जयन्ती पर विशेष। सेकेण्ड लेफ्टिनेन्ट अरुण खेत्रपाल, (परमवीर चक्र ), जिन्हें दुश्मन के सामने बहादुरी के लिए भारत का सर्वोच्च सैन्य अलंकरण परमवीर चक्र मरणोपरान्त प्रदान किया गया था। अरुण खेत्रपाल 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अद्भुत पराक्रम दिखाते हुए वे वीरगति को प्राप्त हुए थे।
अरुण खेत्रपाल का जन्म 14 अक्टूबर 1950 को पुणे,में हुआ था। उनके पिता लेफ्टिनेंट कर्नल (बाद में ब्रिगेडियर) एम एल खेत्रपाल भारतीय सेना में कोर ऑफ इंजीनियर्स अधिकारी थे। लॉरेंस स्कूल सनवार में जाने के बाद उन्होंने खुद को सक्षम छात्र और खिलाड़ी के रूप में प्रस्तुत किया था। अरुण खेत्रपाल 1967 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में शामिल हुए। वह फॉक्सट्रॉट स्क्वाड्रन से संबंधित थे जहां वह 38वें पाठ्यक्रम के स्क्वाड्रन कैडेट कैप्टन थे। वह बाद में भारतीय सैन्य अकादमी में शामिल हो गए। 13 जून 1971 में अरुण खेत्रपाल को 17 पूना हार्स में नियुक्त किया गया था।
अरुण खेत्रपाल ने अपना सैन्य जीवन 13 जून 1971 को शुरू किया था और 16 दिसम्बर 1971 को भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान 17 पूना हार्स को भारतीय सेना के 47वीं इन्फैन्ट्री ब्रिगेड की कमान के अंतर्गत नियुक्त किया गया था। संघर्ष की अवधि के दौरान 47वीं ब्रिगेड शकगढ़ सेक्टर में ही तैनात थी। 6 माह के अल्प सैन्य जीवन में ही इन्होने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।
सेकेण्ड लेफ्टिनेन्ट अरुण खेत्रपाल के अद्वितीय बलिदान व समर्पण के लिए इन्हें भारत सरकार द्वारा गणतंत्र दिवस 1972 को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया जो 16 दिसम्बर 1971 से प्रभावी माना गया। देहरादून की सैन्य अकादमी में प्रमुख भवन ‘परमवीर अरुण खेत्रपाल’ के नाम पर है।एजेन्सी।