28 जुलाई, 1926 को तत्कालीन बनारस जिले के जीयनपुर गांव में नामवर सिंह का जन्म हुआ था। नामवर सिंह ने अपने लेखन की शुरुआत कविता से की और 1941 में उनकी पहली कविता ‘क्षत्रियमित्र’ पत्रिका में छपी।
1951 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय से एमए करने के दो साल बाद वहीं हिंदी के व्याख्याता नियुक्त हुए। 1959 में चकिया चंदौली से कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव हारने बाद बीएचयू से अप्रिय परिस्थितियों में नौकरी छोड़नी पड़ी और उसके बाद सागर विश्वविद्यालय में कुछ दिन नौकरी की।
1960 में बनारस लौट आए। फिर 1965 में जनयुग साप्ताहिक के संपादन का जिम्मा मिला। 1971 में नामवर सिंह को कविता के नए प्रतिमान पर साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। 1974 में दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर नियुक्त हुए और वहीं से 1987 में सेवा-मुक्त हुए।
नामवर सिंह एक प्रखर वक्ता भी थे। बकलम खुद, हिंदी के विकास में अपभ्रंश का योगदान, आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियांष छायावाद, पृथ्वीराज रासो की भाषा, इतिहास और आलोचना, नई कहानी, कविता के नए प्रतिमान, दूसरी परंपरा की खोज उनकी प्रमुख कृतियां हैं।
हिंदी साहित्यजगत के चर्चित आलोचक नामवर सिंह ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के अलावा दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में लंबे अरसे तक अध्यापन कार्य किया था। बीएचयू से हिंदी साहित्य में एमए और पीएचडी की डिग्री हासिल करने वाले नामवर सिंह ने हिंदी साहित्य जगत में आलोचना को नया मुकाम दिया।
अध्यापन की कड़ी में जेएनयू से पहले उन्होंने सागर और जोधपुर यूनिवर्सिटी में भी पढ़ाया। जनयुग और आलोचना नाम की दो हिंदी पत्रिकाओं के वह संपादक भी रहे। 1959 में उन्होंने चकिया-चंदौली सीट से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से चुनाव लड़ा, लेकिन हार के बाद बीएचयू में पढ़ाना छोड़ दिया।
रचनाएं
बकलम खुद – व्यक्तिव्यंजक निबन्धों का संग्रह, कविताओं तथा विविध विधाओं की गद्य रचनाओं के साथ संकलित
शोध
हिन्दी के विकास में अपभ्रंश का योग – 1952 पृथ्वीराज रासो की भाषा – 1956 (अब संशोधित संस्करण ‘पृथ्वीराज रासो: भाषा और साहित्य’ नाम से उपलब्ध)
आलोचना-आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियां – 1954-छायावाद – 1955-इतिहास और आलोचना – 1957-कहानी : नयी कहानी – 1964
कविता के नये प्रतिमान – 1968-दूसरी परंपरा की खोज – 1982-वाद विवाद और संवाद – 1989
डॉ. नामवर सिंह का का 19 फरवरी 2019 को 92 साल की उम्र में निधन हो गया था । वे जनवरी 2019 में अपने कमरे में गिर गए थे, तब उन्हें एम्स के ट्रामा सेंटर में भर्ती किया गया था। लोधी रोड स्थित श्मशान घाट पर 20 फरवरी को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा गया था । एजेन्सी।