की शह पर सांप्रदायिक तनाव
वंदेमातरम के नाम पर बापू और जौहर की विरासत के विंध्वंस की तैयारी
लखनऊ 12 अक्टूबर 2018। रिहाई मंच ने बहराइच के रिसिया कस्बे में प्रतिमा और बेल्थरा रोड बलिया में वंदेमातरम के नाम पर भड़के तनाव को योगी सरकार की सुनियोजित साजिश का हिस्सा करार दिया है। मंच ने सवाल किया कि रिसिया थाने से चंद दूरी पर बिना अनुमति के पुलिस की मौजूदगी में पंडाल स्थापित कर किसके आदेश पर प्रतिमा स्थापित की गई। मंच ने कहा कि रिसिया में हुए तनाव में भाजपा मंत्री व स्थानीय विधायक अनुपमा जायसवाल तो वहीं बेल्थरा रोड बलिया के गांधी मोहम्मद अली मेमोरियल इंटर काॅलेज में भाजपा विधायक धनंजय कनौजिया और सांप्रदायिक तनाव के आरोपी शिव कुमार जायसवाल स्कूल में सांप्रदायिक तनाव भड़कानें के षडयंत्रकर्ता हैं। पुलिस हाईस्कूल-इंटर के नाबालिग बच्चों मुहम्मद कैफ, तंजील सिद्दीकी, मोहम्मद फैजान, मुहम्मद चांद, एकलाख, फिरोज, बुच्ची आदि को उठा ले गई है। मंच ने आरोप लगाया कि त्योहारों को चिन्हित करते हुए पिछले एक हफ्ते से सूबे में प्रायोजित तरीके से सत्ता संरक्षण में सांप्रदायिक तनाव भड़काया जा रहा है। महराजगंज के पनियरा गांव के बरगदवां टोले में भगवा झंडे को लेकर तो बरेली, मुरादाबाद रेलवे स्टेशन को बम से उड़ाने की धमकी वाले पत्र बताते हैं कि सूबे में बदहाल कानून व्यवस्था से ध्यान हटाने के लिए सांप्रदायिक तनाव का षडयंत्र रचा जा रहा है।
बलिया में राघवेन्द्र राम के नेतृत्व में जीएमएएम इंटर कॉलेज, बेल्थरा रोड में दलित अल्पसंख्यक एकता मंच, रिहाई मंच, इंडियन पीपुल्स सर्विसेज, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, राष्ट्रीय संघर्ष मोर्चा, स्वराज अभियान, दूधिया संघ और भाकपा के प्रतिनिधि मंडल ने दौरा किया। प्रथम दृष्टया पाया कि दो साल पहले बेल्थरा रोड में हुए सांप्रदायिक तनाव के आरोपी इस विवाद के न सिर्फ षडयंत्रकर्ता हैं बल्कि खुलेतौर पर वीडियो अपलोड कर पूरे तनाव को भड़काने के आरोपी भी हैं। इस तनाव को पैदाकर स्कूल के नौनिहालों में जहां सांप्रदायिकता का बीज बोने का काम किया वहीं कस्बे का माहौल खराब कर समाज को साप्रदयिकता के रंग में रंगने का प्रयास किया जा रहा है।
गौरतलब हैं कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और स्वतंत्रता सेनानी मोहम्मद अली जौहर के नाम पर आजादी से पहले 1929 में ‘गांधी मोहम्मद अली मेमोरियल इंटर कॉलेज’ की स्थापना हुई थी। हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतीक के रूप में जाने जाने वाले इस कॉलेज में लगभग 2500 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते है। आजादी के ऐतिहासिक संघर्षों की विरासत वाला यह कालेज लंबे समय से सांप्रदायिक तत्वों की आंख की किरकरी बना हुआ है। वीडियो वायरल करने वाले शिवकुमार जायसवाल की सांप्रदायिक जेहनियत इस बात से भी पुष्ट होती है कि उन्होंने इसका नाम बदलने को लेकर भी अभियान चलाया था। बलिया में बैरिया विधायक सुरेन्द्र सिंह लगातार सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने वाले बयान देकर तनाव पैदा करने की कोशिश करते रहे हैं।
प्रतिनिधि मंडल ने पाया कि भारत माता की जय बोलने के नाम पर दंडित करने या फिर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे जैसी अफवाहें फैलाकार छात्रों के बीच मारपीट सुनियोजित साजिश का हिस्सा थी। स्थानीय विधायक धनंजय कनौजिया द्वारा इस मामले को अनावश्यक तूल देकर स्कूल को अनिष्चित काल के लिए बंद करवा दिया गया है। इन सांप्रदायिक तत्वों को तनिक भी चिंता नहीं है कि बच्चों की परीक्षाएं आने वाली हैं और इस तरह के कानूनी विवाद से उनका भविष्य अधर में पड़ जाएगा। प्रतिनिधि मण्डल के सदस्यों उवैस असगर हाशमी, बलवंत यादव, इमरान अहमद, बृजेश बागी, अखिलेश कनौजिया, अमलेश कनौजिया, भागवत बिंद, नियाज अहमद ने विधायक धनंजय कनौजिया पर सौहार्द बिगाड़ने का आरोप लगाते हुए कानूनी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी कि जिले को सांप्रदायिकता की आग में झुलसने नहीं दिया जाएगा और अगर कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन किया जाएगा। ठीक इसी तरफ पिछले साल अक्टूबर में भाजपा विधायक संजय यादव के नेतृत्व में सिंकन्दरपुर में सांप्रदायिक तत्वों ने मुसलमानों की दुकानों में लूटपाट और आगजनी की थी। यह घटनाएं बताती हैं कि बलिया को फिर से सांप्रदायिकता की आग में झोकने पर सांप्रदायिक तत्व उतारु हैं।
रिहाई मंच नेता राजीव यादव ने कहा कि बहराइच के रिसिया कस्बे में मूर्ति स्थापना के नाम पर भड़के तनाव के लिए थानाध्यक्ष सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। भाजपा की लो इन्टेंसिटी कम्यूनल वायलेंस नीति के चलते गांव-कस्बों में सांप्रदायिक तनाव भड़काया जा रहा है और इसका वाहक प्रशासन बन रहा है। इसी के चलते प्रशासन की अनुमति के बिना भाजपा मंत्री व स्थानीय विधायक अनुपमा जायसवाल के दबाव में मूर्ति स्थापना के नाम पर तनाव पैदा किया गया। जबकि उस स्थान पर सालों पहले तनाव हुआ था और स्थानीय लोगों ने मिलजुलकर तय किया था कि इस तरह की कोई नई परंपरा नहीं विकसित की जाएगी। उन्होंने कहा कि एक तरफ राजधानी में आम नागरिक की पुलिस हत्या कर देती है तो दूसरी तरफ दोहरे हत्याकांड के बाद अभियुक्तों की गिरफ्तारी के वक्त एक की मौत से पूरा पुलिस मोहकमा सवालिए घेरे में है। वहीं अलीगढ़ से आजमगढ़ तक मुठभेड़ के नाम पर हत्या और लगातार पुलिसकर्मियों की आत्महत्या जैसी घटनाएं बताती हैं कि सूबे में परिस्थितियां सामान्य नहीं हैं।