जगत नारायण मुल्ला का जन्म 14 दिसम्बर,1864 को कश्मीर में हुआ था। अपने समय में संयुक्त प्रान्त के मशहूर वकील थे और सरकारी अभियोजक थे। ‘मुल्ला’ उनका उपनाम था। आपके पिता पंडित काली सहाय मुल्ला संयुक्त प्रान्त में सरकारी सेवा में थे। जगत नारायण मुल्ला ने आगरा विश्वविद्यालय से क़ानून की परीक्षा उत्तीर्ण की और लखनऊ में वकालत करने लगे। शीघ्र ही उनकी गणना प्रसिद्ध वकीलों में होने लगी। अपने समय के प्रमुख व्यक्तियों, पंडित मोतीलाल नेहरू, बाबू गंगा प्रसाद वर्मा, सी. वाई. चिन्तामणि, बिशन नारायण दर आदि से उनके घनिष्ठ सम्बन्ध थे। लखनऊ में आप के नाम पर एक रोड का नामकरण भी किया जिसे जगत नारायण रोड के नाम से जाना जाता है। जगत नारायण मुल्ला 3 वर्ष तक लखनऊ विश्वविद्यालय के उपकुलपति भी रहे। पंडित जगत नारायण, पंडित मोती लाल नेहरू के भाई नन्द लाल नेहरू के समधी थे। नन्दलाल नेहरू के पुत्र किशन लाल नेहरू का विवाह जगत नारायण की पुत्री स्वराजवती मुल्ला से हुआ था।
1916 की लखनऊ कांग्रेस की स्वागत-समिति के अध्यक्ष वही थे। लगभग 15 वर्षों तक लखनऊ नगरपालिका के अध्यक्ष रहे। मांटेग्यू चेम्सफ़ोर्ड सुधारों के बाद उत्तर प्रदेश कौंसिल के सदस्य निर्वाचित हुए और प्रदेश के स्वायत्त शासन विभाग के मंत्री बने। जगत नारायण मुल्ला 3 वर्ष तक वे लखनऊ विश्वविद्यालय के उपकुलपति भी रहे।
जब भारत में जलियांवाला बाग़ के हत्याकाण्ड सहित दमन का नया दौर शुरू हो गया था और इन घटनाओं की जाँच के लिए सरकार ने जो ‘हंटर कमेटी’ गठित की थी, उसके तीन भारतीय सदस्यों में एक जगत नारायण मुल्ला भी थे। इन तीनों ने कमेटी की रिपोर्ट में अपनी असहमति दर्ज की थी।
जीवन के अन्तिम वर्षों में जगत नारायण मुल्ला अस्वस्थ रहने लगे थे। इलाज के लिए स्विट्ज़रलैण्ड गए थे । जगत नारायण मुल्ला की मृत्यु 11 दिसम्बर, 1938 को लखनऊ में हुईं थी।एजेन्सी ।