मुबारक साल गिरह- स्वप्निल संसार। कादर खान ने अपनी पढ़ाई की शुरुआत म्युनिसिपल स्कूल से की थी। उसके बाद उन्होंने इस्माइल कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढाई पूरी की। उन्होंने इंजीनियरिंग में भी डिप्लोमा कर रखा है , फिल्म जगत में आने से पहले पहले वह कॉलेज में लेक्चरर थे। उनकी पहली फ़िल्म दाग (1973) थी जिसमे उन्होंने अभियोगपक्ष के वकील की भूमिका निभाई थी। कादर खान का जन्म 22 अक्टूबर 1935 को काबुल अफगानिस्तान में हुआ था।
कादर खान के फ़िल्मी जीवन की शुरुआत तब हुई एक बार वे अपने कॉलेज में किसी भूमिका को निभाया तो वहां उपस्थित लोगो ने उनकी काफ़ी प्रशंसा की। जब अभिनेता दिलीप कुमार को ये पता चला तो उन्होंने कादर खान को बुलाया और उन्हें रोल देखने कि इच्छा ज़ाहिर कि तो कादर खान ने अच्छे से तैयार कर उनके लिए प्रदर्शित किया। दिलीप कुमार उनके प्रदर्शन से काफी प्रभावित हुए और उन्होंने कादर खान को दो फ़िल्मो में काम दे दिया सगीना महतो और बैराग।
कादर खान ने 300 से भी अधिक फिल्मो में काम किया है साथ ही उन्होंने 1970 के दशक से ही 250 से भी ज्यादा फिल्मो के लिए सम्वाद लिखें हैं । कादर खान ने रोटी फिल्म (1974) के लिए सम्वाद लिखे थे। उस फ़िल्म के सम्वाद लिखने के लिए मनमोहन देसाई ने उन्हें एक लाख इक्कीस हजार रुपये दिए थे।स्क्रीनराइटर के रूप में कादर खान ने मनमोहन देसाई और प्रकाश मेहरा के लिए कई सारी फिल्मो के लिए काम किया। उन्होंने अधिकतर जीतेन्द्र, फिरोज खान, अमिताभ बच्चन और गोविंदा और डेविड धवन के साथ बहुत सारी सुपरहिट फिल्मो में काम किया।
अमिताभ बच्चन ने जिन फिल्मो में काम किया उनमे से कई सारी फिल्मो के लिए कादर खान ने सम्वाद लिखे है। मिस्टर नटवरलाल, खून पसीना, दो और दो पाच, सत्ते पे सत्ता, इन्किलाब, गिरफ्तार, फिल्मो के लिए भी कादर खान ने स्क्रीनराइटर के रूप में काम किया है।
1982 – फ़िल्म फ़ेयर अवार्ड (सम्वाद “मेरी आवाज सुनो”) 1991 – फ़िल्म फ़ेयर बेस्ट कॉमेडियन (बाप नम्बरी बेटा दस नम्बरी) 2013 – साहित्य शिरोमणि पुरस्कार (हिन्दी सिनेमा में योगदान के लिए)।
कादर खान कनाडा में बेटे सरफराज के साथ रहते थे। फिल्मों से कई साल पहले उनका नाता टूट गया था। कादर खान आजकल बिना सहारे के चल नहीं पाते थे। और उन्हें बोलने में भी तकलीफ होती थी। उनकी बहू शाइस्ता खान ने इंटरव्यू में बताया कि उनको अब बोलने में दिक्कत होती है। 2018 में कादर खान के घुटनों की सर्जरी हुई थी, लेकिन कुछ गड़बड़ी होने की वजह से उनकी हालत और बिगड़ गई थी । कादर ख़ान जीवन के अंतिम दिनों में सुप्रान्यूक्लियर पाल्सी बीमारी से जूझ रहे थे, जो कि लाइलाज बीमारी है। साँस लेने में तकलीफ़ के कारण उन्हें 28 दिसंबर 2018 को कनाडा के अस्पताल में भर्ती कराया गया था । 31 दिसंबर 2018 (पूर्वी समय मंडल के अनुसार) उनके पुत्र सरफराज खान ने उनकी मृत्यु की पुष्टि की। उनका अंतिम संस्कार कनाडा के मिसिसागुआ स्थित मेअडोवले कब्रिस्तान में हुआ था । एजेन्सी