मुबारक साल गिरह- एजेंसी। डोला बनर्जी देश की प्रथम तीरंदाज़ महिला खिलाड़ी हैं, जिन्होने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया गया था। उन्होंने 18वां ‘गोल्डन एरो ग्रैंड प्रिक्स टूर्नामेंट’ जीता। डोला को 2005 में ‘अर्जुन पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया हैं।
डोला बनर्जी का जन्म 2 जून, 1980 को बारा नगर में हुआ था। उनके माता-पिता अशोक बनर्जी और कल्पना बनर्जी है। उनके छोटे भाई राहुल बनर्जी भी आर्चर हैं और वह मशहुर गायक शान और सागरिका की चचेरी बहन है। उन्होंने बारानगर राजकुमारी मेमोरियल गर्ल्स हाई स्कूल से पढ़ाई की। और नौ वर्ष की उम्र में, वह बारानगर तीरंदाजी क्लब में शामिल हुईभारत की पहली महिला खिलाड़ी हैं, जिन्हें तीरंदाज़ी में राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति पाने वाली प्रथम महिला खिलाड़ी होने का श्रेय जाता है। भारत में तीरंदाज़ी को मुख्य रूप से पुरुषों का खेल समझा जाता है, लेकिन डोला बनर्जी ने इस खेल में न सिर्फ भाग लिया, बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सफलता भी अर्जित की।
डोला बनर्जी ने तीर से निशानेबाजी की शिक्षा टाटा आर्चरी अकादमी, जमशेदपुर से प्राप्त की। उन्होंने तीरंदाज़ी के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर एकमात्र सफल खिलाड़ी होने का नाम कमाया है। न्यूयार्क में हुई 42वीं ‘विश्व आउटडोर टार्गेट आर्चरी चैंपियनशिप’ में अपने कुशल प्रयास से वह सफल रहीं और भारत की प्रथम तीरंदाज़ महिला बन गईं तथा ओलंपिक खेलों में भाग लेने के लिए क्वालीफाई कर लिया।
उनकी उपलब्धियों को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 2005 में ‘अर्जुन पुरस्कार’ देकर सम्मानित किया गया। 2005 में टर्की के अंतल्य में हुआ 18वां गोल्डन एरो ग्रैंड पिक्स टूर्नामेंट जीतकर डोला ने इतिहास रच डाला। वहाँ उन्होंने उक्रेनिया की तीसरी सीड खिलाड़ी तात्याना डोरोखोवा को हरा दिया। 2006 में कोलंबो में हुए सैफ खेलों में डोला बनर्जी ने अपनी प्रतिद्वन्दी रीना कुमारी को हराकर महिला तीरंदाज़ी का स्वर्ण पदक जीत लिया।डोला बनर्जी भारत की ऐसी महिला तीरंदाज़ हैं, जिन्होंने ओलंपिक में भाग लेने के लिए क्वालीफाई किया था।2005 में उन्हें ‘अर्जुन पुरस्कार’ प्रदान किया गया।2006 में टर्की के अंतल्य में हुए सैफ खेलों में डोला ने स्वर्ण पदक जीता। 2006 में कोलंबो में हुए सैफ खेलों में डोला बनर्जी ने अपनी प्रतिद्वन्दी रीना कुमारी को हराकर महिला तीरंदाज़ी का स्वर्ण पदक जीत लिया। फोटो सोशल मिडिया से
