विश्व अल्जाइमर दिवस हर साल 21 सितम्बर को मनाया जाता है। यह दिवस अल्जाइमर रोग और डिमेंशिया के बारे में जागरूकता प्रसारित करने के लिए मनाया जाता है।
अल्जाइमर रोग
कल्पना कीजिये कि कोई व्यक्ति सब कुछ भूल जाए, उसे कुछ याद ही न रहे। जाहिर है, ऐसे में ज़िन्दगी दुश्वार हो जाती है। अक्सर ऐसा देखा गया है कि बढ़ती उम्र के साथ लोगों में भूलने की आदत हो जाती है। ऐसे में लोगों को कुछ भी याद नहीं रहता है, किसी को पहचानने में भी मुश्किल होती है, तो कई बार ऐसा होता है कि बुजुर्ग यदि टहल कर भी आते हैं तो उनको अपना घर पहचानने में दिक्क़त होती है। समझना मुश्किल नहीं है कि ऐसे में मानव मन किस कदर जद्दोजहद करता होगा? इन सारी परेशानियों को हम बहुत ही हल्के में लेते हैं और सोचते हैं कि बढ़ती उम्र के साथ ऐसा होता ही है, लेकिन हकीकत यह है कि यह अल्जाइमर नाम की बीमारी है, जिसमें लोग सब कुछ भूलने लगते हैं। 1906 में जर्मन के न्यूरोलॉजिस्ट एलोइस अल्जाइमर ने इस बीमारी का पता लगाया था और इन्हीं के नाम पर इस बीमारी को ‘अल्जाइमर’ (Alzheimer) कहा जाता है। दुनिया भर में लोगों को इस भूलने वाली बीमारी ‘अल्जाइमर’ के बारे में जागरूकता फ़ैलाने के मक़सद से प्रत्येक साल 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है। स्मरण शक्ति कमज़ोर करने वाली यह बीमारी ज्यादातर बुजुर्गों को होती है, लेकिन कई बार इसके लक्षण युवाओं में भी पाये जाते हैं, इसलिए जागरूकता और इसका उचित इलाज बेहद आवश्यक है। हालाँकि, इस बीमारी के लिए कोई प्रॉपर इलाज अब तक विकसित नहीं किया जा सका है, लेकिन इसके लिए सावधानियां और व्यायाम ज़रूर हैं, जो इस बीमारी में काफ़ी हद तक सहायक साबित होते हैं।
अल्जाइमर रोग का सबसे समान्य रूप डिमेंशिया है। यह निरंतर प्रगतिशील होने वाला मस्तिष्क का रोग है, जिसके परिणामस्वरूप याददाश्त और सोचने की क्षमता में कमी होती है। यह मस्तिष्क की कोशिकाओं को नष्ट कर देता है, जिसके कारण याददाश्त में कमी और परिवर्तन, अनियमित व्यवहार तथा शरीर की प्रक्रियाओं को नुकसान पहुंचता है। सामान्य शब्दों में, अल्जाइमर सामान्य की तुलना में अधिकांशत: याददाश्त विकार वाला रोग है। अल्जाइमर से पीड़ित रोगी अक्सर लोगों के नाम, जैसे- कि पुराने दोस्तों, पता, यहाँ तक कि सड़कों तथा अन्य वस्तुओं के नाम भी भूल जाते हैं।
बीमारी के बारे में तथ्य
अल्जाइमर रोग प्रगतिशील मस्तिष्क रोग है। इस रोग की शुरुआत चीज़ें भूलने और कम स्तर पर याददाश्त में कमी विकसित होने के साथ होती है, जिसके परिणामस्वरूप रोगी को हाल-फ़िलहाल की घटनाओं को याद रखने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। अंततः यह दैनिक गतिविधियों तथा यहां तक कि बुनियादी ज़रूरतों की देखभाल करने में अक्षमता पैदा करता है। यह रोग ज्यादातर बुजुर्ग लोगों को प्रभावित करता है। आज भारत में बुजुर्ग लोगों की आबादी बढ़ रहीं है। यह बीमारी होने के कारण का अलार्म है। इस रोग के सही कारण अभी तक ज्ञात नहीं है। इस बीमारी का कारण मस्तिष्क में प्रकट होने वाली कुछ जटिल घटनाएँ हैं। अल्जाइमर रोग का कोई उपचार उपलब्ध नहीं है। पीड़ित रोगी का प्रभावी ढंग से उपचार करने हेतु रोग की जल्दी जानकारी प्राप्त होने द्वारा लाभ मिलता है। उपचार के तौर-तरीकों में औषधीय, मनोवैज्ञानिक और देखभाल करने के तमाम पहलु शामिल हैं।
इस बीमारी के उपचार में पारिवारिक और सामाजिक समर्थन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अल्जाइमर बीमारी का सबसे समान्य रूप डिमेंशिया है।
चेतावनी संकेत
याददाश्त में कमी, जो कि दैनिक जीवन को बाधित करती है।योजना या समस्याओं को सुलझाने में चुनौतियाँ।घर, कार्यस्थल या अवकाश के दौरान परिचित कार्यों को पूरा करने में कठिनाई होना। समय या स्थान को लेकर भ्रम होना। दृश्य चित्रों और स्थानिक रिश्तों को समझने में परेशानी होना। शब्दों को बोलने या लिखने में नई तरह की समस्या होना। चीज़ों को गलत जगह पर रख देना और वापस प्राप्त करने की क्षमता में कमी। ख़राब निर्णय या निर्णय लेने की क्षमता में कमी। कार्य या सामाजिक गतिविधियों से पलायन। मन और व्यक्तित्व में परिवर्तन।
रोकथाम हेतु सुझाव
शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और मनोरंजनात्मक गतिविधियों में स्वयं को व्यस्त रखें। जैसे कि-पढ़ना प्रसन्नता के लिए लेखन करना। संगीतमय वाद्ययंत्र बजाना। प्रौढ़ शिक्षा पाठ्यक्रम में भाग लेना। घर के अंदर खेले जाने वाले खेल, जैसे कि वर्ग पहेली, पहेली, स्क्रैबल और शतरंज खेलना। तैराकी करना
समूह खेल जैसे कि गेंदबाजी करना घूमना योग और ध्यान । भारत कोष से