स्मृति शेष। सुरेखा सीकरी का जन्म 19 अप्रैल, 1945 को नई दिल्ली में हुआ था। वे अभिनेत्री और टेलीविजन कलाकार थीं। वह मुख्य तौर से हिंदी सिनेमा में सक्रिय थीं। धारावाहिक ‘बालिका वधु’ ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई। वह हिंदी रंगमंच में 1978 से लेकर 2021 तक सक्रिय थीं। सुरेखा सीकरी ने अपने कॅरियर की शुरुआत 1978 में राजनीतिक ड्रामा फिल्म ‘क़िस्सा कुर्सी का है’ से की थी। हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने आगे कि पढ़ाई जीईसी अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी, अलीगढ़,से की और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से 1968 में रंगमंच और नाटक में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। सुरेखा जी के पिता वायु सेना में कार्यरत थे और उनकी माता शिक्षिका थीं। उनका विवाह हेमंत रेगे से हुआ था। उनके एक पुत्र है जिसका नाम राहुल सीकरी है, जो मुम्बई में अभिनय के क्षेत्र में काम करता है। पति हेमंत रेगे का 20 अक्तूबर, 2009 को निधन हो गया था।इनकी बहन का नाम परवीन था, जिसका विवाह 1970 में बॉलीवुड अभिनेता नसीरुद्दीन शाह से हुआ था। उनकी बेटी अभिनेत्री हीबा शाह है।
सुरेखा सीकरी अपनी स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद काफी समय तक नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में रंगमंडल के साथ काम करती रही। रंगमंडप कलाकारों में मनोहर सिंह सुरेखा सीकरी और उत्तरा बावकर की धूम थी। सुरेखा सीकरी ने दूरदर्शन धारावाहिक ‘तमस’ (1988), फिल्म ‘मामो’ (1995) और ‘बधाई हो’ (2018) के लिए तीन बार सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता।
उन्हें मिले पुरस्कार व सम्मान
सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री, राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार-सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री, फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार-सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री, स्क्रीन पुरस्कार
एक विदेशी कंपनी को जब अपना हिंदी मनोरंजन चैनल लॉन्च करने के लिए ऐसी अदाकारा की तलाश हुई जो परदे पर पूरे रुआब के साथ परंपराओं की वाहक बन सके तो सबको एक साथ नाम सूझा, सुरेखा सीकरी यानी कलर्स चैनल को देश में लॉन्च करने वाले धारावाहिक ‘बालिका वधू’ की दादी सा। और, जब एक फिल्म में एक ऐसी सास के लिए कलाकार की जरूरत महसूस हुई जो अधेड़ उम्र की अपनी बहू के फिर से मां बनने को लेकर हो रही आलोचनाओं के समय उसके पक्ष में खड़ी दिख सके तो फिर सबको एक ही नाम सूझा, सुरेखा सीकरी यानी फिल्म ‘बधाई हो’ की दुर्गा देवी कौशिक। जीतू की मां। नकुल की दादी। ये दोनों किरदार सुरेखा सीकरी के अभिनय जीवन के चौथे पड़ाव के हैं। सुरेखा सीकरी ने दो बातें बहुत संजीदा तौर पर कही थीं, “मैं अभिनय से कभी रिटायर होना नहीं चाहती और मेरी दिली इच्छा है कि मैं अमिताभ बच्चन के साथ काम कर सकूं”।
फिल्म ‘बधाई हो’ के लिए मिला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार उनके करियर का तीसरा पुरस्कार रहा। इससे पहले अभिनय के लिए वह 1988 में आई सीरीज ‘तमस’ और 1994 में रिलीज हुई फिल्म ‘मम्मो’ के लिए भी सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुकी थीं। लेकिन ‘बधाई हो’ तक आते आते जमाना बदल चुका था। ट्विटर, फेसबुक और टीवी न्यूज चैनलों पर अपने बारे में इतना सब कुछ देखने के बाद सुरेखा के चेहरे पर उस दिन एक अलग ही तेज था। कहने लगीं, ’40 साल हो गए मुझे अभिनय करते करते लेकिन लोगों को या कहें कि नई पीढ़ी को अब जाकर पता चला है। खैर, मुझे इसका गिला नहीं। जब भी जो भी काम मैंने किया अपने दिली सुकून के लिए किया। इनाम मिलते हैं तो किसे खुशी नहीं होती। मुझे और भी बहुत खुशी होती अगर मैं अपने पैरों पर खड़े होकर ये पुरस्कार ले पाती।’
सुरेखा सीकरी एक टीवी सीरीज़ शूटिंग के लिए महाबलेश्वर में थीं और वहीं नहाते समय बाथरूम में गिर गईं। सिर पर चोट लगी। इलाज में देर हुई और वह लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहीं। खबर उड़ी कि उनकी आर्थिक हालत ठीक नहीं है। ये बात उनको पता चली तो उन्होंने इस पर सख्त एतराज किया। बेचारगी उनको कभी अच्छी नहीं लगी। सुरेखा सीकरी का 75 साल की उम्र में 16 जुलाई, 2021 को निधन हुआ था।