हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत और नृत्य में तो गौहर जान पारंगत थी हीं, लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा इसलिए याद किया जाता है क्योंकि भारतीय संगीत के इतिहास में अपने गानों को रिकॉर्ड करने वाली वह पहली गायिका थीं। गौहर जान का जन्म 26 जून 1873 में आजमगढ़ में हुआ था। उनके बचपन का नाम एंजेलिना येओवॉर्ड था। उनके पिता विलियम रॉबर्ट अमेरिकी इंजीनियर थे, जिन्होंने उनकी मां विक्टोरिया हेमिंग से 1872 में शादी की थी। उनकी मां भारतीय थीं और उन्होंने संगीत और डांस में शिक्षा ली थी। शादी के सात साल बाद 1879 में एंजेलिना के माता-पिता का तलाक हो गया। तलाक के बाद उनकी मां ने इस्लाम कुबूल कर अपना नाम मलका जान रख लिया। वहीं एंजेलिना का नाम गौहर जान हो गया। उस समय मलका जान स्थापित गायिका और नृत्यांग्ना बन चुकी थीं. उन्हें लोग ‘बड़ी मलका जान’ के नाम से जानते थे। 1883 में मलका जान कलकत्ता में दरबार में नियुक्त हो गईं। फिर तीन सालों के अंदर उन्होंने कलकत्ता के 24 चितपोरे सड़क पर 40 हजार रुपये में खुद का घर खरीद लिया। यहीं पर गौहर जान की ट्रेनिंग शुरू हुई। गौहर जान ने पटियाला के काले खान उर्फ ‘कालू उस्ताद’, रामपुर के उस्ताद वजीर खान और पटियाला घराने के संस्थापक उस्ताद अली बख्श जरनैल से हिन्दुस्तानी गायन सीखा। इसके अलावा उन्होंने महान कत्थक गुरु बृंदादीन महाराज से कत्थक, सृजनबाई से ध्रुपद और चरन दास से बंगाली कीर्तन में शिक्षा ली। जल्द ही गौहर जान ने ‘हमदम’ नाम से गजलें लिखना शुरू कर दिया। यही नहीं उन्होंने रबींद्र संगीत में भी महारथ हासिल कर ली थी। बनारस में डांस और म्यूजिक की कड़ी ट्रेनिंग के बाद गौहर जान ने 1887 में शाही दरबार दरभंगा राज में अपना हुनर दिखाया और उन्हें बतौर संगीतकार नियुक्त कर लिया गया। इसके बाद उन्होंने 1896 में कलकत्ता में प्रस्तुति देना शुरू कर दिया। 1904-05 के दौरान गौहर जान की मुलाकात पारसी थिएटर आर्टिस्ट अमृत केशव नायक से हुई। दोनों एक-दूसरे से प्यार करते थे 1907 में केशव नायक की मौत हो गई थी। गौहर जान को दिसंबर 1911 में दिल्ली दरबार में किंग जॉर्ज पंचम के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में बुलाया गया, जहां उन्होंने इलाहाबाद की जानकीबाई के साथ गाना गया। कुछ समय बाद गौहर जान मैसूर के महाराजा कृष्ण राज वाडियार चतुर्थ के आमंत्रण पर मैसूर चली गईं. 18 महीने बाद 17 जनवरी 1930 को मैसूर में उनका निधन हो गया।
गौहर जान ने 1902 से 1920 के बीच बंगाली, हिन्दुस्तानी, गुजराती, तमिल, मराठी, अरबी, पारसी, पश्तो, फ्रेंच और अंग्रेजी समेत 10 से भी ज्यादा भाषाओं में 600 से भी अधिक गाने रिकॉर्ड किए। गौहर जान ने अपनी ठुमरी, दादरा, कजरी, चैती, भजन और तराना के जरिए हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत को दूर-दूर तक पहुंचाया। गौहर जान दक्षिण एशिया की पहली गायिका थीं जिनके गाने ग्रामाफोन कंपनी ने रिकॉर्ड किए। रिकॉर्डिंग 1902 में हुई थी और उनके गानों की बदौलत ही भारत में ग्रामोफोन को लोकप्रियता हासिल हुई.एजेन्सी