स्मृति शेष
एजेन्सी। आज़ादी से पहले भारत की और से पहला शतक लाला अमरनाथ के नाम पर दर्ज है। उन्होंने 1933 में 17 दिसंबर को पहला शतक जड़ा था। लाला अमरनाथ/ नानिक अमरनाथ भारद्वाज (11 सितम्बर, 1911) ने 22 साल की उम्र में टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू करते हुए इंग्लैंड के खिलाफ तत्कालीन बंबई के जिमखाना ग्राउंड पर 118 रनों की पारी खेली थी। हालांकि भारत वह टेस्ट चौथे ही दिन लंच के बाद 9 विकेट से हार गया था, लेकिन लाला का वह शतक भारत की अभूतपूर्व उपलब्धि रही। लाला अमरनाथ भारत के ऐसे पहले आलराउंडर थे, जिन्होंने बल्ले के अलावा गेंद से भी अपने विरोधियों की नाक में दम किया। उन्हें ‘भारत सरकार’ द्वारा 1991 में खेल के क्षेत्र में ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया था।लाला अमरनाथ का शतक उनके करियर का एकमात्र शतक साबित हुआ। लाला ने अपने करियर के दौरान कुल 24 टेस्ट मैच खेले और 878 रन बनाए, साथ ही 45 विकेट भी चटकाए। उनके बेटे सुरेंद्र और मोहिंदर अमरनाथ ने भारतीय क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व किया। अमरनाथ परिवार की बात की जाए, तो इस फैमिली ने कुल 13 टेस्ट शतक लगाए. लाला के एक शतक के अलावा मोहिंदर ने 11 और सुरेंद्र ने एक टेस्ट शतक लगाया। भूतपूर्व कप्तान लाला अमरनाथ का कैरियर जितना शानदार रहा, उतना ही विवादित भी रहा।
लाला अमरनाथ टेस्ट क्रिकेट में शतक लगाने वाले न सिर्फ भारत के बल्कि एशिया के भी पहले बल्लेबाज़ थे। उन्होंने यह शतक मुंबई के जिमखाना ग्राउंड पर इंग्लैंड के विरुद्ध जारी टेस्ट मैच के तीसरे दिन 17 दिसंबर, 1933 को लगाया था। उन्होंने दूसरी पारी में 118 रनों की पारी खेली थी। लाला अमरनाथ का यह शतक इस लिहाज से भी ख़ास था, क्योंकि यह उनका पहला टेस्ट मैच भी था और दोनों ही पारियों में उन्होंने अपनी टीम के लिए सबसे अधिक स्कोर किया था। हालांकि दूसरी पारी में खेली गई उनकी शतकीय पारी टीम को हार से टाल नहीं सकी। भारत यह मैच 9 विकेट से हारा था। लाला अमरनाथ ने पहली पारी में भी अपनी टीम के लिए सबसे ज्यादा 38 रन बनाए थे।
लाला अमरनाथ न सिर्फ बेहतरीन बल्लेबाज़ थे, बल्कि वह एक शानदार के गेंदबाज़ भी रहे। उन्होंने 1946 में इंग्लैंड दौरे के दौरान एक टेस्ट मैच की दोनों पारियों में 5-5 विकेट झटके थे। साथ ही 3 बार 4-4 विकेट भी निकाले। बाद में लाला भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान बने और उनकी अगुवाई में ही भारत 1952-1953 में पहली बार कोई टेस्ट सीरीज जीत सका था। भारत ने 2-1 से यह सीरीज अपने जाने माने प्रतिद्वंदी पाकिस्तान के ख़िलाफ़ जीती थी।
लाला अमरनाथ का टेस्ट कैरियर 19 साल तक रहा। उन्होंने अपना अंतिम टेस्ट मैच दिसंबर, 1952 में पाकिस्तान के विरुद्ध कोलकाता में खेला था। इस दौरान उन्होंने कुल 24 टेस्ट मैच खेले, जिसमें एक शतक के अलावा 4 अर्धशतक लगाए। साथ ही उन्होंने ने कुल 45 विकेट भी झटके।
टेस्ट क्रिकेट में भारत की ओर से पहला शतक लगाने वाले पूर्व कप्तान लाला अमरनाथ के तीनों बेटों को भी टेस्ट क्रिकेट खेलने का मौका मिला। इनमें मोहिन्दर अमरनाथ आगे चलकर भारतीय टीम के कप्तान भी बने।
लाला अमरनाथ एकमात्र ऐसे गेंदबाज़ थे, जिन्होंने क्रिकेट के महानतम बल्लेबाज़ ऑस्ट्रेलिया के सर डॉन ब्रेडमैन को हिट विकेट आउट करने का कारनामा किया। ब्रेडमैन अपने बेमिसाल कैरियर में सिर्फ एक बार ही हिट विकेट हुए थे।
स्वतंत्र भारत में भारतीय क्रिकेट टीम के पहले टेस्ट कप्तान बनने का गौरव भी लाला अमरनाथ को प्राप्त है। उनकी अगुवाई में टीम ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था। वर्ष 1936 में लाला इंग्लैंड के दौरे पर गए थे, लेकिन उन्हें वहाँ से बिना मैच खेले ही वापस लौटना पड़ा था।
1936 में इंग्लैंड दौरे के दौरान टीम के कप्तान महाराज कुमार ने लाला अमरनाथ को अनुशासनहीनता के कारण स्वदेश लौटा दिया था। लाला एक भी टेस्ट मैच खेल नहीं सके थे। बाद में लाला और अन्य कई लोगों ने आरोप लगाया कि ऐसा राजनीति के कारण किया जा रहा है। महाराज कुमार को 1936 के दौरे के लिए कप्तान बनाया गया था।
लाला अमरनाथ की कप्तानी में भारत ने टेस्ट क्रिकेट में पहली बार पाकिस्तान को हराया था। 1952 में भारत के दौरे पर पांच मैचों की टेस्ट सीरीज खेलने आई पाक टीम को टीम इंडिया ने दिल्ली में खेले गए पहले टेस्ट मैच में एक पारी और 70 रन से शिकस्त दी थी। लाला अमरनाथ का पांच अगस्त 2000 को 88 बरस की उम्र में दिल्ली में निधन हुआ। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने शोक संदेश में उन्हें भारतीय क्रिकेट का आइकन करार दिया था।