विश्व कुष्ठ दिवस प्रतिवर्ष जनवरी माह के अंतिम रविवार को मनाया जाता है। भारत में यह दिवस प्रत्येक वर्ष महात्मा गांधी की पुण्यतिथि 30 जनवरी को मनाया जाता है। यह दिवस शीघ्रातिशीघ्र रोग उन्मूलन/निवारण के लिए प्रयास बढ़ाने और प्रतिबद्धता नवीकृत करने का अवसर प्रदान करता है। यह बच्चों में कुष्ठ रोग से संबंधित विकलांगों के मामलों को शून्य करने के लक्ष्य पर केंद्रित है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रोग का जल्दी पता लगाने के साथ-साथ कुष्ठ संचारण रोकने के लिए हस्तक्षेप मज़बूती एक महत्वपूर्ण बिंदु है। कुष्ठ रोग को हैनसेन रोग के नाम से भी जाना जाता है।
कुष्ठ रोग दीर्घकालिक संक्रामक रोग है, जो कि बेसिलस, माइकोबैक्टेरियम लेप्री के कारण होता है। संक्रमण होने के बाद, औसतन पांच वर्ष की लंबी अवधि के बाद सामान्यत: रोग के लक्षण दिखाई देते है, क्योंकि एम. लेप्री धीरे-धीरे बढ़ता है। यह मुख्यत: मानव त्वचा, ऊपरी श्वसन मार्ग की श्लेष्मिका, परिधीय तंत्रिकाओं, आंखों और शरीर के कुछ अन्य क्षेत्रों को प्रभावित करता है।
पॉसीबैसीलरी – जिसे कुछ (अधिकतम पांच) त्वचा के घावों (पीला या लाल) द्वारा पहचाना जाता है।
मल्टीबैसीलरी)- जिसे कई (पांच से अधिक) त्वचा के घावों, नोड्यूल, प्लाक/प्लैक, मोटी त्वचा या त्वचा संक्रमण द्वारा पहचाना जाता है।
बैक्टीरिया संचारण के लिए अनुपचारित कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्ति एकमात्र ज्ञात स्रोत है।
• संक्रमित व्यक्ति के श्वसन मार्ग (नाक व मुंह से उत्सर्जित बूंदों) के माध्यम से बैक्टीरिया परिवेश में पहुंचता है।
• जीव श्वसन प्रणाली के माध्यम से स्वस्थ शरीर में प्रवेश करता है।
• जीव तंत्रिका और त्वचा में चला जाता है (यदि उपचार नहीं किया जाता है, तो स्थायी विकलांगता हो सकती है)।
यदि किसी व्यक्ति में निम्नलिखित संकेत व लक्षण दिखाई देते है, तो कुष्ठ रोग हो सकता है:
• सांवली-चमड़ी वाले लोगों की त्वचा पर हल्के पैच हो सकते हैं, जबकि सफ़ेद, गोरी-चमड़ी वाले लोगों में गहरे या लाल रंग के पैच हो सकते है।
• त्वचा के चकत्तों/धब्बों में संवेदना की कमी या समाप्ति।
• हाथों या पैरों में सुन्नता या झुनझुनी।
• हाथों, पैरों या पलकों की कमजोरी।
• दर्दनाक नसें।
• लोलकी (ईयरलोब) या चेहरे में सूजन या गांठ।
• दर्दरहित घाव या हाथ या पैर जलन।
कुष्ठ रोग के संकेत एवं लक्षणों की उपस्थिति के मामले में कृपया अपने क्षेत्र की आशा या एएनएम से संपर्क करें या नज़दीकी अस्पताल में जाएं। कुष्ठ रोग का उपचार भारत के सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में नि:शुल्क उपलब्ध है।
एमडीटी विभिन्न दवाओं का संयोजन है, क्योंकि किसी एकल एंटीलेप्रोसी दवा से कभी भी कुष्ठ रोग का उपचार नहीं किया जाना चाहिए।
• किसी व्यक्ति को कुष्ठ रोग के टाईप के अनुसार प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा प्रस्तावित एमडीटी का पूरा कोर्स करना चाहिए।
• दूरदराज के क्षेत्रों सहित अधिकांश सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में एमडीटी नि:शुल्क उपलब्ध है।
भारत सरकार ने देश में राष्ट्रीय कुष्ठ रोग नियन्त्रण कार्यकम 1955 में शुरू किया था। वर्ष 1982 में बहु-औषधि उपचार/मल्टी ड्रग थेरेपी की शुरुआत के बाद देश से रोग का उन्मूलन करने के उद्देश्य से 1983 में इसे राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम नाम दिया गया।
• कुष्ठ रोग एमडीटी से उपचार योग्य है।
• बहु-औषधि उपचार/मल्टीड्रग थेरपी का नियमित सेवन कुष्ठ रोग का पूरा उपचार सुनिश्चित करता है। यह विकृतियों से बचाता है तथा अन्य व्यक्तियों में संचारण रोकता है।
• रोग की शीघ्र पहचान, पर्याप्त उपचार और पूरा कोर्स कुष्ठ रोग के कारण होने वाली विकलांगता रोकती है।
• कुष्ठ वंशानुगत नहीं है; यह माता-पिता से बच्चों में प्रसारित नहीं होता है।
• कुष्ठ रोग का कारण स्पर्श जैसे कि हाथ मिलाने या साथ खेलने या एक ही कार्यालय में काम करने के माध्यम से नहीं है। यह इससे नहीं फैलता है लेकिन अनुपचारित रोगियों के साथ नज़दीकी और लगातार संपर्क रोग का संचारण बढ़ाता है।
• कुष्ठरोग पिछले पापों या अनैतिक व्यवहार का परिणाम नहीं है। यह माइकोबैक्टीरियम लेप्री कहे जाने वाले बैक्टीरिया के कारण होता है।
• कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों को आजीविका कमाने और सम्मान के साथ जीने का अधिकार है।